Sunday, November 10, 2013

चाँद पर कुछ खड्ड मानव निर्मित हैं, जो महाभारत युद्ध के अवशेष हैं

आज पूरा विश्व के सामने अनेक प्रश्न है, और इन प्रश्नों के उत्तर भारत के प्राचीन इतिहास मैं छिपा हुआ है| 
विश्व भर के विज्ञानिक यह तो मानते हैं, की प्राचीन समय मैं अंतरिक्ष के उपयोग के अनेक प्रमाण है, कुछ ने उसे महाभारत से जोड़ने का साहस भी करा|
परन्तु धन तो आज इसाई और इस्लाम के अनुदाई के पास है, तो क्या कारण है की हिन्दू धर्मगुरु-जानो और संस्कृत विद्वानों ने प्राचीन इतिहास से मिथ्या की चादर हटाने से साफ़ मना कर दिया, जिससे हिन्दू समाज को उस समय के विज्ञान का लाभ नहीं मिल पारहा है | 

इस प्रश्न के उत्तर का अधिकारी हिन्दू समाज है, क्यूँकी उसी समाज के धन से धर्मगुरु फल फूल रहे हैं|

क्या यह बात अजीब नहीं है, कि विश्व स्थर के विज्ञानिक महाभारत युद्ध मैं अंतरिक्ष यानो के प्रयोग की संभावना से इनकार नहीं करते, और इधर हमारे धर्मगुरु महाभारत और रामायण से मिथ्या की चादर हटाने को तयार नहीं हैं, ताकी हिन्दू समाज को इसका लाभ न मिल सके, और उधर इस्लामिक और इसाई विदेशी संस्थाओं से जो अरबो- खरबों की धन राशी आ रही है, उसका हिसाब कभी नहीं मिला| गड़बड़ है, नहीं, जबरदस्त गड़बड़ है ! और इसका सबसे बड़ा प्रमाण है आजादी के बाद हिन्दू समाज का गरीब होते जाना, और धर्मगुरु-जनो का अत्याधिक धनवान होजाना |

चलिए बात करते है चक्र-व्यूह की जिससे निबटने के लिए अर्जुन उपलब्ध नहीं थे, तथा जिसके निर्माण और प्रयोग से द्रोणाचार्य ने महाभारत युद्ध से पूरे सौर्य-मंडल को खतरे में डाल दिया| 
क्या है यह चक्र-व्यूह? 
ध्यान से समझे:
1. चक्र-व्यूह १२ भाग मैं विभाजित करीब करीब गोल आकार मैं सेना और युद्ध के अस्त्र-शास्त्रों का फैलाव है, और वेदान्त ज्योतिष, खगोल शास्त्र भी सौर्य मंडल का आंकलन ऐसी ही करता है|

2. चक्र-व्यूह के पहले ६ भाग(घरो) का ज्ञान अभिमन्यु को गर्भ मैं ही मिल गया था,
और वेदान्त ज्योतिष यह मानती है १२ से पहले ६ घरो का ज्ञान और उपयुक्त कर्म हर बालक...फिर से .... हर बालक...जन्म के साथ ले कर आता है|
अभिमन्यु पहले ६ घर तो पार कर गए, लकिन सातवे घर मैं प्रवेश करके उसमें से बाहर नहीं निकल पाए| एक कुशल योधा यह अवश्य समझ जाता है, की वोह फस गया है, अब या तो मरना है, या बंदी होना है| और ऐसे मैं एक वीर जो करता है, वही अभिमन्यु ने करा|

युद्ध अंतरिक्ष मैं हो रहा था, और अभिमन्यु ने भीषण तबाही मचाई, कौरवो के चन्द्रमाँ पर जितने भी ठीकाने थे, उनसब को उसने नष्ट करदिये| आज भी वैज्ञानिक इस बात से इनकार नहीं करते की कुछ खंड चंद्रमा पर मानव निर्मित हो सकते हैं|
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इसीका एक प्रमाण यह भी है कि इस भीषण युद्ध के बाद जिसमें परमाणु और शक्तिशाली अस्त्रों का प्रयोग हुआ, सूर्य के सन्दर्भ मैं चन्द्रमा ने परिक्रमा की धुरी बदल दी, जिसके कारण सूर्य ग्रहण एक मॉस पहले हो गया, और जयद्रथ के वध मैं सहायक हुआ|

उस युद्ध मैं कुछ नियम भी थे, जिनमे से एक था की युद्ध मैं एक महावीर का सामना कितने महावीर कर सकते हैं| इसका अर्थ साधारण भाषा मैं आज के परिपेक्ष मैं यह है कि नियम कुछ इस तरह से थे की युद्ध बराबर की शक्ती मैं होना चाहिए, अर्थात अगर एक तरफ से टैंको का प्रयोग हो रह है, तो दूसरी तरफ से भी टैंको का प्रयोग हो सकता है; और इसका अर्थ आप यह भी समझ सकते है की यदी एक तरफ की वायुयान उस युद्धछेत्र मैं पहुच गई, तो भी वे शत्रु टैंको को नष्ट नहीं कर सकती जबतक की दूसरी तरफ के वायुयान वहां न पहुच जाए|

अजीब नियम था जिसका कभी भी पूरी तरह से पालन नहीं हुआ| सत्य तो यह था कि यह नियम श्री कृष्ण ने अपने प्रभाव से बनवाया था, क्यूँकी उनकी सेना कौरवो की और से युद्ध कर रही थी, और वे स्वंम बिना अस्त्र पांडवो की तरफ से युद्ध कर रहे थे| 

अभिमन्यु ने भीषण तबाही मचाई, और युद्ध के नियम के विरुद्ध अनेक आधुनिक अस्त्र शास्त्रों से लिप्त यानो ने एक साथ हमला बोल कर उसे घायल कर दिय गया| युद्ध के नियमो के अनुसार अत्यंत घायल अवस्था मैं वोह उपचार के लिए पृथ्वी पर आए, परन्तु वहां सब वरिष्ट कौरव सेना प्रमुखों ने उसे घेर कर, सारे नियमो को ताक मैं रख कर, उसे मार दिया| अभिमन्यु मरते समय तक लड़ते रहे, और फिर वीर-गति को प्राप्त हो गए|

इस पोस्ट का प्रचार आप अवश्य करें, क्यूँकी यही आपका धर्म है, जो की धर्मगुरु नहीं कर रहे हैं| आपका धर्म हिन्दू समाज की प्रगती है, और वही धर्म, धर्मगुरु-जानो का भी है, जो की नहीं हो रहा है|
जय श्री कृष्ण ! 

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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.