Friday, October 21, 2016

धर्म मजहब क्या है, क्यूँ ईश्वर एक ही है, का सत्य कभी पूरा होता नहीं दिखा

LEAVING SANATAN DHARM, 
ALL RELIGIONS ARE DESIGNED CONTENT BASED PROJECTS ENSURING COHESIVENESS AND COORDINATION WHITEN THE SOCIETY FOLLOWING THAT RELIGION 
SO THAT THEY CAN EXPAND WITH OR WITHOUT USING FORCE~~आप सबने टीवी , सिनेमा घरो में छोटी छोटी समान बेचने से सम्बंधित विज्ञापन फ़िल्में तो देखी होंगी | 
वे सब  DESIGNED CONTENT BASED PROJECT होता है, जिसका उद्देश आपको एक निश्चित समान को खरीदने की सोच की तरफ ले जाना होता है | हर प्रतिष्टित विश्वविध्यालय में इस विषय पर अध्यन की सुविधा है, शोघ की सुविधा है |

सनातन धर्म(हिन्दू धर्म) को छोड़ कर बाकी सब धर्म या रिलिजन भी DESIGNED CONTENT BASED PROJECT है जिसमें ईश्वर बहुत बाद में आता है | 

पहला उद्देश समाज को एक निश्चित दिशा देने का होता है, जिसके सहारे समाज अपने सदस्यों को पहचान पाता है, मदद, सहायक और हमसफ़र बन पाता है| 

चुकी समाज को जोड़ने के लिए भावनात्मक सामग्री की विशेष आवश्यकता होती है, तो ईश्वर और आस्था का प्रयोग करा जाता है, ताकि समाज के सदस्यों के बीच में रिश्ता हो |

यहाँ जो कहा जा रहा है, वोह पूरी तरह से सत्य है | यदि ईश्वर, और ईश्वर की रचित दुनिया से प्रेम ही उद्देश होता, तो यह प्रतम उद्देश इन प्रोजेक्ट का होता , जो कभी भी नहीं था , और इसीलिए मानवता सदा दुसरे धर्म/मजहब के लोगो/समाज को काटती/बर्बाद करती रही है | 

विश्व के पास ३००० वर्ष का लिखित इतिहास है, और इससे पहले का दो से तीन हज़ार वर्ष का इतिहास अवशेषों और खुदानो से मिल पा रहा है , और सब एक ही बात को बार बार बताते हैं कि सभ्यताएं यदि पनपी हैं तो सिर्फ धार्मिक गुरुओ द्वारा शोषण या एक धर्म वाले, दुसरे के साथ लड़ने-मरने के लिए|

इस बात को सनातन धर्म बनाने वालो ने बहुत पहले समझ लिया था , और इसीलिए अकेला यह धर्म है जो सबसे प्राचीन है, संभव है कि जब से मानव की उत्पत्ति हुई है, तब से है | ऐसी मान्यता है कि सनातन धर्म के वेदों का उच्चारण सदैव ब्रह्मा जी अपने चारो मुखो से करते रहते हैं | स्पष्ट है कि सनातन ईश्वर की देन है | 

सब धर्मो से अलग सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) नियम प्रधान धर्म नहीं है | जहाँ सब धर्मों में मान्यता है की ईश्वर ने नियम बनाए हैं, सनातन धर्म में प्रमुख्य वेद जिनका उच्चारण सदैव ब्रह्मा जी करते रहते हैं, वे समाज में रहने का ज्ञान है, नियम नहीं |

लकिन यहीं से समस्या शुरू होगई , हिन्दू प्रधान भारत का यह इतिहास रहा है कि उसने कभी विस्तार के लिए किसी पर आक्रमण नहीं करा , और अनेक समय पर , तथा आज भी यह कमजोरी है | ‘आक्रमण नहीं करा’ का कारण हमारी सोच है जहाँ ईश्वर और उसकी समस्त श्रृष्टि से प्रेम भाव सिखाता है धर्म | सनातन धर्म DESIGNED CONTENT BASED PROJECT को प्रोहित्साहित नहीं करता | लकिन पिछले ५००० वर्षो से संस्कृत विद्वानों ने और धर्मगुरुओ ने, समाज की मानसिकता को गुलाम बना कर रखने के लिए DESIGNED CONTENT BASED PROJECT चला रखा है, और वोह आज भी चल रहा है|

इसके अनेक प्रमाण है, लकिन पोस्ट को छोटी ही रखनी है, इसलिए सिर्फ कुछ पोस्टो की लिंक नीचे दी जा रही है | उनसे यह प्रदर्शित होगा कि अनेक स्थान पर गलत धर्म बताया गया है , ताकि समाज की मानसिकता गुलामी वाली रहे |

नोट: धर्म से जुड़ा ऐसा कोइ विषय नहीं है जिसमें संस्कृत विद्वानों ने समाज की सोच को गुलामी की रखने के लिए फेर-बदल ना करा हो | इसलिए सूची बहुत बड़ी हो जायेगी | मैं यहाँ पर सिर्फ चार पोस्टो की लिंक दे रहा हूँ, और अधिक चाहीये तो आप कमेंट करके मांग सकते हैं:

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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.