वास्तव में सनातन धर्म बहुत आसान है, कोइ गूढता नहीं है, तथा इस विषय पर अनेक पोस्ट ब्लॉग मैं उपलब्ध हैं, इसलिए इस विषय पर इस पोस्ट पर बात नहीं होनी है|
संसार सांसारिक नियमो से ही चलता है, और ‘अध्यात्म और अध्यात्मिक’ उससे हट कर है | संसार मैं यह आवश्यक नियम है कि आपको हर काम का उचित परिश्रम शुल्क चाहिये; आप किसीसे काम करवाते हैं, तो उसे बदले मैं उचित धनराशी देते हैं, जो उस काम के लिए उस छेत्र मैं पर्याप्त आर्थिक प्रतिफल है, और इसी प्रकार आपको भी धन मिलता है, और इन्ही नियमो के तहत संसार चलता है | धार्मिक व्यक्ति उसको स्वीकार करता है, और यह आपको धार्मिक व्यक्ति की परिभाषा से विदित हो जाएगा|
प्राय आपको अध्यात्म के बारे मैं गरुए वस्त्र पहने हुए लोग ही बताएंगे; परन्तु साधू संत ही गरुए वस्त्र पहनते हैं, और ऐसी मान्यता है की ऐसे लोगो ने भौतिक सांसारिक सुख त्याग दिए हैं, फिर वे अध्यात्म की बात कैसे कर सकते हैं?
अध्यात्मिक व्यक्ति:
धार्मिक व्यक्ति व् अध्यात्मिक व्यक्ति मैं अंतर केवल इतना ही है कि जहां धार्मिक व्यक्ति अपने धार्मिक प्रयास से धन अर्जित करता है, आद्यात्मिक व्यक्ति समाज को देनें मैं ज्यादा विश्वास रखता है न कि लेनें मैं! भौतिक संसार मैं यदी कोइ व्यक्ति देनें मैं ज्यादा विष्वास रखता हो न कि लेनें मैं, तो ऐसे व्यक्ति के लिये धन अर्जित करना कठिन हो जाता है!
उसको जीवन मैं अपने इस अध्यात्म व्यवाहर के कारण अनेक कष्ट भोगने पड़ते हैं, समाज उसे असफल कहता है | परन्तु वोह अपनी ‘समाज को देनें मैं ज्यादा विश्वास रखता है’ वाली आदत सुधार नहीं पाता, वोह कष्ट झेलते हुए, असफल के ताने सुनते हुए, ना कभी साधू कहलाता है, ना ही धार्मिक व्यक्ति, तथा गुमनाम की जिन्दगी बिताता है |
अध्यात्मिक व्यक्ति सत्यम शिवम सुन्दरम जैसी पवित्र शब्दावली मैं शिवम है!
धार्मिक व्यक्ति:
वह व्यक्ति जो की अपनी उन्नति के लिये, अपने परिवार, तथा अपने पूरे परिवार, तथा जिस समाज, मोहल्लें, या सोसाइटी मैं वो रह रहा है, उसकी उनत्ति के लिये पूरी निष्ठा व् इमानदारी से कार्यरत रहता है वो धार्मिक व्यक्ति है! ऐसा करते हुए वो समाज मैं प्रगती भी कर सकता है व् घन अर्जित भी कर सकता है !
यहाँ यह स्पष्टीकरण आवश्यक है कि निष्ठा व् इमानदारी से कार्यरत रहने का यह भी आवश्यक मापदंड है कि वह व्यक्ति समस्त नकरात्मक सामाजिक बिंदुओं का भौतिक स्थर पर विरोध करेगा , जैसे कि भ्रष्टाचार, कमजोर वर्ग तथा स्त्रीयों पर अत्याचार, पर्यावाह्रण को दूषित करना या नष्ट करना, आदी, ! ऐसा व्यक्ति सत्यम शिवम सुन्दरम जैसी पवित्र शब्दावली मैं सत्यम है!
साधू या संत:
यहाँ त्याग पूर्ण है ! ऐसे व्यक्ति ने जीवन के समस्त भौतिक सुख त्याग दिये हैं! उसके जीवन का एक ही लक्ष्य है; वोह की संसार को और अधिक सुन्दर बनाना ; ऐसा व्यक्ति हर जीवन को सुखी बनाना चाहता है ! वोह सत्यम शिवम सुन्दरम जैसी पवित्र शब्दावली मैं सुन्दरम है!
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