Friday, June 21, 2013

क्या प्राचीन युगों मैं अस्त्र-शस्त्र सिद्ध मन्त्र से संचालित होते थे ?

‘रावण ने माया रची', प्राचीन युगों मैं अस्त्र-शास्त्र का सिद्ध मन्त्र से संचालन, अन्य लंबी दूरीके ध्वनिक यंत्र, अब आम बात है, और अज्ञान के कारण धर्मगुरु इसे समाज को समझा नहीं पारहे हैं~~रामायण और महाभारत, को बिना अलोकिक और चमत्कारिक शक्ति के समझना अनिवार्य है, ताकि हिंदू छात्रों को प्राचीन विज्ञान की जानकारी मिले, शोघ के लिए ज्ञान मिले, और हिंदू समाज विश्व मै उचित प्रतिष्ठा पा सके
आवाज का अपना ही विज्ञानिक महत्त्व है; तथा आपकी आवाज अद्वित्तीय है| हर व्यक्ति की आवाज़ मैं एक निश्चित और अलग अंदाज़ से आवृति(FREQUENCY) और पिच(PITCH) होती है, जो की शब्दों के साथ साथ बदलती है, और इन सब कारणों से वोह अद्वित्य हो जाती है| 
पुरानो मैं, प्राचीन समय मैं मन्त्र सिद्ध अस्त्र-शस्त्र का उल्लेख है; परन्तु चमत्कारिक और अलोकिक शक्ति की चादर के कारण हम उसको समझ नहीं पा रहे है, और इसी मिथ्या की चादर के कारण, जो की धर्मगुरु उतारना नहीं चाहते, युवा हिंदू छात्र न तो प्राचीन शास्त्रों मैं दिलचस्पी ले रहे हैं, और ना ही उसपर आगे शोघ कर पा रहे हैं| यह अत्यंत खेद का विषय है|

सत्य तो यह है कि आज का विज्ञान कम से कम इतना तो विकसित तो हो गया है, कि हम सब आसानी से यह समझ सकते हैं की किसी भी यंत्र को, आवाज़ कह लीजिए या सिद्ध मन्त्र द्वारा संचालित कर सकते है| 
आज आम लोगो के पास ऐसे मोबाइल फोन हैं, कंप्यूटर हैं, जिनको आवाज़ या सिद्ध मन्त्र से ताला लगाया जाता है, और खोला जाता है| और तो और, ऐसे सॉफ्टवेर अब नेट पर मुफ्त मैं उपलब्ध हैं , जिन्हें आप नेट से उतार कर स्वंम प्रयोग कर सकते हैं |
लिंक प्रस्तुत है :
सिर्फ दो लिंक प्रस्तुत हैं, नेट पर ऐसी अनेक लिंक उपलब्ध हैं| अगर किसी कारण यह लिंक काम करना बंद करदे तो आपको किसी भी बड़े सर्च इनजन (GOOGLE, BING, YAHOO) मैं यह टाइप करके क्लिक करदें, आपको अनेक सॉफ्टवेर मिल जायेंगे|
[टाइप: free software for voice locking]
कष्ट इस बात का है, की हम अपने धर्म गुरुजनों के कारण अन्य विकसित समाज से पीछे होते जा रहे हैं, और हिंदू समाज इस पर कोइ ध्यान नहीं देरहा है| धर्मगुरु तो पैसा कमाने के लिए हिंदू समाज को भावनात्मक रखना चाहते हैं, और अज्ञानी भले ही हैं, पैसा कमानी की अच्छी खासी अकल है, इसलिए वे चमत्कारिक शक्ति की मिथ्या चादर हटाने देंगे नहीं, ताकि समाज कम भावनात्मक हो कर कर्मठ ना हो जाए और उसका सीधा परिणाम धर्मगुरू-जानो की आमदनी पर पडेगा, क्यूँकी कर्मठ समाज से उतना धन प्राप्त नहीं होगा, जितना भक्त और भावनात्मक समाज से हो सकता है. क्यूँकी भक्त और भावनात्मक समाज हर दिव्य कृपा के लिए इन धर्मगुरु-जनो पर आश्रित है, जो की कर्मठ समाज नहीं होगा| 
अब कुछ अन्य प्रयोग जो की आज के युग मैं हो रहा है, मन्त्र सिद्ध अस्त्र-शस्त्रों का:
  1. लंबी दूरी का ध्वनिक यंत्र, जो की अब उपलब्ध है, और कुछ देशो की पुलिस भीड़ को तितर-बितर करने के लिए प्रयोग कर रही हैं, इस यंत्र के सैनिक प्रयोग भी हैं ; लिंक: Long Range Acoustic Device
  2. विज्ञापनदाता संगीत मैं कुछ उच्छ और एकदम कम आवृति की ध्वनि से गानों मैं बिना खरीदारों को बताए, विज्ञापन डालते थे, जिसका प्रभाव सीधे ध्वनि से दिमाग मैं पहुचता है| यह अब कानूनन जुल्म है|
  3. लंदन ओलंपिक मैं ध्वनि यंत्रो को लगाया गया था, ज्यादा जानकारे के लिए पढ़ें: BBC News - Sonic device deployed in London during Olympics
  4. ‘रावण ने माया रची’.. यह वृतांत आपने रामायण मैं सुना होगा और टीवी पर देखा भी होगा| आज कुछ देश उनपर शोघ कर रहे हैं, सिर्फ हिंदू समाज नहीं कर पा रहा है, क्यूँकी हमारे धर्म गुरु नहीं चाहते; लिंक प्रस्तुत हैं; http://www.bibliotecapleyades.net/ciencia/ciencia_nonlethalweapons.htm 
  5. Mind Control Weapons: Artificial Telepathy, Silent Sound Spread Spectrum: ध्यान रहे, इनका प्रयोग इराक युद्ध मैं हो भी चूका है| 
  6. MILITARY USE OF MIND CONTROL WEAPONS
  7. और भी अनेक प्रयोग हो रहे हैं, जिसमें भारत पीछे होता जा रहा है, जैसे मछली पकड़ने के लिए ध्वनि यंत्र आदि|
यह ब्लॉग बार बार इस बात पर जोर दे रहा है कि रामायण और महाभारत, कम से कम बिना अलोकिक और चमत्कारिक शक्ति के समझना अनिवार्य है, ताकि हिंदू छात्रों को प्राचीन विज्ञान की जानकारी मिले, और उस धरोहर का प्रयोग करके हिंदू समाज को उचित प्रतिष्ठा दिला सकें !
जय श्री राम !

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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.