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कौन सा अच्छा कर्म था जिससे युधिष्टिर अकेले व्यक्ति बने जो सशरीर स्वर्ग गए
http://awara32.blogspot.com/2016/08/yudhistir-kyun-sshareer-swarg-gae.html
यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि सशरीर कोइ स्वर्ग जाता नहीं, यहाँ तक की अवतार भी नहीं , परन्तु रामायण, महाभारत और पुराण तो वास्तविक इतिहास है, इसलिए इस सत्य पर विवाद नहीं हो सकता | युधिष्टिर एकमात्र अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जो सशरीर स्वर्ग गए !
अब सीधे प्रश्न यह उठता है कि ऐसा कौन सा पुनीत, श्रेष्ठ कर्म इन्होने करा था कि इनको ब्रहमांड की पूरी सकारात्मक उर्जा मिल गयी, जिससे यह संभव हो पाया ?
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निहत्ते द्रोणा को श्रीकृष्ण ने मरवा दिया जो अब धर्म है...इसपर कडवाहट क्यूँ?
http://awara32.blogspot.com/2016/07/acharydron-died-a-bad-death.html
पहले द्रोण को छल से निहत्ता करा फिर उनको मार दिया, जबकी निहात्ते व्यक्ति को युद्ध भूमि में बंदी बनाया जा सकता है, मारा नहीं जा सकता | वोह अधर्म भी था, तब भी और आज भी |
‘गन्दी मौत’ शब्द का प्रयोग इसलिए हो रहा है की आचार्य द्रोण विश्व भर में धर्मगुरु ने नाम से विख्यात थे, और युधिष्टिर के गुरु थे | चलिए श्री कृष्ण तो ईश्वर अवतार थे, धर्म की स्थापना करने आय थे, लकिन युधिष्टिर की ख्याति तो धर्मराज की थी, वे तो किसी भी व्यक्ति को जो युधभूमि में निहत्ता हो, नहीं मार सकते थे, और द्रोण तो उनके गुरु थे|
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१४ कला के अवतार मैं रामराज्य हुआ, फिर १६ कला केसाथ कृष्णराज्य क्यूँ नहीं?
http://awara32.blogspot.com/2016/03/why-no-krishnraj.html
सनातन धर्म प्राकृतिक विकास पर आस्था रखता है, ना की सर्जन पर | दोनों की सोच में अंतर है |
एक में पलक झपकते ही सब कुछ हो जाता है और दुसरे मैं स्वंम श्री विष्णु हज़ारो साल तक युद्ध करके मधु और कैटम्भ को परास्त नहीं कर पाते !
तो यह वाक्य “श्री कृष्ण ने अस्त्र नहीं उठाए, वर्ना युद्ध एक दिन में ही समाप्त हो जाता, पूरी तरह से गलत है|”
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कृष्ण असमाजिक और स्वार्थी रणछोड़ नहीं थे मथुरा त्यागा था समाज हित में
http://awara32.blogspot.com/2016/02/shri-krishna-not-ranchod.html
तो यह बात तो बेकार है की श्री कृष्ण रणछोड़ थे | द्वारिका बसाने के कारण कुछ और ही थे |
आपका भी उत्तरदायित्व है बालहट छोड़ कर महाभारत समझें | सोचीये आजतक आपने महाभारत जैसी प्रथम विश्व युद्ध की गाथा, किन कारणों से युद्ध हुआ, यह समझे बिना भावनात्मक तरीके से समझ ली, ठीक उसी तरह से जैसे की एक तीन साल के शिशु को कहानी सुनाई जाती है | बच्चे को बेवकूफ बना कर कुछ खिलाने, पिलाने या सुलाने के लिए ऐसे मजेदार बे सिर-पैर की कहानी सुनाई जाती है, और आपको शोषण और गुलाम बना कर रखने के लिए |
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कुंती के कहने पर पांचो नेकी द्रौपदी से शादी...जो अधर्म और वेद विरुद्ध है
http://awara32.blogspot.com/2015/10/draupadi-marries-five-pandavs.html
तो जो निर्णय वेद विरुद्ध था, सनातन समाज विरुद्ध था, स्वम्बर के नियमो के विरुद्ध था, उसे धर्मराज युधिष्टिर और उनकी आदरनिये माता कुंती ने, बाकी पांडवो ने, तथा श्री कृष्ण ने क्यूँ स्वीकार, इसपर चर्चा करते हैं |
यह सत्य है कि द्रौपदी का विवाह पांचो पांडवो से हुआ | यह इतिहासिक सत्य है | परन्तु ऐसा क्यूँ हुआ इसका कारण भी बहुत स्पष्ट है; उस समय कन्याओं का अभाव था| अभाव ना कह कर आकाल ज्यादा उपयुक्त होगा | और खेद की बात यह है कि पूरी महाभारत कन्या-अभाव के प्रमाणों से भरी पडी है, लेकिन संस्कृत विद्वानों ने और धर्म गुरुजनों ने सत्य समाज तक नहीं पहुचने दिया |
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वेद भौतिक ज्ञान है..द्रोण रावण जैसे अधर्मी और कपटी वेदज्ञाता नहीं हैं
http://awara32.blogspot.com/2015/07/veda-is-physical-knowledge.html
वेद भौतिक ज्ञान है और वर्तमान समाज केन्द्रित है, परन्तु किसी भी संस्कृत विद्वान और धर्मगुरु ने यह बात समाज को क्यूँ नहीं बताई, इसका उत्तर आपलोग खोजिये| कहीं ऐसा ना हो कि आप यह कहें कि भौतिक ज्ञान का अर्थ नहीं मालूम, तो इसका भी स्पष्टीकरण हो जाए | भौतिक ज्ञान का अर्थ है कि जिसका प्रयोग आप अपने जीवन मैं कर रहे हों| यदि एक व्यक्ति कपटी हो, दुराचारी हो तो आप यह तो कह सकते हैं कि इस व्यक्ति ने वेद पढ़ा है , लकिन यह भी निश्चित है कि उसको वेद का ज्ञान नहीं है, क्यूंकि वेद का ज्ञाता कपटी और दुराचारी तो नहीं हो सकता, और अधर्मी तो बिलकुल नहीं हो सकता | जो भी ये गलत बात बता रहाहै, और ज्ञानी भी अपनेआप को बताता है, उसका उद्देश समाज को ठगने का तो हो सकता है, समाज हित बिलकुल नहीं !
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अवतरित प्रभु कृष्ण को आंशिक सफलता मिली और समाज शोषित होता रहे बताया नहीं
http://awara32.blogspot.in/2015/07/krishna-succeded-only-partially.html
महाभारत जो कि श्री विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का इतिहास है, उसमें यह बात एकदम स्पष्ट और अविवादित तरीके से बताई गयी है कि महाभारत काल मैं अवतरित पुरुष श्री कृष्ण पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाए थे| विश्वयुद्ध महाभारत, श्री कृष्ण ने अवश्य जीता, लकिन उसके उपरान्त सामाजिक ढाचा इतना कमजोर हो गया कि स्वम श्री कृष्ण के सामने द्वारिकावासी लूटमार करते रहे, और श्री कृष्ण कुछ नहीं कर पाए| आम जनता के असंतोष पर सारी जनता को मारा तो नहीं जा एकता, और असंतोष इतना व्यापक था कि अर्जुन को बुलाया और वोह भी असफल रहे|
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शुद्र का शोषण रहित वेदिक अर्थ बिना अवतार के इतिहास के नहीं मिल सकता
http://awara32.blogspot.com/2015/07/meaning-in-vedas-of-shudra.html
यह सूचना युग है, और समाज को देखीये सूचना होते हुए भी अपना शोषण करवा रहा है| कोइ भी कुछ बता सकता है और बताने वाला व्यक्ति यदि धर्म से जुडा हुआ है, तो गलत सूचना से समाज का कितना नुक्सान होता है यह अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता| विडम्बना यह भी है कि सब सबके सामने हो रहा है, यह भी समझ मैं आता है कि गलत हो रहा है लकिन कोइ सुधार का प्रयास नहीं करता, डरते हैं, अपनी कर्महीन मान्सिक्ता के कारण कि कुछ गलत ना होजाए, चुकी धर्म के लोग जुड़े हैं |
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गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से भारत क्यूँ नष्ट हुआ, गुलाम बना..चर्चा और विचार
http://awara32.blogspot.com/2015/06/gurukul-education-destroyed-bharat.html
यह पोस्ट गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के अंदर महाभारत से पहले से जो दोष आ गए, और जो आज तक हैं, उनको ना सुधार कर गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को बिना दोष मुक्त करे अच्छा बताए जाने का विरोध करती है| पोस्ट लिखते हुए अत्यंत कष्ट हो रहा है, क्यूंकि इससे पहले दो पोस्ट शिक्षा पर लिख चूका हूँ, जिसमें भौतिक तथ्यों के आधार पर यह प्रमाणित हो चुका है कि गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से भारत नष्ट हुआ, गुलाम बना, लकिन एक ख़ास वर्ग यह अनुभव करने लगता है कि उसको समाज को भौतिक तत्यों से जो सत्य सामने आ रहा है, उसको नक्कारना है, समाज के सामने सत्य को नहीं आने देना है, और यहीं से समस्या बढ़ जाती है ! इस समाज को यह तो समझना होगा कि कोइ भी तथ्य छिपाया नहीं जा सकता , आज सूचना युग है, सबकुछ सामने आएगा ही |
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द्रोणाचार्य वध...गुरु शिष्य परंपरा पर श्री कृष्ण का एक प्रहार
http://awara32.blogspot.com/2015/05/dronachary-punished-by-krishn.html
‘जब जब धर्म कि हानि होती है, मैं पृथ्वी पर अवतरित होता हूँ’, यह श्री कृष्ण ने ही कहा है, और धर्म की स्थापना के लिए उन्होंने उचित समझा कि द्रोणाचार्य की युद्ध भूमी पर ही हत्या कर दी जाए, जी हाँ युद्ध भूमि पर किसी निहत्ये को बंदी ना बनाकर मारने को हत्या ही कहा जाएगा |
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द्रोणाचार्य द्वारा एकलव्य का अंगूठा गुरु दक्षिणा मैं माँगना शर्मनाक घटना
http://awara32.blogspot.com/2015/05/dronacharys-cruel-behaviour.html
द्रोणाचार्य कुरुवंश के राज्यघराने के बच्चो को शिक्षित कर रहे थे, और यह उस समय प्रतिष्ठा की बात भी थी | और फिर गौरव इस बात का भी था कि शिष्यों मैं अर्जुन, युधिष्टिर, भीम और दुर्योधन जैसे प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे| पांडव और कौरव उनसे शिक्षा ले रहे थे, और यदि शिक्षा का समाज हित मैं कोइ योगदान आप मानते हैं, तो नियति एक विश्वयुद्ध की और विश्व को ले जा रही थी, क्यूँकी गुरु द्रोण एक अत्यंत स्वार्थी, नकारात्मक प्रवति के व्यक्ति थे, गुरु बनने लायक उनमें कोइ गुण नहीं थे | इस शिक्षक और उनकी शिक्षा का कितना योगदान विश्वयुद्ध की और विश्व को लेजाने मैं रहा है, इसपर और चर्चा होनी चाहीये |
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मैकाले कारण नहीं संस्कृत विद्वान और धर्मगुरु समाज की दास मानसिकता के कारण
http://awara32.blogspot.com/2015/04/moral-dharmik-education.html
मेकैउले से पहले गुरुकुल प्रणाली थी जिसमें हमारे टुकड़े होतेरहे, इसपर कुछ और प्रकाश डालते हैं :
*महाभारत ५००० वर्ष पूर्व का इतिहास है, तथा उसके पहले सनातन धर्म मानने वाला पूरा विश्व समाज हिन्दू ही था...लकिन गलत ज्ञान और धर्म के कारण तीन धर्म अफ्रीका मैं पनपे(यहूदी, ईसाई, इस्लाम) |
*राष्ट्रीयता सबसे अधिक महत्वपूर्ण धर्म है, यह २३०० वर्ष पूर्व चाणक्य ने बताया और सब ने माना,..लकिन बाद मैं संस्कृत विद्वानों ने और धर्मगुरुजनों ने ही उसे निजी स्वार्थ के लिए दफना दिया,
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भारतीय शिक्षा प्रणाली तथा सामाजिक मूल्यों की शिक्षा मैं आभाव का कारण
http://awara32.blogspot.com/2015/03/hindu-moral-education.html
भारतीय समाज को यह बताया गया है कि अंग्रेजो के ज़माने मैं एक मेकैउले थे जिन्होंने यह कहा था कि भारत मैं ऐसी शिक्षा प्रणाली पर्याप्त है जो निचले स्तर के सरकारी कर्मचारी उपलब्ध करा सके | जब भी शिक्षा की बात होती है, हम इसी बात को लेकर बैठ जाते है | विश्वास कीजिये हमारी शिक्षा प्रणाली कोइ बुरी नहीं है, हां सुधार की गुंजाईश उसमें भी है | लकिन वोह सुधार विद्यार्थी को आज के परिपेक्ष मैं रोजगार, और समाज की अवश्यक्ताओ के प्रति अधिक उपयोगी बनाना है | उसके लिए सूचना और आज के उपकरणों की जानकारी और निपुर्नता भी महत्वपूर्ण है | सामाजिक मूल्यों की शिक्षा सदा धर्म से मिली है , और मिलेगी !
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युद्ध मैं द्वारिका की भूमिका अर्जुन दुर्योधन तयकरें तो कृष्ण देशद्रोही हैं
http://awara32.blogspot.com/2014/12/gurus-ensuring-societies-exploitation.html
आप सबने महाभारत की वोह कहानी तो सुनी होगी कि कैसे दोनों, अर्जुन और दुर्योधन, एक ही समय द्वारिका पहुंचे द्वारिकाधीश श्री कृष्ण से युद्ध मैं समर्थन मांगने के लिए, और उस समय श्री कृष्ण सो रहे थे, तो दोनों को उनके शयन कक्ष मैं ही भेज दिया गया इंतज़ार करने के लिए | आगे कथा यह है कि दुर्योधन कृष्ण के सिरहाने बैठ गए, और अर्जुन चरणों के पास| श्री कृष्ण की जब नींद खुली तो उन्होंने दोनों का अभिप्राय जानने के बाद बताया की एक तरफ उनकी नारायणी सेना रहेगी, और दूसरी और वे अकेले और युद्धभूमि मैं वे अस्त्र नहीं उठाएंगे |
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नरकासुर कौन और क्या है, तथा उसका वध और नरकासुर चौदश कैसे मनाए
http://awara32.blogspot.com/2014/10/war-and-slavery-narkasur.html
विष्णु अवतार श्री कृष्ण ने अपने जीवन काल मैं अनेक युद्ध देखे और लड़े, और फिर अंत मैं विश्वयुद्ध, जिसको महाभारत भी कहते हैं, लड़ा और जीता | युद्ध मैं कुछ भी नहीं बदला; श्रिष्ट के आरम्भ से आज तक; वही चला आ रहा है, और २१ वी सदी के लोगो को सूचना के कारण बहुत कुछ मालूम है, तथा वर्तमान वर्ष अनेक समाज जो की युद्ध मैं घिर गए, उनके लिए नरक बन कर आया है|
मुझे लगता है कि आप समझ गए होंगे, तबभी पोस्ट की आवश्यकता हैकी मैं भूमि पर नरक का विवरण यहाँ पर देदूं, हालांकि यह नरक का विवरण जोकी पृथ्वी पर वास्तव मैं असंख्यों बार हुआ है, आपको विचलित कर सकता है, तथा यह भी मन मैं बैठा लें की यह श्रृष्टि के आरम्भ से आज तक.... जी हाँ अभी तक और आगे भी चलता रहेगा !
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वासुदेव कृष्ण पूरी सोलाह कला के साथ अवतरित हुए, क्यूँ?
http://awara32.blogspot.com/2014/08/kalas-define-avatars.html
श्री विष्णु अवतार वासुदेव कृष्ण पृथ्वी पर अवतरित होते हैं धर्म की स्थापना के लिए | एक विशाल महायुद्ध का नायक उन्हें बनना पड़ता है, जिसको जीत तो वे जाते हैं, लकिन पूरे विश्व की बर्बादी के बात, अत्यंत ही भयंकर नर संघार के बाद | उस युद्ध मैं इस तरह के आधुनिक अस्त्र शास्त्रों का प्रयोग हुआ कि नरसंघार के अतिरिक्त सामाजिक ढाचा भी पूरी तरह से कमजोर हो गया, और सौ साल के अंदर डह गया....विश्व पाषाण युग मैं चला गया | आज भी किसी को नहीं मालूम कि महाभारत काल के पिरामिड और अन्य विज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विकास किसका था, और किस लिए था | युधिष्टिर का वंश जनमेजय के बाद आगे नहीं बढ़ा; और पाषाण काल आ गया |
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महाभारत मैं कृष्ण किधर से लड़ेंगे यह तय करेगा द्वारिका, अर्जुन या दुर्योधन?
http://awara32.blogspot.com/2014/08/why-support-both-sides.html
अगर महाभारत युद्ध मैं द्वारिकाधीश श्री कृष्ण के लिए द्वारिका की जनता और द्वारिका शासन के अतिरिक्त कोइ और निर्णय लेता है की श्री कृष्ण किधर से युद्ध करेंगे तो महाभारत ग्रन्थ को ना समझ कर, धर्मगुरु हमें अधर्म सिखा रहे हैं, जिसका आजतो विरोध होना चाहीये |
ठीक है पहले सूचना का उपयोग नहीं था, सभी कुछ भक्ती से जोड़ दिया गया था, लकिन आज क्यूँ? क्या भारत यदी किसी युद्ध मैं अपना युगदान देना चाहता है तो.....
यह कौन निश्चय करेगा कि भारत का युगदान क्या होगा, कैसा होगा और कहाँ होगा ?
क्या इसका उत्तर यह दिया जाएगा कि जो देश और सेनाएं लड़ रही हैं, उनके सेनापति या भारत देश ?
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यशोदा के लल्ला कृष्ण अवतरित हुए माता देवकी और वासुदेव के यहाँ
http://awara32.blogspot.com/2014/08/krishna-janambhomi-mathura.html
श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा है, और मान्यता है की कंस के कारागार मैं श्री कृष्ण अवतरित हुए| कृष्ण देवकी के आठवे संतान थे, तथा आठवी तिथी(कृष्ण पक्ष) को भादों के महीने मैं अवतरित हुए थे, और नंबर आठ विश्व मैं रहस्य की संख्या के नाम से जाना जाता है| रहस्य को और गहरा करता है श्री कृष्ण का आधी रात मैं अवतरित होना, जब बादल घिरे हुए थे, बारिश हो रही थी|तो जहाँ इतने सारे संकेत हैं कि अवतार का अवतरण रहस्यमय है, तो मेरी और आपकी सामर्थ ही क्या है, उसपर प्रकाश डाल सकें|
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कोडित पुराण रामायण और महाभारत को कैसे समझा जाय
http://awara32.blogspot.com/2014/02/puran-ramayan-are-coded.html
यहाँ एक भौतिक तथ्य से आपको अवगत कराया जा रहा है, जिससे आपको भी मानना पड़ेगा की सनातन धर्म स्वंम इश्वर ने मानव और श्रृष्टि कल्याण के लिए प्रस्तुत करा है; बस उसका दुरूपयोग नहीं होना चाहीए |
क्या आपको मालूम है की समस्त पुराण स्तोत्र मैं लिखे हैं, जिसका अर्थ होता है
“कोडित भाषा” ?
क्या आपको इस बारे मैं आपके धर्म गुरु ने बताया है ?
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चक्रव्यूह क्या था, और क्यूँ चक्रव्यूह युद्ध का निर्णय कर सकता था
http://awara32.blogspot.in/2013/11/blog-post_12.html
वेदान्त ज्योतिष का यह आवश्यक सिद्धांत है कि हर मनुष्य अपने जन्म के साथ पहले ६ घरो का ज्ञान और कर्म शक्ति अपने साथ लाता है, और यहाँ पर आ कर मनुष्य शिक्षा से मात्र उस दिशा मैं निपुर्णता प्राप्त करता है|
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चाँद पर कुछ खड्ड मानव निर्मित हैं, जो महाभारत युद्ध के अवशेष हैं
http://awara32.blogspot.com/2013/11/blog-post.html
ध्यान से समझे:
1. चक्र-व्यूह १२ भाग मैं विभाजित करीब करीब गोल आकार मैं सेना और युद्ध के अस्त्र-शास्त्रों का फैलाव है,
और वेदान्त ज्योतिष, खगोल शास्त्र भी सौर्य मंडल का आंकलन ऐसी ही करता है|
2. चक्र-व्यूह के पहले ६ भाग(घरो) का ज्ञान अभिमन्यु को गर्भ मैं ही मिल गया था,
और वेदान्त ज्योतिष यह मानती है १२ से पहले ६ घरो का ज्ञान और उपयुक्त कर्म बालक जन्म के साथ ले कर आता है|
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कृष्ण ने कौरवो को सेना और बिना अस्त्र पांडवो का साथ युद्ध मैं क्यूँ दिया?
http://awara32.blogspot.com/2013/10/blog-post_17.html
लकिन यहाँ के पाठक अपनी कर्महीनता से लड़ रहे हैं, और यह प्रश्न भी पाठको से आया की ‘धर्म युद्ध तो जीतना अनिवार्य था, तो श्री कृष्ण ने इसमें मुश्किले क्यूँ बढाई, आपनी सेना कौरवो को देकर और स्वंम इस वचनबद्धता के साथ युद्ध मैं उतरे की वे शास्त्र नहीं ग्रहण करेंगे’?
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बलराम जिनको हलधर भी कहते हैं, एक सुसज्जित मानव खेती विशेषज्ञ
http://awara32.blogspot.com/2013/10/blog-post_3.html
बलराम या संकर्षण, श्री कृष्ण के बड़े भ्राता हैं, तथा वे देवकी की सातवी संतान हैं, जिन्हें गर्भ अवस्था मैं ही रोहिणी के गर्भ से बदल दिया गया | उनको शेषनाग का अवतार माना जाता है, तथा कुछ पुराणों के अनुसार वे श्री विष्णु के अवतार भी माने गए हैं | बलभद्र या बलराम, हलधर, हलायुध, संकर्षण आदि इनके अनेक नाम हैं|
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विश्व युद्ध का विस्तार, युद्ध कैसे जीता गया..इस सोच से महाभारत समझिये
http://awara32.blogspot.com/2013/10/blog-post.html
यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण चर्चा है, इसलिए भी की सनातन धर्म सदा समाज हित मैं होता है न की शोषण के लिए, जो की आजादी के बाद, पिछले ६५ वर्ष से हो रहा है| महाभारत एक विश्व युद्ध का प्रसंग है, जिसमें करीब करीब पूरी बर्बादी होई, और एक तरफ श्री कृष्ण और पांडव थे, तो दूसरी तरफ कौरव|
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महाभारत मैं विशेष कोड जिसे समझ करही गीता और ग्रन्थ का पूर्ण लाभ मिल सकता है
http://awara32.blogspot.com/2013/08/blog-post_19.html
गणेश-व्यास संवाद से एक बात तो स्पष्ट है कि हर धार्मिक ग्रन्थ कोडित है, और यह भी समझ मैं आता कि महाभारत के अतिरिक्त बाकी सब ग्रंथो को कैसे समझना है| अब बात करते हैं महाभारत की और यह भी समझना होगा की महाभारत मैं विशेस कोड़े क्या है, तथा क्या तरीका है इसे समझने का|
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गणेश जी ने, कुछ शर्तो के साथ महाभारत लिखने की स्वीकृति देदी
http://awara32.blogspot.com/2013/09/blog-post_8.html
महाऋषि व्यास मैं ज्ञान प्राप्ति पश्च्यात, प्रबल इच्छा जागृत होई की उन्हें महाभारत, भविष्य के मानव के हित के लिए लिखनी है| समस्या थी तो मात्र इतनी की इतने महान, और विशाल ग्रन्थ की परिकल्पना तो करी जा सकती है, क्या लिखना है, यह भी सोचा जा सकता है, बोला भी जा सकता है, बस समस्या थी कि साथ ही साथ लिखा भी जाना चाहिए| लिखने का काम करने मैं वे अपने आपको असमर्थ पा रहे थे|
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ध्रतराष्ट्र, पांडू और विदुर; महाभारत युद्ध के नीव रचेता
http://awara32.blogspot.com/2013/08/blog-post_15.html
उस समय कन्याओं का आकाल था, भीष्म ने, प्रभाव प्रयोग करके, गंधार नरेश की कन्या, गन्धारी से ध्रतराष्ट्र की शादी, कुंती को पांडू के लिए पसंद करा| विदुर की शादी सुलभा, एक यादव कन्या से कर दी गयी
अब हम सब अगली पीढ़ी की और बढते हैं, जिसकी महाभारत युद्ध मैं प्रमुख भूमिका रही है|
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स्वर्ग, नर्क, देवता, राक्षस पर विचार और परिभाषा
http://awara32.blogspot.com/2013/08/blog-post.html
जिस तरह से असुर-राज पताल मैं हैं उसी तरह से देवता तताकथित स्वर्ग मैं रहते हैं जो पृथ्वी लोक से बाहर है| यह विज्ञान की दृष्टि से भी आवश्यक जानकारी है, कि पृथ्वी मैं जो भी जीवन, या श्रृष्टि है, उसके लिए पृथ्वी का सौय्रमंडल और ब्रह्माण्ड से सामंजस्य मुख्य कारण है, चुकी पृथ्वी अपने आप मैं असमर्थ है; असुरो का निवास है|
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महाभारत युद्ध के व्यापक प्रमाणों को महाभारत से अलग करने का षड्यंत्र
http://awara32.blogspot.com/2013/07/blog-post.html
महाभारत पूर्व ज़बरदस्त विकास था|युद्ध मैं भीषण विनाश हुआ, और अंत मैं अश्वथामा ने ‘उत्तरा’ अथार्त जो बच गए थे, उनके लिए एक ऐसा रसायन अस्त्र छोड़ा, जो शेष बची होई महिलाओ के गर्भ का भी नाश कर दे
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क्या प्राचीन युगों मैं अस्त्र-शस्त्र सिद्ध मन्त्र से संचालित होते थे ?
http://awara32.blogspot.com/2013/06/blog-post_21.html
‘
रावण ने माया रची', प्राचीन युगों मैं अस्त्र-शास्त्र का सिद्ध मन्त्र से संचालन, अन्य लंबी दूरीके ध्वनिक यंत्र, अब आम बात है, और अज्ञान के कारण धर्मगुरु इसे समाज को समझा नहीं पारहे हैं
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महाभारत प्रथम विश्व युद्ध, जिसे उपलब्ध प्रमाण सत्यापित करते हैं
http://awara32.blogspot.com/2013/05/blog-post_9.html
ध्यान दे आपका, अथार्त हिंदू समाज का प्राचीन इतिहास विश्व युद्ध का उल्लेख महाभारत के नाम से करता आरहा है, और इस इतिहास की रक्षा का भार आपके कंधो पर है|
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भीष्म, सत्यवती के अनुरोध पर व्यास कुरु-वंश की प्रगति मैं सहायक बने
http://awara32.blogspot.in/2013/01/blog-post.html
महाराज शांतनु, सत्यवती से शादी उपरान्त अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाए, और विचित्रवीर्य के जन्म उपरान्त कुछ समय बाद चल बसे| चित्रांगद सिंघासन पर विराजमान हुए, परन्तु अधिक समय तक वे शासन नहीं कर पाए, और एक मल-युद्ध मैं मारे गए|
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शांतनु की सत्यवती से शादी मानव हित मैं एक समझोता था
http://awara32.blogspot.com/2012/12/blog-post_29.html
सत्यवती से शादी करके शांतनु यह सन्देश दे रहे थे कि मानव क्लोनिंग की बजाय वे प्राकृतिक तरीके से पैदा हुई संतान पसंद करते हैं
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महामुनि पाराशर ने संतान हेतु सत्यवती से विवाह करा
http://awara32.blogspot.in/2012/12/blog-post_4348.html
MAHAMUNI PARASHER MARRIED SATYAWATI FOR HAVING A SON
महामुनि पराशर महान ज्योतिष-आचार्य थे जिनकी वेदान्त ज्योतिष से सम्बंधित पुस्तके आज भी समस्त वेदान्त ज्योतिष का आधार हैं | वे बहुत ही सहज स्वभाव के थे और जन कल्याण के अतिरिक्त उनकी और कोइ भी इच्छा नहीं थी| इसलिए किसी तरह के कपट और स्त्री लोभ की बात जो कुछ पुस्तकों मैं उनके बारे मैं कही गयी हैं, वे गलत हैं|
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ऑपरेशन गंगा- एक गंभीर प्रयास महाराज शांतनु द्वारा संतान पाने के लिए
http://awara32.blogspot.in/2012/11/blog-post_28.html
लकिन अब महाराज शांतनु हस्तिनापुर पर राज्य कर रहे थे | उनके सामने जटिल समस्या यह थी की अपने वंश को कैसे आगे बढाएं , तथा उनकी हार्दिक इच्छा थी की उनकी संतान के अतिरिक्त राज्य का उत्तराधिकारी किसी और को मनोनीत नहीं करा जाए
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हिंदू समाज जब सशक्त होगा जब भारत का नेतृत्व एक हिंदू कर रहा होगा
http://awara32.blogspot.in/2012/11/blog-post_12.html
नेतृत्व के लिए संकल्प और प्रतिबधता अति आवश्यक है, जो की अब तक दिखाई नहीं दिया है |
आप मैं से काफी लोगो ने इस ब्लॉग की पोस्ट पढ़ी होंगी, जो की बर्तमान सोच को चुनौती दे रही हैं, लकिन किसी ने उसे समझने का प्रयास नहीं करा | जबकी वह एक PROFESSIONAL प्रयास है , कर्महीन हिंदू समाज को कर्मठ बनाने के लिए, और रिजल्ट भी GUARANTEED है |
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धर्मगुरु समाज को राक्षस और असुर कि भिन्नता की सूचना तो दें
http://awara32.blogspot.in/2012/10/blog-post_28.html
इक्कीसवी सदी सूचना युग कहलाती है , और सूचने के अनेक सोत्र उपलब्ध हैं |
यह पोस्ट इसलिए जरूरी हो गयी कि बहुत से लोग यह प्रश्न पूछ रहे हैं कि यदि यह सत्य है तो यह सूचना हमें गुरुजनों से क्यूँ नहीं मिली |
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धर्मयुद्ध मैं द्रोणाचार्य वध से पूर्व युधिष्टिर के असत्य को लेकर विवाद
http://awara32.blogspot.com/2012/10/blog-post.html
बचपन से अब तक एक बात सुनते आए हैं , की असत्य कितना घातक होता है | यह बिलकुल सच भी है , लकिन जब व्यक्ति आत्म निर्भर हो जाए और समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन जाए तो उसे सत्य की पूर्ण परिभाषा भी समझानी चाहिए , जो धर्म गुरुओं का उत्तरदाइत्व है , लकिन ऐसा हो नहीं रहा है |
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जेनेटिक इंजीनियरिंग और मानव क्लोनिंग महाभारत युद्ध के कारण
http://awara32.blogspot.in/2012/09/blog-post_27.html
विश्व की हर प्राचीन सभ्यता के इतिहास मैं एक विशाल विश्व-व्यापी बाढ़ का उल्लेख है जो की पृथ्वी पर करीब ७००० से १०००० वर्ष पहले आई थी | उस बाढ़ के उपरान्त विश्व मैं महिलाओं की कमी हो गयी , और नवजात शिशु के सफल पूर्वक पालन मैं भी समस्या होने लगी
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जब भीष्म पितामह ने मानवता कि विजय के लिए प्रतिज्ञा तोडी
http://awara32.blogspot.in/2012/09/blog-post_3432.html
“यहाँ जो कहा जा रहा है , उसपर निर्णय आप स्वंम लेंगे, कोइ और नहीं ले सकता यह निर्णय आपके लिए | आप ही को फैसला करना है की भीष्म पितामह ने युद्ध भूमि मैं अपनी प्रतिज्ञा तोडी अथवा नहीं”
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धर्मगुरु समाज को यह तो बताओ कि राक्षस और असुर अलग हैं
http://awara32.blogspot.in/2012/08/blog-post_26.html
आज का युग सूचना युग है | इन्टरनेट और कंप्यूटर के कारण सूचना हर विषय मैं सुलभता से उप्लभ्द है | आज धर्म गुरुजनों का यह प्रथम कर्तव्य है कि समाज को अधिक से अधिक सूचना उप्लभ्द कराएं | खेद की ऐसा हो नहीं रहा है ; और यह भी प्रमुख कारण है हिंदू समाज के कर्महीन होने के |
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अवतार इश्वर से अधिक महत्वपूर्ण है हिन्दुओं के लिए
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हिन्दू सृजन(CREATIONमैं नहीं , क्रमागत उन्नति(EVOLUTION मैं विशवास करते हैं ! इसीलिये अवतार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, हिन्दू धर्म मैं ! कितने हिन्दू श्री विष्णु की विधिवत पूजा, अर्चना करते हैं,? नहीं, वे श्री विष्णु अवतार श्री राम और कर्मवीर श्री कृष्ण की पूजा अर्चना से ही श्री विष्णु को प्रसन्न करते हैं !
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अवतार की परिभाषा
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“अवतार , या तो दर्शाते हैं , या उपलब्ध कराते हैं, ऐसी परिस्थिती जिसमें मानव के जीवित रहने मैं उल्लेखनीय सुधार हो | मनुष्य रूप मैं अवतार अवतरित हो कर आवश्यक सुधार मानवता की प्रगति के लिए लाते हैं , जब , जब की मानवता अत्यंत संकट मैं हो | और भौतिक प्रयास समाज की प्रगति के लिए जो करा जाता है , वह धर्म है”
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गीता और वंदे मातरम
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गीता समस्त धर्म की जड़ है, वह सब धर्म का सोत्र है, यदी धर्म की भी उत्पत्ति होई है, तो गीता समस्त धर्म की माँ है !
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अवतार व भगवान और हिंदू समाज की प्रगति
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ईशवर की मनुष्य रूप में या अन्य प्राणी के रूप में उत्पत्ति को अवतार कहा जाता है ! उद्देश श्रृष्टि को उस समय के घोर संकट से निकालने का होता है ! लेकिन अवतार को लेकर विवाद भी हैं, कुछ हिंदू अवतार को मानते हैं, कुछ नहीं !
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धार्मिक आद्यात्मिक साधू तथा गुरु की परिभाषा
http://awara32.blogspot.com/2011/10/blog-post_31.html
हिंदू धर्म मैं यह परेशानी इस लिये भी है की धर्म शब्द के दो अलग अर्थ और प्रयोग हैं | एक तो सनातन धर्म या HINDU RELIGION जो की इस बात की जानकारी देता है की सनातन धर्म क्या है और कौन उसमें आतें हैं ! दूसरा धर्म का अर्थ है भौतिक तरीके से अपनी समाज मैं जिम्मेदारियों को निभाना ! यही दूसरा धर्म स्वर्ग की सीडी है !
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