Friday, April 20, 2012

शिव धनुष को विघटित करके राम ने क्या धर्म स्थापित करा

सनातन धर्म मैं यदि वेद को समझने मैं कोइ त्रुटि हो रही हो, तो रामायण और महाभारत को दूसरा वेद मानकर, मनुष्य रूप मैं अवतार ने जो आदर्श और उद्धारण प्रस्तुत करें हैं उसे धर्म मान कर आगे बढ़ा जा सकता है |
हिंदू धर्म रामायण को इतिहास मानता है, और उसके पीछे कारण यह है कि यदि वेद को समझने मैं कोइ त्रुटि हो रही हो, तो रामायण और महाभारत को दूसरा वेद मान कर , मनुष्य रूप मैं अवतार ने, जो आदर्श और उद्धारण प्रस्तुत करें हैं , उसे धर्म मान कर आगे बढ़ा जाय !
सोच यही रही है कि समाज कि प्रगति हर समय होनी चाहिए; और यदि नहीं हो रही है तो धर्म को गुरुजन सही तरह से नहीं समझा पा रहे हैं ! इतना सब होते हुए भी समाज कि उनत्ति नहीं हो पाती, अत्यंत खेद का विषय है !

यहाँ पर ‘शिव धनुष को विघटित करके राम ने क्या धर्म स्थापित करा’ इस पर चर्चा करेंगे! आपको फिर से बताना चाहूँगा, की हर महत्वपूर्ण इतिहासिक घटना जो रामायण मैं घटी है, उससे हमें धर्म मिलेगा जो की आज भी उतना ही कारगर होगा ! इसका सीधा अर्थ यह भी हुआ की हर घटना जिसमें श्री राम और माता सीता शामिल हैं, वह एक धर्म समाज को बताएगी ! इससे यह भी लाभ मिलता है की रामायण मैं अनकहे जो रिक्त स्थान है उन्हें भरने मैं भी सहायता मिल जाती है !

ताड़का वध उपरान्त, राक्षस मारीचि को एक तेज विमान(जो की दिखने मैं बिना फन का तीर जैसा लगता था) द्वारा रावण के पास भेजा गया, ताकि रावण को वार्ता के लिए लाया जा सके !पढीये : रामायण ..त्रेत्र युग का इतिहास
राजा जनक भी उस बैठक मैं भाग लेने पहुचे| वहाँ अन्य निरणों के अतिरिक्त यह भी निर्णय लिया गया की शिव धनुष , जो की प्रलय स्वरूपि विनाशकारी(WEAPON OF MASS DESTRUCTION) है, उसको तत्काल विघटित कर दिया जाय| उसके बिना आगे राज्यों मैं आम समाज कल्याणके कार्य, जिसमे एक दुसरे का सहयोग अनिवार्य है, संभव नहीं हैं ! राजा जनक ने यह निर्णय लिया की शिव धनुष का विघटित होना अति आवश्यक है, और इसके लिए वे सीता के स्वम्बर की घोषणा भी करते हैं !
जनकपुरी पहुँच कर उद्यान मैं स्वम्बर से पहले सीता और राम ने एक दुसरे को देख लिया , और प्रेम भी दोनों को होगया ! लक्ष्मण तक को विदित हो गया कि राम को सीता से प्रेम हो गया है !

अब प्रश्न यह है कि राम ने स्वम्बर मैं स्वेच्छा से भाग क्यूँ नहीं लिया ? वे क्यूँ इंतज़ार करते रहे कि उन्हें आदेश मिले स्वम्बर मैं भाग लेने के लिए ?

ध्यान रहे कि जब स्वम्बर इस स्थिति मैं पहुँच गया कि कोइ शिव धनुष का विघटन नहीं पा रहा था, तब महाऋषि विश्वामित्र के आदेश पर राम उठे और शिव धनुष का विघटन करा ! क्यूँ ? 

राम सक्षम थे शिव धनुष का विघटन करने के लिए, तथा तब तक सीता से प्रेम भी हो चूका था, फिर क्यूँ नहीं राम ने पहले जा कर शिव धनुष विघटित करने का प्रयास करा ? क्या यह गलत उद्धारण तो नहीं है समाज के लिए ?

यह सच है कि जब राम को सीता से प्रेम हो गया था, तो राम का यह धर्म था कि स्वम्बर मैं सीता को वरण करें , और यह भी सत्य है कि स्वंम राजा जनक, विश्वामित्र और राम, लक्ष्मण को स्वम्बर के लिए निमंत्रित करने आये थे , फिर क्यूँ राम इंतज़ार करते रहे ? 

ध्यान रहे शिव धनुष जनकपुरी मैं सभी राज्यों की सहमति से रखा हुआ था ! उसके विघटन से पहले सभी राज्यों को यह बताना आवश्यक था कि क्या निर्णय लिए गए हैं ! राम और लक्ष्मण एक विशेष कार्य के लिए विश्वामित्र के साथ थे ! उस कार्य का अंतिम चरण शिव धनुष का विघटन था, वह भी समस्त राज्यों को रावण से निर्णय सम्बन्धी सूचना देने के बाद ही संभव था ! 

स्वम्बर का आरम्भ का अर्थ था कि सूचना सब को मिल गयी है , परन्तु अनमोदन पूर्ण तभी माना जा सकता था, जब सब इच्छुक राजाओं ने आयोजन मैं भाग ले लिया| 

जैसा कि पहले कहा गया है, राम और लक्ष्मण एक विशेष कार्य के लिए विश्वामित्र के साथ थे ! उस कार्य का अंतिम चरण शिव धनुष का विघटन था, तथा यह विशेष कार्य सभी राज्यों को प्रभावित करता था ! विघटन से पूर्व सब राज्यों को उस समय की परंपरा के अनुसार इस संधि का अनमोदन आयोजन मैं भाग लेकर होना आवश्यक था| राम का राजसिक कर्तव्य प्रेम के उपर भारी पड़ रहा था |

अयोध्या कि सांख दाव पर लगी हुई थी क्यूंकि अयोध्या की सहायता से ही यह विश्व हित मैं शान्ति हेतु कार्य हो रहा था ! ध्यान रहे कि हर व्यक्ति जो राष्ट्र कि विशेष सेवा मैं कार्यरत हो उसका प्रथम धर्म है कि अपने निजी स्वार्थ को अलग रखे ! यह तब और आज भी महत्वपूर्ण धर्म है ! आज तो भ्रष्टाचार इसीलिये बढ़ रहा है कि राष्ट्र कार्य मैं लगे लोग केवल व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धी कर रहे हैं ! वह तबभी और आज भी अधर्म था और है !

ऐसे मैं राम अपने व्यक्तिगत स्वार्थसिद्धी के लिए स्वम्बर मैं कैसे भाग ले सकते थे ; श्री राम ने स्वम्बर मैं भी जन हित के उद्देश को पूरा करने के लिए ही भाग लिया , चुकी शिव धनुष का विघटन होना अवाश्यक था !
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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.