Tuesday, October 21, 2014

नरकासुर कौन और क्या है, तथा उसका वध और नरकासुर चौदश कैसे मनाए

श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करा जो की भूमिपुत्र थे, और तभी से दीवाली से पहली चौदश को नरकासुर चौदश या नरकाचौदश कहते हैं | भूमिपुत्र का वध होने के उपरान्त भी भूमिमाता की इच्छा अनुसार, नरकाचौदश दुःख का पर्व नहीं है, इसे हर्ष उल्लास से मनाया जाता है | इस वध का उल्लेख श्रीमद भागवत मैं है | 
यहाँ यह समझेंगे क्या है नरकासुर और क्यूँ और कैसे मनाएं नरकाचौदश|
पहले तो यह समझ लें की जहाँ सुर, असुर की बात हो रही हो, वहां कुछ भी व्यक्तिगत नहीं बचता, सबकुछ सामाजिक हो जाता है, जिसमें समस्त क्रिया समाज हित हेतु स्वंम से शुरू होती हैं |

सुर प्रकृति मैं हर वास्तु का स्वीकृत सामंजस्य है, जिसमें मानव भी है| असुर, सामंजस्य मैं जो नकारात्मक तथ्य या प्रवत्ति होती है, ‘उसके बढ़ जाने को’ पुराणों मैं कहा जाता है | पूरी तरह से समझने के लिएपढ़ें : आजकल वायु देवता बार बार असुरो से क्यूँ परास्त हो रहे हैं

नरकासुर मानव मैं गंभीर असुरी प्रवत्ति को कहते है, जिसके लिए स्वंम भूमिमाता ने भी माना की ‘नरकासुर वध हर्ष उल्लास से मनाया जाना चाहीये’| क्या और कौन हैं यह नरकासुर, जिसका वध करना आवश्यक है, तथा जिसके लिए स्वंम श्री कृष्ण, और भूमिमाता हमें प्रेरणा दे रहे हैं |संभव है... आज के संधर्भ मैं यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो !

विष्णु अवतार श्री कृष्ण ने अपने जीवन काल मैं अनेक युद्ध देखे और लड़े, और फिर अंत मैं विश्वयुद्ध, जिसको महाभारत भी कहते हैं, लड़ा और जीता | युद्ध मैं कुछ भी नहीं बदला; श्रृष्टि के आरम्भ से आज तक; वही चला आ रहा है, और २१ वी सदी के लोगो को सूचना के कारण बहुत कुछ मालूम है, तथा वर्तमान वर्ष अनेक समाज जो की युद्ध मैं घिर गए, उनके लिए नरक बन कर आया है| मुझे लगता है कि आप समझ गए होंगे, तबभी पोस्ट की आवश्यकता हैकी मैं भूमि पर नरक का विवरण यहाँ पर देदूं, हालांकि यह नरक का विवरण जोकी पृथ्वी पर वास्तव मैं असंख्यों बार हुआ है, आपको विचलित कर सकता है, तथा यह भी मन मैं बैठा लें की यह श्रृष्टि के आरम्भ से आज तक.... जी हाँ अभी तक और आगे भी चलता रहेगा !

युद्ध मानव की प्रकृति है, इसलिए श्रृष्टि के आरम्भ से युद्ध भी आरम्भ हो गए, और आज तक चल रहे हैं, इसलिए मैं यह भावनात्मक ‘बकवास’ नहीं करूँगा, की हमें इसका समाधान निकालना चाहीये, चुकी जब अनेक बार इश्वर अवतरित होकर इसका समाधान नहीं निकाल पाए, तो मेरी, आपकी सामर्थ क्या है? युद्ध, और युद्ध के उपरान्त जो नरक होता है, उसे समझ लें, तथा उससे कैसे बचा जाए, यही नरकाचौदश का उद्देश है, और श्री कृष्ण का आदेश |

भारत ने आजादी से पहले १००० वर्ष की गुलामी देखी, और उस बीच हरेक ने अनेक युद्ध | युद्ध मैं एक सेना जीतती है और परास्त सेना और राज्य के कोइ अधिकार नहीं होते | मर्दों को मार दिया जाता है, या काम के लिए गुलाम बना लिया जाता है| परास्त राज्य के बच्चे किसी काम आ नहीं सकते इसलिए ऊची दीवार से फेक दिया जाता है, मारने के लिए, औरतो के साथ हर तरह का दुष्कर्म करा जाता है| इससे ज्यादा नरकासुर प्रवत्ति का विवरण मेरे से भी नहीं हो पायेगा, हालाकि कहने को बहुत कुछ बाकी है| 
REPEAT: युद्ध मैं परास्त उपरान्त मर्दों को काम के लिए गुलाम बना लिया जाता है, परास्त राज्य के बच्चे किसी काम आ नहीं सकते इसलिए ऊची दीवार से फेक कर मार देते हैं, औरतो के साथ हर तरह का दुष्कर्म करा जाता है
और आज, २०१४ के ओक्टूबर मैं यदि इस वर्ष का आकलन करें तो हर समाचार पत्रों मैं ऐसी अनेक घटना जो इस वर्ष होई हैं, विश्व भर मैं, उसका उल्लेख है| याद आता है मुख पर कपडा ढके हुए, और जंजीरों से बंधी होई महिलाएं जो गुलामी के लिए बेचने के लिए बलपूर्वक भेजी जा रही थी, तथा जिनकी मजबूर और विवशता भरी तस्वीर हर समाचार पत्र मैं थी, लकिन इतने आधुनिकरण के बाद भी बचाने कोइ नहीं गया| नरक, घनघोर नरक का क्या और विस्तृत विवरण दें ?

नरक की यह असुरी प्रकृति हर मानव मैं है, जिसे बदला नहीं जा सका, लकिन इससे निबटने के लिए मार्ग हर समाज को ढूँढना होगा, तथा इसके लिए कोइ क़ानून आपको रोक भी नहीं सकता| युद्ध मैं जिसकी विजय होती है वोह आपके क़ानून को तो मानता नहीं, इसलिए निबटने के लिए क्षमता तो हर समाज को विकसित करनी होगी |

तो अब आप कैसे नरकासुर को परास्त करेंगे ? 

इसके लिए अनेक विकल्प तो है नहीं | समाज को एकजुट करना होगा, अंदरूनी शोषण आप पूरी तरह तो समाप्त कर सकते नहीं, लकिन कम अवश्य कर सकते हैं, ताकी समाज मैं भाईचारा बढे, समाज मैं महिलाओ को शिक्षा, और सैन्य शिक्षा भी प्रदान करें, और मानसिक रूप से तथा सैन्य शिक्षा से समाज मैं क्षमता विकसित करें समाज के लिए मरने के लिए और मारने के लिए | कोइ आश्चर्य नहीं, यही सब उन समाजों मैं इस वर्ष हो रहा है जो युद्ध से त्रस्त हैं, आप मीडिया मैं देख सकते हैं, पढ़ सकते हैं | समाज महिलाओं को सैन्य शिक्षा दे रहा है, तथा पूरा समाज मारने और मरने के तैयार हो रहा है | 

और यही करके आप नरकासुर पर विजय प्राप्त कर सकते हैं | 

हिन्दू धर्म भौतिकता को विशेष महत्त्व देता है, इसलिए इस नरकाचौदश से पहले अपनी सोसाइटी/मोहल्ले मैं इस विषय पर विचार विमश अवश्य करें| कमसे कम आरंभिक कार्य समाज को एकजुट होने के लिए आरम्भ करें, और इस पोस्ट को लोगो तक पहुचाएं ...COPY करके ZEROX करके और PRINT करके |
माँ काली और श्री कृष्ण आपको आपके प्रयास के लिए अवश्य आशीर्वाद देंगे !
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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.