जिस धर्म के लिए युद्ध होरहा था वोह था कि मानव क्लोनिंग, जेनेटिक इंजीनियरिंग और मानव खेती का प्रयोग धर्म है या अधर्म| श्री कृष्ण और पांडव इसे अधर्म मानते हुए युद्ध मैं दुर्योधन और कौरवो के विरुद्ध उतरे~~ध्यान दे आपका, अथार्त हिंदू समाज का प्राचीन इतिहास विश्व युद्ध का उल्लेख महाभारत के नाम से करता आरहा है, और इस इतिहास की रक्षा का भार आपके कंधो पर है|
इसलिए भी क्यूँकी विश्व के बाकी समाज तो इसे इतिहास मानते नहीं, तो यह ५००० वर्ष पुराना इतिहास, जिसने उस समय पूरे विश्व को अपनी चपेट मैं लिया और बर्बाद करा; आपके लिए, और आपके समाज के लिए मात्र महत्वपूर्ण सूचना होने के कारण ही गौरवपूर्ण है, और यह कहने की आवश्यकता ही नहीं की आपकी धरोहर है|
इसकी रक्षा का उत्तरदायित्व आपके हाथ मैं है, तथा उससे समस्त सीधे और अनुप्रासंगिक लाभ भी आपके समाज के हैं| आज के आधुनिक युग मैं जहाँ हर देश और संपन्न धर्म के गुप्तचर भी वाणिज्यिक और व्यापार की महत्वता को समझते हैं, और सदेव तत्पर हैं, अपने समाज को श्रेष्ठा पर देखने के लिए, दुसरे समाज को कमजोर और अस्त-व्यस्त रखने के लिए, इस धरोहर की रक्षा करना भी आपका परम कर्तव्य है|
सबसे पहले तो आप यह सोचें की महाभारत के समय की परिस्थिति क्या थी?
क्या उस इतिहास के स्पष्ट या अस्पष्ट प्रामाणिक संकेत हमें प्राचीन इमारतों से, पिरामिडो से, तथा पुरानी सभ्यताओं की खुदाई से मिल रहे हैं ?
महाभारत के समय की सामाजिक और विज्ञानिक परिस्थिति के बारे मैं इस ब्लॉग मैं कुछ पोस्ट उपलब्ध हैं, जो आप पढ़ सकते हैं; कुछ का उल्लेख नीचे करा जा रहा है|
संषेप मैं महाभारत से पूर्व विश्व के हर प्राचीन इतिहास मैं इस बात का उल्लेख है की एक जबरदस्त बाढ़ ने विश्व को अपने चपेट मैं ले लिय| इससे आगे की सूचना बाकी प्राचीन सभ्यताओं के इतिहास मैं नहीं है, लकिन हिंदू समाज के इतिहास मैं है|
पुराणों के अनुसार, उस समय भी मनु उस नाव के नायक बने, जो इस बाढ़ मैं बचे हुए लोगो को सकुशल ले आई| दरसल लंबे समय तक चलने वाली बाढ़ मैं नायक को मनु क्यूँ कहा जाता है, उसके लिए आप यह पढ़ सकते हैं (हालाकि यह अलग विषय है) :
कलयुग का अंत..एक नए कल्प का प्रारम्भ और मत्स्य अवतार ;
परन्तु उस बाढ़ के बाद (किस कारण से यह नहीं मालूम), कन्याओं की समाज मैं कमी होने लगी, और सफल गर्भ मैं भी समस्या होने लगी, और उस समय जो विश्वामित्र ऋषि थे, उन्होंने इसके लिए तप करा (ध्यान रहे तप का अर्थ होता है, व्यक्तिगत कठोर प्रयास, और सब कुछ छोडकर भगवान के ध्यान मैं लीन हो जाना नहीं), और एक अप्सरा के साथ कुछ समय रह कर एक कन्या को सफल जन्म देने मैं सहायक बने|
मेरा उद्देश यहाँ पर महाभारत से पूर्व का इतिहास बखानना नहीं है, सिर्फ संशिप्त मैं उल्लेख करना है कि किस धर्म के लिए महाभारत युद्ध हुआ? तथा क्या कारण थे इस धर्म-युद्ध मैं कि धर्म की सीमाएं इतनी धूमिल थी, की स्वंम द्रोणाचार्य और शकुनी ने अपनी संतानों को युधिष्टिर की और से युद्ध करने की असफल सलाह दी? क्या कारण थे कि श्री कृष्ण ने दोनों पक्षों की सहायता करी, और युद्ध मैं उतरे पांडवो की और से?
और भी आपके मन मैं ऐसे प्रश्न उठ सकते हैं|
कारण था की धर्म-युद्ध मैं जिस धर्म के लिए युद्ध हो रहा था वोह था कि मानव क्लोनिंग, जेनेटिक इंजीनियरिंग और मानव खेती का प्रयोग धर्म है या अधर्म| श्री कृष्ण और पांडव इसे अधर्म मानते थे और इसी सोच के साथ युद्ध मैं दुर्योधन और कौरवो के विरुद्ध उतरे| इस पोस्ट के विषय क्षेत्र मैं इस विषय मैं इससे ज्यादा विवरण संभव नहीं है|
अब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संकेत और प्रमाण :
वेद व्यास रचित महाभारत से(संकेत और प्रमाण बिना अलोकिक और चमत्कारिक शक्ति के ही उपलब्ध हो सकते हैं):
देवव्रत (भीष्म पितामह) का जन्म, ऑपरेशन गंगा से; सात असफल संतान पाने के प्रयासों के उपरान्त, और विज्ञान का अद्भुत प्रयोग की वे(देवव्रत) अत्यंत ही लंबी अवधी तक जीवित रह सकते थे(इच्छा मृत्य)| तथा यह इच्छा मृत्यु का प्रयास दुबारा नहीं करा गया|
महामुनि पराशर एक अत्यंत प्रतिष्ठित ज्योतिष ज्ञाता थे जिनकी रचित पुस्तके आज भी ज्योतिष शास्त्र मैं प्रमुख भूमिका निभाती हैं| उधर सत्यवती, इतिहास की माने तो सुंदर नहीं थी, और शरीर से दुर्गन्ध भी आती थी , तो यह जो कहानी बना रखी है की महामुनि आसक्त हो गए सत्र्यावती पर वोह निराधार है; सत्य यह है की उन्हें ज्योतिष से यह ज्ञान था की वे विश्वहित मैं एक महान संतान के पिता बन सकते है,, और महामुनि होने के नाते उन्हें यह कार्य करना भी था, और उन्होंने इसके लिए सत्यवती को उपयुक्त समझा| पढ़े:
महामुनि पाराशर ने संतान हेतु सत्यवती से विवाह करा
एक विवाहित और उसके उपरान्त त्यागी हुई महिला के साथ महाराज शांतनु आसक्त हो कर विवाह प्रस्ताव दें, यह संभव नहीं था, सत्यवती की यह योगता थी की वे सफल संतान की माता बन सकती थी, जो की उस समय दुर्भर था|
कुंती ने बाल अवस्था मैं अपने गर्भ का समाज हित मैं संतान के भूण को विकसित करने मैं प्रयोग करा जो की बाद मैं, शिशु के रूप मैं, पूरा विकसित मशीन से करा गया|
पांचो पांडव जेनेटिक इंजीनियरिंग के सफल प्रयोग थे| कौरव के लिए और आधुनिक तकनीक का प्रयोग हुआ|
शिशु पाल का वध, इस कारण श्री कृष्ण के सुरक्षा चक्र (सुदर्शन चक्र) के हाथ हुआ, क्यूँकी श्री कृष्ण ने मानव खेती जिसमें १०० या १०० से अधिक शिशु का उत्पादन हो, उसपर रोक लगा दी, जिसका शिशु पाल विरोध कर रहे थे|
पांचो पांडव का विवाह द्रौपदी के साथ इसलिए करा गया, क्यूँकी उस समय कन्याओं की कमी थी; इसे इस बात से भी बल मिलता है की अज्ञातवास के समय पांडव ने द्रौपदी से यह कहलवाया की उसके पांच गन्धर्व पति है, क्यूँकी इस बात को असाधारण नहीं मानी जायेगी|
और भी अनेक प्रमाण और संकेत महाभारत से दिए जा सकते है , क्यूँकी महाभारत तो इन संकेतों से भरी पडी है|
अब अन्य प्रमाण:
- यह स्पष्ट है की मिस्र देश मैं जो पिरामिड हैं वे जेनेटिक इंजीनियरिंग से सम्बंधित प्रयोगशाला हैं, और विज्ञानिक विश्व इस बात को जानता है| विज्ञानिक विश्व इस बात को भी जानता है की महाभारत से पूर्व मानव क्लोनिंग और जेनेटिक इंजीनियरिंग का प्रयोग हुआ था|
- महाभारत युद्ध मैं भीषण संघार हुआ, जिसके कारण सामाजिक ढाचा एकदम कमजोर पड़ गया, लूट मार होने लगी| स्वंम कृष्ण को यादव वंश के लोगो का संघार करना पड़ा|
- यह स्पष्ट संकेत था की सभ्यताएं समाप्त होने लगी, और और महाराज पारिक्षित के बाद समाजिक ढाचा और कमजोर हो गया| इस बात के प्रमाण भी खुदाई से उपलब्ध हैं| हरप्पा और मोहन-जू-दारो की खुदाई मैं यह स्पष्ट पाया गया की पुरानी सभ्यताएं ज्यादा विकसित थी, और उनके उपरान्त जब नई सभ्यताएं आई वे कम विकसित थी| स्पष्ट है की युधिष्टिर का वंश महाराज परीक्षित के बाद एक या दो पीढ़ी ही चल पाया| लिंक: Mohenjo-daro , Harappa , Indus Valley Civilization
- सभ्यताएं अचानक गायब हो गई....यह आप ऊपर की Indus Valley Civilization और बाकी दोनों लिंक मैं पढ़ सकते हैं| क्यूँ गाएब हो गयी? इसका जवाब आज तक कोइ विज्ञानिक नहीं दे पारहा है, क्यूँकी जवाब महाभारत मैं है| युद्ध के अंत मैं अश्वस्थामा ने रसायन अस्त्र का प्रयोग करा जो की उत्तरा, यानी की जो महिला अब बच गयी थी, उनके गर्भ से संतान उत्पन्न न हो या नष्ट करदे | बहुत ही निंदा जनक कार्य था, श्री कृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ को तो संभाल लिया, लकिन पूरे विश्व की महिलाओं के लिए तो उनके पास कोइ समाधान नहीं थ|
- प्राकृतिक समाधान एक ही था, की छोटे छोटे समुदाए मैं लोग, अपने पशु और गाय के साथ भ्रमण करते रहें, एक जगह ना रहे, ताकि सीमित ही सही श्रृष्टि आगे तो बढे|
- रेडियो सक्रिय तत्वों, जो की साधारण से ५० गुना अधिक शक्तिशाली थे, उसकी जानकारी विज्ञानिको को महाभारत के समय की है | लिंक: ARCHAEOLOGY ANSWERS ON Ancient Indus River Valley Civilizations
- महाभारत के समय अनु अस्त्रों के प्रयोग के प्रमाण मिलते ही जा रहे है: Ancient City Found in India, Irradiated from Atomic Blast
*****************************
विश्व मैं जो अन्य धार्मिक समाज हैं और जो हिंदू समाज को विश्व के प्रतिष्टित स्थान पर नहीं देखना चाहते हैं, उनके पास सीमित विकल्प है |
वे जानते है की हिंदू समाज का नेतृत्व अब सुलझे और शिक्षित ब्राह्मण और धर्मगुरु तो कर नहीं रहे है, मौकापरस्त धर्मगुरु कर रहे हैं , तो अनेक उपाय वे हिंदू समाज की प्रगति को रोकने के लिए कर रहे हैं, जो की कुछ इस प्रकार है :
धर्म का भावनात्मक भाग जो १००० वर्ष की गुलामी मैं संतो ने बढ़ाया था, कर्म भाग घटा कर, उसे आजादी के बाद भावनात्मक भाग घटा कर कार्मिक भाग बढ़ाना था, वोह नहीं होने दिया|
रामायण और महाभारत के चरित्रोंको बिना अलोकिक और चमत्कारिक शक्ति के आकलन का विरोध कर रहे , ताकि सही धर्म समाज तक ना पहुच पाय, और समाज समृद्ध और सशक्त न हो पाए|
धर्म गुरु बार बार धर्म की जान बूझ कर गलत परिभाषा दे रहे हैं , ताकि समाज का शोषण सुनिश्चित हो सके|
युधिस्तिर की वंशावली, यदि स्वीकार हो जाती है , तो समाज खुद कभी महाभारत के विज्ञान का लाभ नहीं ले पायेगा, क्यूँकी महाभारत मैं ही प्रमाण उपलब्ध है की लूट मार शुरू हो गयी थी, सामाजिक ढाचा कमजोर हो चूका था|
क्या उत्तर होगा आपके पास जब विश्व यह पूछेगा, की वंशावली का अर्थ होगया निरंतरता , तो फिर खुदाई से जो प्रमाण मिले हैं की नई सभ्यता कम विकसित थी और पुरानी सभ्यता अधिक विकसित थी, उन प्रमाणों को महाभारत से क्यूँ जोड़ा जाए ?
वंशावली का अर्थ होगया निरंतरता, और निरंतरता का अर्थ हुआ, विकास; तो फिर खुदाई के सबूत महाभारत से नहीं जोड़े जा सकते, चुकी वंशावली पीडी दर पीडी विकास का प्रतीक है |
अन्य अनेक प्रमाण जो समय समय पर समाचार बन कर आते रहते हैं |
No comments :
Post a Comment