क्या आप वास्तव मैं यह विश्वास करते हैं कि श्री राम विष्णु अवतार थे ?
मालूम है आपका उत्तर हाँ होगा !
अगर हाँ, तो आपने यह कैसे मान लिया कि राम ने सीता के हरण को स्वीकृती दी ?
यह कहने से काम नहीं चलेगा कि राम ने असली सीता को अग्नि देव को इसलिए सौपा क्यूँकी रावण अगर असली सीता को छु भी लेता तो भस्म हो जाता |
क्या मानक हैं इस विषय पर जिसपर आप अपना उत्तर परखेंगे?
मानक आपका पिता, बहनोई या दामाद ही हो सकता है; मतलब:
अगर आपके ==>>
- पिता आपकी माता के ,
- बहनोई आपकी बहन के,
- और दामाद आपकी बेटी के,
अपहरण को स्वीकृती देते हैं, और आपको स्वीकार है , तो सहर्ष कहीये राम ने सीता के हरण को स्वीकृती दी ?
नहीं तो यह स्वीकार करीये की वाल्मिकी रामायण मैं मुगलों के राज्य मैं , या अंग्रेजो के राज्य मैं कुछ फेर बदल हो गया है |
ध्यान रहे अवतार का पृथ्वी पर हर कर्म एक धर्म है, और जब तक आप श्री राम को पूरे विश्वास के साथ श्री विष्णु का अवतार नहीं मानेंगे, आप हर धर्म जो श्री राम और माता सीता ने स्थापित करे, उससे वंचित रहेंगे , और आपका शोषण भी होता रहेगा |
यह भी समझ लीजिये कि यह बात आपके सामने आपके धर्मगुरु द्वारा आनी चाहीये थी, क्यूँ नहीं आई ?
कहीं ऐसा तो नहीं कि आपकी मानसिकता इतनी कमजोर करदी गयी है कि आपमें अब साहस नहीं है खुल कर इस बात को मानने की कि
‘मेरे और आपके राम पाखंडी नहीं है कि सीता को अग्नि देव को सौप कर सीता के अपहरण की स्वीकृती देंगे, और फिर बाद मैं पूरे समाज के सामने उसकी अग्नि परीक्षा लेंगे’ |
मेरे ख्याल से पाखंडी की परिभाषा मेरी और आपकी एक ही होगी, या वोह भी अलग है?
अगर विष्णु अवतार श्री राम ने सीता के अपहरण की स्वीकृति दे दी थी, तो ...>>>
मेरे पिता, दामाद और बहनोई,
अगर मेरी माता, बेटी और बहन को, जैसा धर्मगुरु बता रहे हैं, अपहरण की स्वीकृती दे देते हैं, तो वोह....>>>
धर्म है या अधर्म?
अमानवीय कर्म है, या पुन्न ?
क्यूँकी धर्मगुरु इसका उत्तर नहीं देंगे,
वोह आपकी मानसिकता को दासता से लिप्त रखना चाहते है, ताकी शोषण हो सके |
और भी ऐसे प्रसंग है, आपको मानसिकता को दासता मैं लिप्त रखने के लिए ; उद्धारण:
- ब्रह्मचारी हनुमान के एक संतान थी....
- द्वारिकाधीश श्री कृष्ण विश्व युद्ध महाभारत मैं द्वारिका की सेना और स्वंम का उस युद्ध मैं क्या योगदान होगा, उसे पूरे गैर-गंभीर तरीके से अर्जुन और दुर्योधन के कहने पर निर्णय ले लेते है, जैसे कोइ खेल प्रतियोगिता है,और श्री कृष्ण ‘धर्म स्थापना’ के लिए अवतरित हुए हैं |
- मर्यादा, मर्यादा पुरुष, मर्यादा पुरुषोत्तम का अर्थ सबको पता है, क्यूँकी गावों तक के लोगो को मर्यादा शब्द का प्रयोग और अर्थ मालूम है,...>>> परन्तु आपको यह नहीं मालूम कि श्री राम मर्यादापुरुषोत्तम क्यूँ कहलाते हैं !
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