मत्स्य अवतार का उल्लेख है , जो कलयुग के अंत में , जब पृथ्वी पूरी तरह जलमग्न हो जाती है , तो इस युग के कुछ लोगो को, अगले महायुग मैं ले जाने मैं सहायक सिद्ध होता है | पुरानो की माने तो ‘अंतराल’ अथार्त बीच का समय , यानी की वर्तमान कलयुग का अंत और नए महायुग के शुरुआत की दूरी ७,२०,००० वर्ष की है | इतने लंबे समय मैं , जब पृथ्वी जल-मग्न हो, तो भोजन का अभाव और समुन्द्र पर रहने की क्या अवश्यकताएँ हो सकती हैं , कोइ नहीं बताता, लकिन अनुमान हर व्यक्ति लगा सकता है |
उसमे, जो मुझे पता है , बता रहा हूँ ;
सतयुग मैं राहू , केतु का जन्म , तथा उनका अंत/मृत्यु कलयुग के अंत मैं |
ध्यान रहे कि राहू , केतु के जन्म का अर्थ है , कि शांत और स्थिर समुन्द्र मैं मंथन शुरू हो गया , या कहीये की समुन्द्र क्रियाशील हो गया, और लहरे उठने लगी | स्पष्ट है कि कुर्म अवतार यह दर्शाता है कि समुन्द्र सक्रिए हो गया है | संभवत: कुर्म का स्वंम उसमें कोइ योगदान नहीं रहा हो | हाँ , कुर्म अवतार राहू और केतु का जन्म भी दर्शाता है |
कुछ उसी तरह से वराह अवतार का भी स्थान है | कुर्म जल का प्राणी था, जो जब पृथ्वी पर दिखाई देने लगा, कुछ कुछ समय के लिए, तो समुन्द्र गतिशील हो गया , और लोगो ने कुर्म के दर्शन का इसे फल मान कर , कुर्म को अवतार मान लिया | परन्तु वराह जल का प्राणी नहीं था , वोह वन का प्राणी था | एक तरफ भूमि का छेत्रफल बढ़ रहा था, उधर वन से कभी कभी व्रारह निकल कर आता और मनुष्यों को उसके दर्शन हो जाते | मनुष्य ने समुन्द्र को घटने की प्रक्रिया को वराह से जोड़ दिया और वराह अवतार हो गए | यह भी पढीये: हिंदू इतिहास ...सत्ययुग में इश्वर अवतार
मेरा उद्देश यहाँ पर समस्त अवतार पर चर्चा करने का नहीं है , मेरा अभिप्राय मात्र अवतार का महत्त्व/महत्ता पर प्रकाश डालने का है, ताकि अवतार की परिभाषा पर पंहुचा जा सके |
एक और महत्वपूर्ण अवतार हैं नरसिंह अवतार | अवतार की परिभाषा कि आवश्यकता ही इसलिये पड़ रही है क्यूंकिहिंदू सृजन(CREATION) को नहीं, क्रमागत उन्नति(EVOLUTION) को पृथ्वी का विकास का कारण मानते हैं , तथा यह समझना आवश्यक है कि अवतार की निश्चित आयु और जन्म होता है | हमारे धार्मिक ग्रंथो मैं बहुत कुछ है , लकिन उसे वर्तमान समाज को केन्द्र बिंदु मान कर समझना और समझाने का कार्य धार्मिक गुरु नहीं कर रहे हैं |
नरसिंह वन मैं मनुष्य की नई प्रजाति मैं से थे, उनके पूँछ भी थी और मुख सिंह जैसा | हिर्नाकश्यप से युद्ध मैं पहली बार मनुष्य और मनुष्य की नई प्रजाति, एक साथ लड़े | युद्ध मैं नरसिंह ने हिर्नाकश्यप को परास्त करा और मार दिया | नरसिंह अवतार, आज भी मनुष्य की संकट मैं , अन्य प्रजाति के मनुष्य के साथ मिल कर सामान्य शत्रु से लड़ने का एक प्रतीक है | यह सत्य है कि राक्षस भी मनुष्य थे, लकिन चुकी वे नरभक्षी थे, इसलिए मनुष्य के शत्रु ही हैं | अधिक जानकारी के लिए : नरसिंह अवतार.. क्रमागत उन्नति की प्रक्रिया से उत्पन्न मनुष्य
- मत्स्य अवतार ने मानव को वोह परिस्थिती उपलब्ध कराई , जो उस समय जीवित रहने के लिए आवश्यक थी |
- कुर्म अवतार, वराह अवतार ने सिर्फ दर्शाया , उन परिस्थितिओं को, जिससे मानव जीवन मैं उल्लेखनीय सुधार आया |~~~ध्यान दे : कृपा दर्शाने और उपलब्ध कराने के अंतर को समझें |
- वामन अवतार और नरसिंह अवतार ने एक समय का सुधार मानव के हित मैं करा |
- परशुराम , राम , फिर परशुराम , बलराम और कृष्ण लंबी अवधी तक मनुष्यों के साथ रहे और आवश्यक सुधार लाए | ध्यान दे लंबी अवधी का अर्थ है कि इतिहास, उनकी लंबी अवधी का उपलब्ध है , भले ही उसमें काफी कुछ जोड़ा घटाया गया है |
- अवतार , या तो दर्शाते हैं , या उपलब्ध कराते हैं, ऐसी परिस्थिती जिसमें मानव के जीवित रहने मैं उल्लेखनीय सुधार हो| मनुष्य रूप मैं अवतार अवतरित हो कर आवश्यक सुधार मानवता की प्रगति के लिए लाते हैं , जब , जब की मानवता अत्यंत संकट मैं हो | और भौतिक प्रयास समाज की प्रगति के लिए जो करा जाता है , वह धर्म है |
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