Friday, October 23, 2015

नीच चालबाज रावण को संस्कृत विद्वान धर्मगुरु वेदज्ञाता क्यूँ बताते हैं?

वेद क्या है? 
वेद की संशिप्त परिभाषा :वेद समाज में जीने का ज्ञान है !
क्या समाज को गुलाम बना कर रखने के लिए संस्कृत विद्वानों द्वारा एक शास्त्र, या फिर संस्कृत विद्वान और धर्मगुरु वेदों का गलत अर्थ समाज के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि समाज का शोषण हो सके, जिसके लिए आवश्यक है कि समाज कि मानसिकता गुलामी वाली हो?
और, 
गुलाम की मानसिकता समाज की रहे, इसके लिए यह आवश्यक है कि समाज को गलत सूचना दी जाय | हिन्दुओ के अवतार का इतिहास तोड़ मरोड़ कर गलत रूप में समाज तक पहुचाया जाए, और जहां संभव हो वहां तथ्यों को छिपा कर गलत इतिहास भी समाज तक पहुचाया जाए !

श्री विष्णु के अवतार श्री राम और श्री कृष्ण जिन जिन को दण्डित करने के लिए अवतरित हुए थे, उनको गलत सूचना और पाखण्ड का प्रयोग करके अधिक आदर्शवादी, तथा धर्म और वेद के ज्ञाता बनाकर प्रस्तुत करा जाए ताकि अवतरित ईश्वर ने इनको क्यूँ मारा उसपर भी प्रश्नचिन्ह लग सके; समाज भ्रमित रहे तभी गुलाम रहेगा |
और 
यह कार्य समाज के पैसो से चलने वाली विश्वविद्यालय और विद्यालयों मैं पढ़े हुए संस्कृत विद्वान समाज को गुलाम बना कर रखने के लिए कर रहे हैं |

चुकी 
मुझे सनातन धर्म में पूरी आस्था है, इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि संस्कृत के श्लोको का उच्चारण करने वाला व्यक्ति, मात्र इस योगता के कारण ना तो धार्मिक कहलाने का अधिकारी है, नाही वेद्ग्याता| तथा यह बिलकुल आवश्यक नहीं है, सनातन धर्म के अनुसार, कि धार्मिक व्यक्ति या वेद्ग्याता को संस्कृत भाषा का ज्ञान हो | धार्मिक व्यक्ति की परिभाषा सम्बंधित पोस्ट की लिंक अंत में दी जा रही है तथा वेद्ग्याता वोह व्यक्ति ही हो सकता है जो समाज में रहने के नियमो का पालन करे या बनाएं जिससे समाज की प्रगति, पर्यावार्हन और प्रकृति से समन्वय बनाकर होती रहे |

गोस्वामी तुलसीदास, वाल्मीकि रामायण और पुराणों के अनुसार रावण नीच, कपटी, चालबाज़ इंसान था | सदियों से रावण के पुतले को जला कर दशहेरा मनाया जाता है | तथा लोगो में आम धारणा है, कि जो वेद का ज्ञाता होगा वोह एक आदर्श पुरुष होगा| 
क्या रावण एक आदर्श पुरुष था ?

इतिहासके परिपेक्ष में देखते हैं == >

रावण पाखंडी था धर्म में उसकी कोइ दिलचस्पी नहीं थी | जिस तरह से आज लोग झूट बोल कर और धोका देकर समाज को ठगते हैं कुछ वही रावण भी कर रहा था |
उस समय का रावण का झूट जिसे बढ़ चढ़ कर उस समय के धार्मिक समाज ने सत्य बताकर समाज को भ्रमित करा :१) रावण शिव भक्त है जिसने कैलाश पर्वत तक उठा लिया या हिला दिया !
२) रावण इतना वीर है कि देवता हाथ जोड़ कर उसके दरबार में खड़े रहते हैं !
सत्य यह है कि कुछ इसी तरह के चमत्कार आज भी सुनने को मिल जायेंगे , जिसका एक सीधा उद्धारण साईं भक्ति है...क्या आपको याद नहीं है कि कैसे हाथ हिला कर अमुक चमत्कारी साधू या ‘भगवान्(?)’ सोने की घडी या चैन भक्तो को देते थे,..लकिन सोने की जंजीर और चैन तो आस्तीन में छिपाई जा सकती है....जब उन ‘भगवान्’ से निवेदन करा गया कि कद्दू या तरबूज भी कभी भक्तो के लिए हाथ हिलाकर पैदा करो तो जाने ?....इस पर सब चुप !
....तो सभी भक्त क्रोधित ओ गए; बताया गया कि ‘भगवान्’ कुपित हो जायेंगे ! परन्तु ये भी सत्य है कि कद्दू या तरबूज वोह कभी भी नहीं प्रस्तुत कर पाए; चुनौती कभी स्वीकार नहीं हुई |
हम सब जानते है कैलाश पर्वत तो छोड़ दीजिये एक छोटा सा टीला भी मानव नहीं हिला सकता , और फिर रावण जैसा व्यक्ति जो इतिहास बताता है....जिससे भी लड़ा, हारा; कभी किसी से नहीं जीता |

लंका उसने युद्ध में नहीं जीती, अपने भाई कुबेर, जो वैरागी थे उनसे ठग कर ली |

औरतो के बारे में रावण बदनाम था, स्वाभाव से क्रूर था घमंडी भी था | क्या यह सब वेद ज्ञाता के लक्षण हैं या अवतरित प्रभु श्री राम पर प्रश्न चिन्ह लगाने का षड्यंत्र ?

अकुशल शासक था, जिसके राज्य में लोग खुश नहीं थे, और इसका प्रमाण: पहला अवसर मिलते ही स्वंम उसका छोटा भाई, जिसको पुराण धार्मिक बताते हैं, काफी लोगो के साथ रावण को छोड़ कर राम से मिल गए |
पुराण और रामायण ही सोत्र है इस विषय में सूचना का, तो वर्तमान समाज को गलत सूचना ना दें|

धर्म और धार्मिक व्यक्ति की परिभाषा और रावण के चरित्र से सम्बंधित पोस्ट लिंक समेत नीचे दी जा रही हैं :

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