Sunday, October 26, 2014

क्या रामायण से गलत धर्म सिखाकर मेरे राम को पाखंडी साबित कर रहे हैं

मेरे राम पाखंडी नहीं हैं कि सीता को अग्नि देव को सौंप कर सीता के अपहरण को स्वीकृति देंगे, और फिर पूरी सेना के सामने उनकी अग्नि परीक्षा लेंगे| सिर्फ इतना ही नहीं, फिर एक धोबी के कहने पर सीता को त्याग दंगे ! ऐसा कुछ नहीं हुआ; श्री राम और माता सीता ने अग्नि परीक्षा को अधर्म घोषित करा |
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रामायण इतिहास है, और इतिहास का पूरे विश्व मैं एक ही अर्थ है, धर्मगुरुजनों के निजी स्वार्थ के लिए अलग नहीं हो सकता | इतिहास का क्या अर्थ होता है, ब्लॉग के मुख्य पेज पर दिया हुआ है, तबभी फिर से दे देते हैं|

इतिहास की परिभाषा शुरू से यही रही है कि वर्तमान समाज के हित को ध्यान मैं रख कर तथ्यों की प्रस्तुति | इसका जीता जागता उद्धारण है कि एक ही इतिहास हिंदुस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश का है, लकिन तथ्यों की प्रस्तुति ने तीनो देशों मैं इसका स्वरुप अलग कर दिया है |

अवतार के समय कोइ चमत्कार नहीं हुआ, क्यूँकी यदि अवतार चमत्कारिक शक्ति का प्रयोग करेंगे तो क्या धर्म स्थापित करेंगे, क्यूंकि मानव के पास तो कोइ चमत्कारिक शक्ति होती नहीं, तो वोह कैसे उस चमत्कारिक शक्ति से बताए हुए धर्म का प्रयोग करेगा? 

एक उद्धरण उपयुक्त रहेगा, आज के सूचना और विज्ञानिक युग मैं यदि समाज को यह बताया जाता है कि हनुमान जी लंका से छलांग लगा कर हिमालय पर्वत पहुचे, तो उसका कोइ उपयोग नहीं है, क्यूँकी मानव तो ४०-५० फूट की छलांग भी नहीं लगा सकता | जी हाँ यदि यह बताया जाता है कि एक विशेष विमान से वे हिमालय गए थे, तो इस विज्ञानिक युग मैं मानव उस विषय पर सोच सकता है, समाज हित मैं कुछ कर सकता है, धर्म का अनुसरण हो सकता है|
विश्व के विज्ञानिक कह रहे हैं की शिव धनुष जो की प्रलय स्वरूप, विनाशकारी था(WEAPON OF MASS DESTRUCTION), और जिसको बनाने के लिये विकसित विज्ञान की आवश्यकता थी , वोह श्री राम से पूर्व त्रेता युग मैं था !
क्या है चमत्कार ? न समझ मैं आने वाला विज्ञान को ढकने का तरीका , जिसकी आज आवश्यकता नहीं है !
अब प्रश्न यह है कि किसकी बात माने, रामायण की या इस ब्लॉग की?
पहले तो यह समझ लें की रामायण के पूरे विश्व मैं १०० से अधिक संस्करण उपलब्ध हैं, और हर युग मैं श्री राम के अत्यंत लोकप्रिय होने के कारण ऐसा स्वाभाविक भी है; लोकप्रिय व्यक्ति के इतिहास की, बार बार, समाज हित को ध्यान मैं रख कर प्रस्तुति होगी ही होगी| वेदों के साथ तो ऐसा कभी नहीं हुआ, जबकी वेद अत्यंत पुराने हैं | स्वंम सिद्ध पुरुष और महान संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने वाल्मीकि रामायण से हट कर ‘मानस’ की रचना करी, उस समय की आवश्यकताओ को समझ कर|
तो फिर आप और मैं समाज का अहित क्यूँ कर रहे है ? क्षमा करें लकिन ऐसा करके मैं और आप अपनी कर्महीनता का परिचय दे रहे हैं | और फिर आपको सही को गलत प्रस्तुति करने को नहीं कहा जा रहा है, गलत को सही करने को कहा जा रहा है ; देख लीजिये :-
मेरे राम पाखंडी नहीं हैं कि अकेले में (ध्यान रहे, अकेले में, जब लक्ष्मण भी नहीं थे) सीता को अग्नि देव को सौंप कर सीता के अपहरण को स्वीकृति देंगे, और फिर पूरी सेना के सामने उनकी अग्नि परीक्षा लेंगे| सिर्फ इतना ही नहीं, फिर एक धोबी के कहने पर सीता को त्याग दंगे ! ऐसा कुछ नहीं हुआ; श्री राम और माता सीता ने अग्नि परीक्षा को अधर्म घोषित करा |

कैसे करा श्री राम ने अग्नि परीक्षा को अधर्म घोषित ?

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सीता का त्याग राम ने क्यूँ करा... सही तथ्य

‘दोनों पक्ष की लंबी बहस के बाद श्री राम ने यह निर्णय दिया कि सीता कोइ भी भौतिक प्रमाण नहीं दे पायी हैं कि वोह स्वेच्छा से नहीं गयी थी| बिना बल प्रयोग के सुरक्षा रेखा(लक्ष्मण रेखा) स्वंम पार करना और रावण को सुरक्षा रेखा के बाहर जा कर भिक्षा देने को स्वेच्छा से रावण के पास जाना भी माना जा सकता है | उन्होंने यह भी माना कि आज क्यूँकी वोह गर्भवती हैं तथा पूरी तरह से उनके नियंत्रण मैं हैं उनके किसी भी बयान को स्वतंत्र नहीं माना जा सकता ! श्री राम ने अग्नि परीक्षा के परिणाम को निरस्त करते होए सीता को त्याग दिया!’
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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.