Sunday, August 2, 2015

हमलोग प्राचीन इतिहास शिक्षा लेने के लिए पढ़ते हैं या गुलाम बनने के लिए

पुराण, रामायण और महाभारत प्राचीन इतिहास है, तथा अत्यंत महत्वपूर्ण इतिहासिक ज्ञान है | जहाँ रामायण युगपुरुष श्री विष्णु अवतार श्री राम की गाथा है, और महाभारत, सर्वकला से परिपूर्ण अवतार श्री कृष्ण की गाथा है , पुराण सौर्यमंडल की उत्पत्ति, पृथ्वी की उत्पत्ति, और श्रृष्टि के आरम्भ से आज तक का इतिहास है |
रामायण और महाभारत अवतरित इश्वर का इतिहास होने के कारण सारे वेदों का ज्ञान और निचोड़ है, क्यूँकी सनातन धर्म ही ने अवतार के इतिहास को दूसरा वेद माना है| इसपर आप चिंतन करेंगे तो पायेंगे सत्य है|
और 
पुराण प्राचीन इतिहास के अतिरिक्त भूमि-विज्ञान(जियोसाइंस) भी है| सारा इतिहास उपलब्ध है संस्कृत में और उसका अनुवाद भी अनेक भाषा में हुआ है; हर प्रान्तिये भाषा में यह उपलब्ध है |

लकिन इसका लाभ हिन्दू समाज को नहीं मिल रहा है, इन सब ग्रंथो का प्रयोग सिर्फ और सिर्फ भक्ति के लिए हो रहा है, भक्ति से जुड़े हुए सामूहिक अनुष्ठान के लिए हो रहा है | हाँ एक धर्म ही इनसब से बताया जाता; अच्छाई की बुराई पर जीत , और फिर थोक में अधर्म बताये जाते हैं ताकि सामाज गुलाम रहे | में उन अधर्मो का उद्धारण भी यहाँ पर दूंगा | 
भूमि-विज्ञान(जियोसाइंस) और सौर्यमंडल की उत्पत्ति, पृथ्वी की उत्पत्ति, और श्रृष्टि के आरम्भ से आज तक के इतिहास के बारे में हमें कुछ नहीं बताया जा रहा है |यहाँ तक तो हो रहाहै कि प्रश्न पूछने पर ज्ञानी लोग क्रुद्ध हो जाते हैं, और फिर कडवाहट होती है |

यह भी बात समझने की है कि समस्त संस्कृत विद्यालय और विश्विद्यालय सरकारी अनुदान से चल रहे हैं, यानि कि आपके और मेरे पैसे से, परन्तु समाज को गुलाम बनाकर शोषण करने के लिए कोइ सूचना भारतीय समाज तक नहीं पहुचने दी जाती | सूचना पहुचने लगेगी तो समाज उनत्ती कर जाएगा , गलत सूचना से समाज कर्महीन रहेगा, शोषण बहुत आसान हो जाताहै |

ऐसा नही है कि ज्ञान कि कुछ कमी है ; यहाँ तक तो होताहै, प्राचीन संस्कृत की पुस्तकों से सम्बंधित प्रश्न और समाधान के लिए इनके पास विदेशो से निवेदन आते रह्ते है, और सब पर बिना अलोकिक शक्ति का प्रयोग करे यह संतोषजनक समाधान भी देते हैं...लकिन हिन्दू समाज कोतो गुलाम बना कर रहना ही है....तभी तो धर्मगुरु धन कमा सकते हैं !

पूरी महनत संस्कृत विद्वान और धर्मगुरु कररहे हैं ताकि समाज भावनात्मा रहे, चमत्कार को बढ़ावा इन लोगो ने दिया, और अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए झूट पर झूट बोलते हैं | एक उद्धारण तो यही है कि गुरुकुल शिक्षसे समाज महाभारत के समय से बर्बाद होता रहा, बटता रहा लुटता रहा, लकिन समाज को भावनात्मा बना कर यह बताया जारहा है कि गुरुकुल शिक्षा प्रनाली बहुत अच्छी थी ! पढीये: गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से भारत क्यूँ नष्ट हुआ, गुलाम बना..चर्चा और विचार

अब थोक में जो अधर्म बताये जाते हैं ताकि सामाज गुलाम रहे उनका उद्धारण :-
१. हनुमान बाल ब्रह्मचारी थे, लकिन उनके संतान भी थी....

२. श्री राम ने सीता को अग्नि देव को सौप कर उनके अपहरण की स्वीकृती दी...

३. श्री कृष्ण ने महाभारत जैसे विश्व युद्ध के लिए सेना किसको देनी है, और खुद किधर खड़ा होना है, उसे द्वारिका का हित सामने न रख कर मात्र एक टॉस समझा..

४. और अब कुछ लोग हनुमान जी के विवाह को ढून्ढ लाए !

५. पूर्ण वैरागी, योगी और ईश्वर शिव क्रोधित हो कर तीसरी नेत्र खोल लेते हैं....यानी की उनका वैराग और योग झूठा है, पूर्ण नहीं है , और समाज इसे स्वीकार कर लेता है |

६. सतयुग सबसे अच्छा युग था, जबकि यदि पुराणों के अनुसार सतयुग का निर्माण करा जाए तो सबसे खराब युग था |

७. परिभाषाओं का विरोध करना, यह कहकर की धर्म को परिभाषा से क्या लेना देना ताकि =>
1. युगों कि खगोल से सम्बंधित जानकारी हिन्दू समाज को ना पहुच जाए !  
2. देवता, सुर और असुर जो की भूमि-विज्ञान(जियोसाइंस) के अंग है उनकी जानकारी समाज तक ना पहुचे |  
3. राक्षस कैसे उत्पन्न हुए, मनु स्मृति किन कठोर परिस्थिति में समुन्द्र में रहते हुए लिखी गयी, यह सूचना समाज तक नहीं पहुचाना | उलटा राक्षस और असुर जो की अलग हैं उन्हें एक बताकर समाज को और ब्रह्मित करना, गलत सूचना देना |
८. समस्त पुराण, रामायण और महाभारत स्त्रोत में लिखी गयी है, जिसका अर्थ होताहै, कोडड भाषा (CODED LANGUAGE) | लकिन इसकी जानकारी यह लोग नहीं देते |यहाँ तक तो है कि महाभारत में एक अतिरिक्त कोड है जिसको गणेश-व्यास संवाद स्पष्ट करताहै, फिर भी बिना कोड के काम चला रहे है |सोच लीजिये कितनी गलत जानकारी दी जारही है !

९. पुराण, तथा अवतार पर आस्था यह स्थापित करताहै कि सनातन धर्म प्राकृतिक विकास पर आस्था रखता है, ना कि सर्जन पर, पर चमत्कार के लिए सर्जन आवश्यक है !

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