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विद्वान परशुराम को नकारात्मक क्रोधित और घोर बदला लेते हुए क्यूँ दिखाते हैं?
https://awara32.blogspot.com/2017/07/avtar-parashram-acts-were-positive.html
मालूम नहीं क्यूँ संस्कृत विद्वान यह पूरी तरह से गलत सूचना विष्णु अवतार, भगवान् परशुराम जी के बारे में देते है, की क्षत्रियों का उनके पिता के साथ दुर्व्यवाहर के कारण , तथा क्षत्रियों की अन्य उद्दंडता के कारण , उन्होंने इक्कीस बार पृथ्वी को सारे क्षत्रिये मार कर शत्रिय-विहीन कर दिया |
ईश्वर अवतार तो दया के सागर होते हैं, वैसे भी सनातन में यह नियम है कि मानव रूप में प्रभु सदैव यह उद्धारण प्रस्तुत करते हैं कि यदि कोइ मानव ऐसा कार्य करे कि दण्डित करना आवश्यक है, तो मानव के पास इतना ही अधिकार है कि उस व्यक्ति को इतना ही दण्ड दिया जाय जिससे समाज आगे बढ़ता जाए, ना की अपराध के अनुसार ‘उचित दण्ड’ |
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राम कृष्ण ऐतिहासिक अवतार को विद्वान शोषण हेतु कथा में क्यूँ दर्शाते हैं?
http://awara32.blogspot.com/2017/04/ram-krishna-are-historical-figure.html
अभी हाल में राज्य सभा में माता सीता के जन्म स्थान और उनके वास्तविक अस्तित्व को लेकर कुछ लोगो ने प्रश्न उठाए, जिसका हिन्दू समाज की और से सरकार ने उत्तर दिया कि श्री राम और माता सीता वास्तव में अवतरित हुए थे, और यह आस्था का प्रश्न नहीं है, इतिहास है ! उसी तरह से श्री कृष्ण पर भी प्रश्न उठते रहे हैं, लकिन हिन्दू समाज उनको भी ऐतिहासिक पुरुष और ईश्वर अवतार मानता है | उपरोक्त कथन में कही कोइ संदेह है भी नहीं, होना भी नहीं चाहीये |
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रावण सैन्य रणनीति में अक्षम था, वीरता के भी कोइ प्रमाण नहीं हैं
विभीषण अमर हैं, अर्थ मानव मॉस खाने वाले राक्षस प्रलय तक पृथ्वी पर रहेंगे
ऐसी मान्यता है कि जब राम अयोध्या वापस लोट आये तो श्री राम के राजभिषेक के लीये वहाँ के ब्राह्मण समुदाय ने इनकार कर दिया ! कारण यह था कि रावण एक प्रतिष्टित ब्राह्मण थे तथा सीता को भिक्षा में स्वेच्छा से लाए थे| अत: राम के पास कोइ अधिकार नहीं था कि वोह रावण तथा उसके ब्राह्मण परिवार का निर्ममता से संघार करके सीता को वापस लाए|
स्वर्ग, नर्क, देवता, राक्षस पर विचार और परिभाषा
जिस तरह से असुर-राज पताल मैं हैं उसी तरह से देवता तताकथित स्वर्ग मैं रहते हैं जो पृथ्वी लोक से बाहर है| यह विज्ञान की दृष्टि से भी आवश्यक जानकारी है, कि पृथ्वी मैं जो भी जीवन, या श्रृष्टि है, उसके लिए पृथ्वी का सौय्रमंडल और ब्रह्माण्ड से सामंजस्य मुख्य कारण है, चुकी पृथ्वी अपने आप मैं असमर्थ है; असुरो का निवास है|
क्या हनुमान छलांग लगा कर लंका पहुचे थे, या समुन्द्र मार्ग से
१४ वर्ष के वनवास मैं राम ने लंका से युद्ध के बारे मैं कूटनीतिज्ञ और राजनेतिक परिपेक्ष मैं काम करा था| कुछ लंका के प्रमुख व्यक्ती राम के संपर्क मैं थे| इसी कारण हनुमान पहले विभीषण से मिलें
क्या प्राचीन युगों मैं अस्त्र-शस्त्र सिद्ध मन्त्र से संचालित होते थे ?
रावण ने माया रची', प्राचीन युगों मैं अस्त्र-शास्त्र का सिद्ध मन्त्र से संचालन, अन्य लंबी दूरीके ध्वनिक यंत्र, अब आम बात है, और अज्ञान के कारण धर्मगुरु इसे समाज को समझा नहीं पारहे हैं
त्रेतायुग के खगोलीय सूचना के अभाव मैं श्री राम की जनम कुंडली नहीं बन सकती
श्री रामचंद्र जी का जन्म चैत्र मास मैं शुक्ल पक्ष की नौमी तिथी को ठीक दुपहर को हुआ था| महारिषि वाल्मिकी ने जन्म के समय के खगोलिक पैमानों का विवरण दिया है, जिसको स्वीकार करके ही आगे बढ़ सकते हैं|
वानर सेना के साथ श्री राम का लंका से युद्ध निर्णय उचित था पर भय-रहित नहीं
उस समय विज्ञान का विकास आज के युग से ज्यादा था, ऐसे मैं समझने वाली बात है की रावण की सेना आधुनिक अस्त्र-शास्त्र का प्रयोग कर रही थी, तो वोह पत्थर फेकने वाली वानर सेना या बंदरों की सेना से नहीं हारी |
राम से पूर्व, धर्म का दुरूपयोग महिलाओ, आदिवासी समाज के शोषण के लिए
परशुराम उन क्षत्रियों को छोड दे रहे थे, जो उनके साथ रहने वाली महिलाओं से विवाह करने के लिए तैयार थे, और वानरों से पशु जैसा व्यवाहर न करने के लिए वचन दे रहे थे
कुछ अज्ञात लघु तथ्य माता सीता से सम्बंधित
हिंदू समाज जब सशक्त होगा जब भारत का नेतृत्व एक हिंदू कर रहा होगा
धर्म जो अग्नि परीक्षा को अधर्म घोषित करने पर मिलें
धर्मगुरु समाज को राक्षस और असुर कि भिन्नता की सूचना तो दें
धर्मगुरु समाज को यह तो बताओ कि राक्षस और असुर अलग हैं
“हिंदू धर्म सर्वथा कर्मप्रधान धर्म रहा है ! कर्मवीर श्री कृष्ण का कर्मछेत्र कहलाता है , जहाँ धर्म की परिभाषा कर्म की व्याख्या से शुरू होती है ! परन्तु समस्या इतनी जटिल थी की कर्मवीर हिंदू समाज बच नहीं सकता था !
अवतार इश्वर से अधिक महत्वपूर्ण है हिन्दुओं के लिए
त्रेता युग के वैज्ञानिक विकास का मूल्यांकन आज के विकास
के संदर्भ मैं
“अवतार , या तो दर्शाते हैं , या उपलब्ध कराते हैं, ऐसी परिस्थिती जिसमें मानव के जीवित रहने मैं उल्लेखनीय सुधार हो | मनुष्य रूप मैं अवतार अवतरित हो कर आवश्यक सुधार मानवता की प्रगति के लिए लाते हैं , जब , जब की मानवता अत्यंत संकट मैं हो | और भौतिक प्रयास समाज की प्रगति के लिए जो करा जाता है , वह धर्म है”
http://awara32.blogspot.com/2012/05/blog-post_28.html
वानर, जैसा कि शब्द से स्पष्ट है , वह वन + नर से बना है , जिसका अर्थ है; “वन मैं उत्पन्न हुआ मनुष्य” | वानर मनुष्य की नई प्रजाति थी जो कि स्वाभाविक रूप से श्रृष्टि के विस्तार मैं वन मैं उत्पन्न होई , उनके पूछ थी , और मनुष्यों की तरह से ही उन्होंने छोटे छोटे कसबे वन मैं बना रखे थे | वे बंदर कदापि नहीं थे |
http://awara32.blogspot.com/2012/05/blog-post_21.html
कुछ लोगो का विरोध है, तथा कुछ लोग का मत है कि संभवत: धार्मिक इतिहास साधारण इतिहास से हट कर है , तथा उसमें चमत्कारिक और आलोकिक शक्ति हो सकती हैं , तथा कुछ लोग कह रहे हैं कि त्रेता युग मैं लोगो के पास ऐसी शक्तियां थी |
http://awara32.blogspot.in/2012/05/blog-post_18.html
आज़ाद भारत, जो श्री राम को तरह तरह से पूजता है , वह यह कैसे स्वीकार करलेता है कि समस्त क्लेश का नाश करने वाले श्री राम के स्वंम के निवास पर कोइ विघ्न बाधा , वह भी माता सरस्वती , हेरफेर कर के उत्पन्न कर सकती थी ?
http://awara32.blogspot.in/2012/05/blog-post.html
इस प्रश्न का उत्तर, चर्चा मैं लोग अपनी सुविधा अनुसार दे देते हैं |
परन्तु जब हिंदू समाज कर्महीनता की हद छु रहा है, तब आवश्यक हो जाता है कि हर प्रश्न का सही उत्तर समाज के पास हो |
http://awara32.blogspot.in/2012/04/blog-post_29.html
अनेक प्रश्न इस विषय को लेकर सामने आ रहे हैं ; सबसे ज्यादा प्रश्न इस कथन के साथ कि वनवास मैं राम के पास अयोध्या से सेना बुलाने का कोइ विकल्प नहीं था |
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श्री राम भगवान विष्णु के अवतार थे जो कि अत्यंत कठिन समय मैं , समाज को उचित दिशा , अपने स्वंम के उद्धारण से दर्शाने आए थे ! समझने कि बात यह है कि अवतार समाज मैं सुधार किस प्रकार लाते हैं ?......क्या हर प्रयास उनका सफल हो जाता है ? अगर ऐसा होता तो त्रेता यग मैं एक के बाद एक अवतार क्यूँ आए ? परशुराम अवतार के तत्पश्यात राम अवतार , क्यूँ ?
http://awara32.blogspot.com/2012/04/blog-post_23.html
WAS NAGPAASH A CHEMICAL WEAPON?
रामायण त्रेता युग का इतिहास है, और यह हिंदू समाज जितनी जल्दी समझ ले उतना ही देश के लिए और हिंदू समाज के लिए लाभकारी है ! आम हिंदू बड़े गर्व से यह तो कहता है की रामायण के काल मैं विमान थे, लकिन जब उससे इस सत्य के अनुसार इतिहास को समझने को कहा जाता है, तो वोह संस्कार या अपने गुरु का हवाला दे कर अलग हो जाता है !
http://awara32.blogspot.com/2012/04/blog-post_22.html
आजादी के बाद हिंदू समाज कि प्रगति नहीं हो पा रही ! और तो और, समाज की कर्महीनता के कारण अपने ही देश मैं हिंदू समाज की उचित मांगो को अनदेखा कर दिया जा रहा है ! अपने ही देश मैं हिंदू समाज धीरे धीरे असुरक्षा कि और जा रहा है !
http://awara32.blogspot.com/2012/04/blog-post_20.html
हिंदू धर्म रामायण को इतिहास मानता है, और उसके पीछे कारण यह है कि यदि वेद को समझने मैं कोइ त्रुटि हो रही हो, तो रामायण और महाभारत को दूसरा वेद मान कर , मनुष्य रूप मैं अवतार ने, जो आदर्श और उद्धारण प्रस्तुत करें हैं , उसे धर्म मान कर आगे बढ़ा जाय !
http://awara32.blogspot.com/2012/04/blog-post_19.html
यह प्रश्न अत्यंत स्वाभाविक है , यदि हम रामायण को इतिहास और श्री राम और माता सीता को इश्वर अवतार मानते है ! कंही कंही यह बात भी कही जाती रही है कि, वनवास मैं राम अयोध्या से सेना कैसे बुला सकते थे ! यह बिलकुल गलत बात है जो कि उन लोगो ने फैला रखी है जो हिंदू समाज का भला नहीं चाहते !
http://awara32.blogspot.com/2012/04/blog-post.html
गोस्वामी तुलसीदास सोल्वी शताब्दी(१५३२-१६२३) के महाकवि थे, जिन्होंने हिंदी कि अवधि भाषा में रामचरितमानस कि रचना करी ! उनका योगदान हिंदू धर्म कि रक्षा के लीये सरहानीय है ! कुछ लोगो का मत है की वोह हनुमान जी के अवतार थे, तो कुछ कहते हैं की हनुमान जी की उनपर असीम कृपा थी; तो कुछ उन्हें महारिषि वाल्मीकि का अवतार मानते हैं !
http://awara32.blogspot.in/2012/03/blog-post.html
|| ध्यान रहे कि रामायण यदि इतिहास है तो उसमें किसी भी चरित्र के पास अलोकिक और चमत्कारिक शक्ति नहीं हो सकती ||
क्या कारण है कि हमसब के परस्पर प्रयास के फल स्वरुप लोगो ने यह तो स्वीकार कर लिया कि वानर बन्दर नहीं, वन में नई मनुष्य प्रजाति कि उत्पत्ति थी ..........
http://awara32.blogspot.in/2012/02/blog-post_28.html
यह प्रश्न बार बार उठता है कि श्री विष्णु ने परशुराम के रूप में अवतार क्यूँ लिया, तथा उन्होंने इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन क्यूँ करा ?
इससे पहले की इसपर विस्तार से चर्चा हो, यह जानना आवश्यक है कि त्रेता युग में, उस समय की भूगोलिक व् सामाजिक स्थिती क्या थी ?
http://awara32.blogspot.in/2012/02/interpretation-and-interpolation.html
रामायण एक महाग्रन्थ है, तथा त्रेता युग का इतिहास ! चुकि इतिहास का संबंध उस युग के महान नायकों से होता है, इसलिए रामायण के किसी भी चरित्र के पास चमत्कारिक व् अलोकिक शक्ति नहीं थी ! यह समझे बिना न तो हम रामायण को समझ सकते हैं , न ही श्री विष्णु अवतार राम ने जो आदर्श स्थापित करे हैं उनका लाभ ले सकते हैं !
http://awara32.blogspot.com/2012/01/blog-post_26.html
अब जब कि सब राजकुमार विवाहित हो गये तो महाराज दसरथ अपने अंतिम उत्तरदायित्व से भी मुक्त होना चाहते थे, और वह था युवराज की विधिवद घोषणा और तिलक ! परिवार में इसको लेकर कोइ विरोध भी नहीं था, कि ज्येष्ट पुत्र श्री राम ही इसके उत्तराधिकारी हैं !
http://awara32.blogspot.com/2012/01/blog-post_22.html
इससे पहले कि आगे बढ़ें सनातन धर्म का अर्थ समझ लेते हैं ! सनातन धर्म का गैर किताबी अर्थ है , सम्पूर्ण हिंदू समाज का विकास जिसमें सबके पास बराबर के विकास के अवसर हों !
http://awara32.blogspot.com/2012/01/blog-post_20.html
“यह बात विशेष ध्यान देने की है कि धर्म को झुकना पड़ता है, जब वोह प्रतिष्टित और शातिशाली लोगो से टकराता है ! और इसीलिये भगवान को बार बार अवतार लेना पड़ता है ! स्वंम श्री राम एकाधिक विवाह को धर्म मानते हुए और उद्धारण स्थापित करने के बाद भी, ऐसा कोइ प्रबंध नहीं कर पाए कि भविष्य में इसपर सख्ती से अमल हो सके”
http://awara32.blogspot.com/2012/01/blog-post_5848.html
ईशवर की मनुष्य रूप में या अन्य प्राणी के रूप में उत्पत्ति को अवतार कहा जाता है ! उद्देश श्रृष्टि को उस समय के घोर संकट से निकालने का होता है ! लेकिन अवतार को लेकर विवाद भी हैं, कुछ हिंदू अवतार को मानते हैं, कुछ नहीं !
http://awara32.blogspot.com/2012/01/blog-post_06.html
सीता अपहरण के पश्चात , तथा यह जानकारी मिलने के बाद कि सीता का अपहरण रावण ने करा है, राम को अब यह निर्णय लेना था कि रावण से युद्ध कैसे करा जाय ! वोह अयोध्या से सेना बुलवा सकते थे ! ध्यान रहे वनवास कि ऐसी कोइ शर्त नहीं थी कि अयोध्या के राजघराने कि बहु, या महारानी सीता के प्रति अयोध्या का कोइ उत्तरदायित्व नहीं था, न यह बात तर्कसंगत है !
http://awara32.blogspot.com/2012/01/blog-post_05.html
श्री राम और माता सीता के अनेक चरित्रों का वर्णन रामायण है ! जब सूचना का आभाव था तो लोग इसे कथा मानते थे, तथा इसके इतिहास होने पर प्रश्न चिन्ह था, लेकिन आज नहीं ! आज अधिकांश हिंदू रामायण को त्रेता युग का इतिहास और श्री राम और माता सीता को श्री विष्णु और देवी लक्ष्मी का अवतार मानते हैं !
http://awara32.blogspot.com/2011/12/blog-post_26.html
महाऋषि गौतम कि पुत्री अंजनी, बिना विवाह के गर्भवती हो गयी, तब उन्हे वन में भेज दिया गया, जहाँ हनुमान का जन्म होआ !
माता अहलिया को उन्ही के पति गौतम ऋषि ने उनके कथित अभद्र व्यवहार, के कारण मार डाला !
http://awara32.blogspot.com/2011/12/blog-post_16.html
भगवन विष्णु पृथ्वी पर जब जब धर्म की विशिष्ट हानि होती है, तब अवतरित होते हैं ! धर्म की हानि अनेक कारणों से हो सकती है, जिसमे प्रमुख कारण, जो कि हर युग के लिये मान्य हैं, वो इस प्रकार हैं :
1. स्त्री पर विशेष अत्याचार जिसमें धार्मिक गुरुजन भी शामिल हों !
2. कमजोर वर्ग पर विशेष अत्याचार जिसमें धार्मिक गुरुजन भी शामिल हों या चुप्पी सान्ध कर बैठे हों !
3. जब शासकों व् धार्मिक गुरुजनों का व्यवहार श्रृष्टि विरोधी हो जाय !
उपरोक्त तीनो कारण आवश्यक हैं भगवान विष्णु को मनुष्य रूप में अवतार लेने के लिये !
http://awara32.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html
यहाँ यह जानना आवश्यक है कि अग्नि परीक्षा उस समय कि एक उचत्तम मर्यादा थी जिसको धार्मिक मान्यता भी प्राप्त थी ! विजई सेना के प्रमुख की हैसियत से श्री राम का उस समय की मर्यादा का पालन सर्वथा उचित्त भी था !
http://awara32.blogspot.com/2011/11/blog-post_13.html
उसका एक उद्धारण तो हम सब को मालुम है; शिव धनुष जो की प्रलय स्वरूप, विनाशकारी था(WEAPON OF MASS DESTRUCTION), और जिसको बनाने के लिये विकसित विज्ञान की आवश्यकता थी, वोह श्री राम से पूर्व त्रेता युग मैं था !
http://awara32.blogspot.com/2011/11/blog-post.html
त्रेता युग विज्ञान और विमान का युग था ! और यह बात भारत का प्राचीन इतिहास बताता है; रामायण जो की त्रेता युग का इतिहास है वोह बताता है ! लेकिन क्या हम उसका लाभ ले पा रहे हैं? क्या हमारे धार्मिक गुरुओं ने युवा हिंदू छात्रों को शोघ के लिये प्ररित करा ? और अगर नहीं करा तो क्यूँ नहीं करा?
http://awara32.blogspot.com/2011/10/blog-post_31.html
हिंदू धर्म मैं यह परेशानी इस लिये भी है की धर्म शब्द के दो अलग अर्थ और प्रयोग हैं | एक तो सनातन धर्म या HINDU RELIGION जो की इस बात की जानकारी देता है की सनातन धर्म क्या है और कौन उसमें आतें हैं ! दूसरा धर्म का अर्थ है भौतिक तरीके से अपनी समाज मैं जिम्मेदारियों को निभाना ! यही दूसरा धर्म स्वर्ग की सीडी है !
http://awara32.blogspot.com/2011/10/blog-post.html
जबभी किसी स्त्री पर कहीं भी अत्याचार होता है, समाज के कुछ लोग यह कह कर उसकी आलोचना करते हैं कि भगवान श्री राम ने भी सीता कि अग्नि परीक्षा ली थी और इसके बाद भी माता सीता का त्याग कर दिया |
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