- सतयुग नए महायुग का आरम्भ है...इसमें तो कोइ विरोधाभास नहीं है; कि आप चाहे तो महायुग कह लीजिये या कल्प कह लीजिये, सतयुग इसका आरम्भ करता है | सतयुग के आरम्भ से पूर्व, पूरी पृथ्वी जलमग्न होती है, यह पुराण ही बताते हैं, और आज का विज्ञान इसका अन्मोदन भी कर रहा है |
- मनु पिछले युग से बचे हुए मानवो को पृथ्वी पर उतारते हैं, इन मानवो में विभाजन है......जो लोग समुन्द्र मैं रहते हुए, मानव का मॉस खाने लगे उनको राक्षस कहा जाता था, और क्यूँकी मानव यह मानते थे की राक्षस हर सोच मैं सामान्य मानव से उलटे हैं...तो उन्होंने अपने को ‘रा’ का उल्टा आर्य कहना शुरू कर दिया..
- सतयुग के आरम्भ में, समुन्द्र मंथन के बाद, यानी की समुन्द्र मैं लहरे फिर से आरम्भ होने के बाद(जो की एक खगोलिक घटना/बिंदु है), समुन्द्र का छेत्र धीरे धीरे कम होने लगता है....और पृथ्वी जो की अब तक सीमित थी सिर्फ पहाडो की चोटी तक, उसका विस्तार होता है | नई श्रृष्टि फलने फूलने लगती है... पहले पेड पौधे, फिर पशु पक्षी, जल मैं मछली और अन्य जानवर | और विज्ञान और पुराण दोनों इस बात को मानते हैं कि नई श्रृष्टि मैं प्राकृतिक विकास बहुत तेजी से होता है...और कुछ बहुत विशाल पशु पक्षी भी उत्पन्न होते हैं , इस नए युग मैं जिसे हम सतयुग कहते हैं |
- इन विशाल पशु पक्षी के लिए भोजन की समस्या सदा बनी रहती है, वे मानव , राक्षस , अन्य पशु पक्षी और स्वंम की प्रजाति को भी आहार बना लेते हैं, लकिन फिर भी वो कभी पर्याप्त नहीं होता| ऐसे विशाल पशु, पक्षी और समुन्द्र मैं भी जल-जानवर पूरी श्रृष्टि का संतुलन बिगाड़ देते हैं, जीना मुश्किल हो जाता है | त्रेता युग आते आते वे आपस मैं लड़ मर कर समाप्त होने लगते हैं ; स्वंम रामायण मैं विशाल जल मछली का उल्लेख है, और जटायु और सम्पाती जैसे विशाल पक्षी का, जो तब समाप्त हो रहे होते हैं|
- इन सबके बीच मानव की नई प्रजाति ‘वानर’ वन मैं प्राकृतिक विकास से उत्पन्न होती है,...और मनु जी जो मानवो का दल लेकर आये थे, वे नई प्रजाति, ‘वानर’ को मानव तक मानने से इनकार कर देती है, उसका शिकार करती है, जानवरों की तरह से उसका इस्तेमाल भी करती है, और जानवरों की तरह उनपर जुल्म भी पुराने मानव(आर्य और राक्षस) करते हैं |
- इधर राक्षस चाहते थे कि मानव यदि जीवित रहना चाहता है तो उसका दास बन कर रहे , और सतयुग यदि किसी का था तो विशाल पशु पक्षी और राक्षसों का | स्वम् पुराण बताते है कि कम से कम दो बार तो पूरी पृथ्वी पर राक्षसों का राज्य स्थापित हुआ था, इस युग मैं | एक बार हिर्नाकश्यप ने तो एक बार बाली ने |
Ramayan and Mahabharat is history of HUMANS & Shri Ram and Shri Krishna are AVATAR OF GOD. Pooja,Rituals, KARMA are 3 parts of Dharm.Karma or Physical performing part was DILUTED during 1000 years of invaders rule.Restore this to improve the condition of Hindu society. यह ब्लॉग वर्तमान हिंदू समाज को केंद्र बिंदु मान कर ही धार्मिक विषयों पर चर्चा करेगा| अभी तक लोग या तो किसी धार्मिक ग्रन्थ को, या किसी व्यक्ती विशेष/या गुरु को केंद्र बिंदु मान कर धार्मिक, या अन्य विषय पर चर्चा करते रहे हैं |
Friday, June 12, 2015
पुराण बताते हैं कि सतयुग मानव के लिए अत्यंत अमानवीय और कष्टदायक युग था
ABOUT ME:
A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.
ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.
I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.
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