नागपाश एक ‘तनुकृत और कम शक्ति’ वाला रसायन अस्त्र था जिसका प्रयोग पूरी तरह से वर्जित नहीं था| उसकी मार मैं एक या दो व्यक्ति ही आ सकते थे~~NAGPASH was an extremely toned down CHEMICAL weapon, perhaps then not totally prohibited
रामायण त्रेता युग का इतिहास है, और यह हिंदू समाज जितनी जल्दी समझ ले उतना ही देश के लिए और हिंदू समाज के लिए लाभकारी है !
आम हिंदू बड़े गर्व से यह तो कहता है की रामायण के काल मैं विमान थे, लकिन जब उससे इस सत्य के अनुसार इतिहास को समझने को कहा जाता है, तो वोह संस्कार या अपने गुरु का हवाला दे कर अलग हो जाता है ! यह दोनों तरह से गलत है ! संस्कार कभी यह नहीं कहते की नई सूचना का स्वागत मत करो; यह तो रूढिवाद हो गया ! हिंदू धर्म और हमारे संस्कार कभी भी रूढिवाद की अनुमति नहीं देते |
उसी तरह से धर्म गुरु यदि समाज की प्रगति के लिए धर्म का प्रचार कर रहै हैं , तो वे भी इस रूढिवाद को अस्वीकार कर देंगे , लकिन अफ़सोस ऐसा हो नहीं रहा है ! आज के धर्म गुरु धन और राजनेतिक शक्ति के लिए धर्म का प्रचार कर रहे हैं , और यही कारण है की आजादी के ६५ वर्ष बाद हिंदू समाज गरीब हो गया और धर्म गुरु शक्तिशाली और धनवान !
ध्यान रहे इस नकारात्मक अभिवृत्ति के कारण, हिंदू संस्कृति जो कि अत्यंत गौरवपूर्ण है, उसका सदुपयोग हम अपनी अंतररास्ट्रीय छबी सुधारने के लिए नहीं कर पा रहे हैं , तथा यह एक प्रमुख कारण है हमारे हीन मानसिकता की !
“विज्ञान का विकास कोइ अस्माकित घटना नहीं होती ! उसके लिये यह आवश्यक है कि अनुकूल वातावरण हो, शिक्षा का स्थर विज्ञान सम्बंधित शोघ को समाज तक पहुचाने की क्षमता रखता हो, तथा समाज और शासन की, विज्ञान से जो आधुनिकरण सम्बंधित लाभ हो रहे हो, या हो सकते हैं , उसकी मांग हो !
"सत्ययुग मैं और त्रेता युग मैं श्री राम से पूर्व अनेक युद्ध हुए थे , लेकिन कभी भी सृष्टी का विनाश इस तरह से नहीं होपाया , जैसे की महाभारत के बाद हूआ था ! यदपि युद्ध मनुष्यता के नाम पर कलंक है, लेकिन यह भी सत्य है की अधिकाँश आधुनीकरण युद्ध , या युद्ध उपरान्त ही हुए हैं !
"यह एक तथ्य है जिसे नक्कारा नहीं जा सकता ! पूर्ण विनाश , महाभारत की तरह नहीं हो पाया, इस लिये समाज उन्नंती करता गया! उसका एक उद्धारण तो हम सब को मालुम है; शिव धनुष जो की प्रलय स्वरूप, विनाशकारी था(WEAPON OF MASS DESTRUCTION), और जिसको बनाने के लिये विकसित विज्ञान की आवश्यकता थी , वोह श्री राम से पूर्व त्रेता युग मैं था !
"सारे संकेत यह दर्शाते हैं कि विज्ञान उस समय आज से कहीं ज्यादा विकसित था ! कुछ उन्ही संकेतों पर हम यहाँ पर चर्चा करेंगें ! लेकिन इससे पहले यह आवश्यक है कि हम यह समझ लें कि उन संकेतो को अब तक नक्कारा कैसे गया है !
"बहुत ही आसान तरीके से; जहाँ जहाँ विज्ञान का असर दिखाई दिया, वहाँ यह समझा दिया गया कि रामायण के चरित्रों के पास अलोकिक और चमत्कारिक शक्तियां थी ! पुराने समय मैं यह बात ठीक भी थी, चुकी विज्ञान सम्बंधित सुचना का आभाव था, लेकिन आज क्यूँ ?”
स्पष्ट है की यदि प्रलय स्वरूपि शस्त्र श्री राम से पहले त्रेता युग मैं थे, और विमान भी थे, तो वह समय विज्ञानिक स्थर से विकसित था ! यहाँ तक विकास हो गया था की प्रलय स्वरूपि शस्त्र , जैसे की शिव धनुष को विघटित करा जाने लगा था ; अर्थात विकास कम से कम आज के समय से अधिक विकसित था ! और हमारी सोच की सीमा है, जितना विकास हमने देखा है , उससे आगे हमें कल्पना का सहारा लेना होता है !
निश्चय ही रसायन शस्त्र मैं भी अंकुश लगाए गए होंगे ! नागपाश एक ‘तनुकृत और कम शक्ति’ वाला रसायन अस्त्र था जिसका प्रयोग संभवत पूरी तरह से वर्जित नहीं था ! उसकी मार मैं एक या दो व्यक्ति ही आ सकते थे !
युद्ध मैं मेघनाथ ने नागपाश रसायन अस्त्र का प्रयोग करा , तो हनुमान गरुर्ड जो कि “हवाई स्वास्थ्य सेवा” थी संभवत: आज के रेड क्रोस जैसी(जिसे अंतररास्ट्रीय मान्यता , युद् छेत्र मैं स्वास्थ सेवा प्रदान करने कि प्राप्त हो), को समय से ले आय, और दोनों , श्री राम और लक्ष्मण के प्राण बचा लिए !
रामायण को त्रेता युग का इतिहास समझ कर यदि समझा जाय तो समाज का कल्याण है, और हमारी मानसिकता का भी सुधार होगा, वर्ना पतन के मार्ग पर तो हमारे गुरुजनों ने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए हमें ढकेल ही दिया है !
जय श्री राम, जय माता सीता !!!
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