Saturday, August 2, 2014

राम का वनवास, राजसी सन्देश है कि समाज कुटुंब से उपर है

एक बार फिर से भौतिक और इतिहास के परिपेक्ष मैं रामायण के विभिन्न वृतान्त को श्री राम के वनवास तक समझ लें|
उस समय भारत मैं तीन प्रमुख राज्य थे; जनकपुरी, जो की हिमालय, और हिमालय की तराई के छेत्रो का बड़ा राज्य था, वाराणसी, जो की गंगा छेत्र जो समुन्द्र तक जाता है, और अयोध्या, जो की नीचे कन्याकुमारी तक विस्तृत था| 
चुकी नए महायुग मैं सतयुग के चारो भाग समाप्त हो चुके थे, त्रेता युग के तीन मैं से एक भाग समाप्त हो चूका था, और दूसरा चल रहा था, इसलिए मानव विज्ञानिक विकास काफी कुछ कर चूका था | 

विज्ञानिक विकास के बारे मैं इसलिए भी पूर्ण विश्वास से कहा जा सकता है, क्यूंकि सतयुग के आरम्भ से श्री राम के अवतार तक का समय कम से कम ७ से ८ लाख वर्ष का है, जिसमैं ना-तो युद्ध के कारण, और नाही प्राकृतिक विपदा से पूर्ण श्रृष्टि विनाश का संकट कभी आया , और विकास होता चला गया| 
आज हम सबको यह समझना इसलिए भी आसान है क्यूँकी महाभारत युद्ध मैं जब पूर्ण विनाश हो गया और, हम अगर आज के विज्ञानिको की माने, तो ५००० वर्ष पहले हम पाषाण युग मैं पहुच गए थे तो ५००० वर्ष मैं आज के मानव की विज्ञानिक उनत्ती, यह आसानी से समझाती है कि श्री राम के समय मैं वास्तव मैं विमान थे, आधुनिक संचार था, और प्रलय स्वरूपी शिवधनुष(WEAPON OF MASS DESTRUCTION, WMD) का विघटन होने लगा था |

महर्षि विश्वामित्र, जैसाकी उनका नाम है, विश्व हित के लिए श्री राम और लक्ष्मण को मांग कर ले जाते हैं, या यह कहिये कि श्री राम और लक्ष्मण के संगरक्षण मैं आधुनिक सेना की टुकड़ी अयोध्या से मांग कर ‘वन’ मैं ले जाते हैं | वन मैं राक्षसों ने आंतक मचा रखा था, वनमैं मानव की नई प्रजाती वानर का शिकार करके, राक्षस उनको खाने के लिए प्रयोग करते थे, और अगर जिन्दा पकड़ लेते थे, तो उनका जानवरों की तरह से व्यापार होता था, जानवरों की तरह से उनसे काम लिया जाता था|और चुकी राक्षस की परिभाषा ही है ‘वोह मानव जो नर-भक्षी है’, बहुत बार मनुष्य, मुनि भी गाएब हो गए, कभी कभी तो उनके कंकाल मिले|

विश्वामित्र जिस यज्ञ(यज्ञ का अर्थ:- समाज हित मैं सामूहिक कठोर प्रयास, ना की अग्नि के सामने बैठ कर आहुती देना) के लिए, राम-लक्ष्मण को ले कर गए थे, उसका उद्देश स्पष्ट था, पहले राक्षसों को मार कर, फिर वार्ता से वन मैं शान्ति स्थापित करना| राक्षसों को ललकारते ही तुरंत सफलता मिली, ताड़का का वध हो गया, बाकी राक्षस पकड़ लिए गए, उसमें से रावण के एक मुखिया मारीची जो की ताड़का का पुत्र था, उसको विशेष विमान द्वारा रावण के पास भेजा, ताकी रावण आ कर वार्ता कर सके | तुलसीदास जी ने इसे ‘बिना फन वाले तीर से’ कहकर वर्णन करा है|

रावण आए, बाते होई, यह निश्चित हुआ की सिर्फ बाते करने से कुछ नहीं होगा, किसी को वानरों को आधुनिक नागरिक शास्त्र और अस्त्र-शास्त्र की शिक्षा देनी होगी, तभी उनको राज्य और राज्यों के नागरिक स्वीकार कर पायेंगे |क्या राम इस कार्य के लिए १०-१२ वर्ष वन मैं रहकर उनको प्रशिक्षित करने के वचन दे सकते हैं? और राम ने वचन दे दिया | पढ़ें: रामायण ..त्रेत्र युग का इतिहास
स्वाभाविक है की जब दशरथ ने पूरी योजना बना कर, राम को घेर कर तैयार करने की कोशिश करी की वे युवराज बन जाएं, दशरथ को पता था, राम की इच्छा वन जाने की है| पढ़ें:वन जाने में कैकई ने राम की सहायता क्यूँ करी

ऐसे मैं कैकई का श्री राम का साथ देना, और राजा दशरथ से दो वर माँगना, ताकी राम वन जा सके आप क्या कहेंगे , पुत्र मोह , कुलक्षणा, या कैकई का श्री राम के विचारों से सहमत होना की राज घराने का उत्तरदायित्व समाज के प्रति अधिक है , और ना की किसी राजा की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के प्रति !
बड़े कष्ट की बात है की श्री राम का इतिहास उपलब्ध है, लकिन उसका दुरूपयोग चमत्कार की चादर से ढक कर हो रहा हैं, ताकी समाज को सही धर्म का पता ना पड़ सके और समाज मैं धर्म सेजो सुधार आने चाहीये, वे ना आ पाएं |

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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.