Thursday, April 26, 2012

एक पुरुष एक विबाह..को राम धर्म क्यूँ नहीं बना पाए ?

अवतार जो अनेक सुधार अवतार चाहते हैं, कुछ पर अंकुश लगाना होता है| समाज के शक्तिशाली लोग सुधार का विरोध करते हैं और अवतार, बिना चमत्कारिक शक्ति के मात्र उद्धारण से धर्म स्तापित करने का प्रयास करते हैं |
श्री राम भगवान विष्णु के अवतार थे जो कि अत्यंत कठिन समय मैं , समाज को उचित दिशा , अपने स्वंम के उद्धारण से दर्शाने आए थे ! समझने कि बात यह है कि अवतार समाज मैं सुधार किस प्रकार लाते हैं ? 

क्या हर प्रयास उनका सफल हो जाता है ?
अगर ऐसा होता तो त्रेता यग मैं एक के बाद एक अवतार क्यूँ आए ?
परशुराम अवतार के तत्पश्यात राम अवतार , क्यूँ ? 
नहीं, यदि ऐसा होता तो परशुराम अवतार के बाद तुरंत राम अवतार कि आवश्यकता नहीं पड़ती |

यह ब्लॉग रह रह कर इस बात को बताने का प्रयास कर रहा है कि हिंदू, पृथ्वी के विकास का कारण सृजन(CREATION) नहीं , क्रमागत उन्नति(EVOLUTION) मानते हैं , और यही कारण है कि हिंदू इस बात को मानते हैं कि जब जब समाज कि स्थिति अत्यंत गंभीर हो जाती है और ऐसा लगने लगता है कि प्रलय निश्चित है, तब इश्वर मनुष्य रूप मैं अवतार लेते हैं | लकिन मनुष्य रूप मैं , इश्वर अवतार की भी सीमाए है | जो अनेक सुधार अवतार चाहते हैं , उन मैं से कुछ पर अंकुश लगाना होता है क्यूंकि चमत्कार तो अवतार के पास होता नहीं है | समाज के शक्तिशाली लोग सुधार, तथा उससे होने वाले परिवर्तन का विरोध करते हैं, और अवतार, बिना अलोकिक और चमत्कारिक शक्ति के मात्र उद्धारण से धर्म स्तापित करने का प्रयास करते हैं | स्वाभाविक है ऐसे मैं कुछ समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता |
श्री राम ने भी एकाधिक विवाह का विरोध करा, तथा नियम बनाया कि एक से अधिक पत्नी कोइ नहीं रखेगा , परन्तु उसे कभी भी धर्म की मान्यता नहीं दिला पाए | व्यक्ति जब धन और शक्ति अर्जित कर लेता है तो उसे हर सुख चाहिए, उसके लिए ऐसे शक्तिशाली व्यक्ति, आवश्यक परिवर्तन धर्म मैं भी करा देते हैं | येही कारण है कि ‘एक पुरुष एक विवाह’ कभी धर्म नहीं बन पाया |
याद रखिये शक्तिशाली व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से सदेव धर्म के साथ होता है , वह धर्म मैं हेरफेर करके धर्म को अपने साथ करने की क्षमता रखता है, और यही कारण है की पतन पहले धर्म का होता है, फिर समाज का और फिर श्रृष्टि का |
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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.