Tuesday, April 7, 2015

शनि के प्रकोप से बचने के स्वम निरक्षित सरल उपाय

वेदान्त ज्योतिष मैं शनि सबसे धीरे चलने वाला गृह है जिसके परिणाम, लोगो की माने तो काफी कष्टदायक होते हैं| वैसे सत्य ऐसा कुछ नहीं है, जिस तरह से अन्य ग्रहों का असर होता है, शनि का भी होता है| 
बस बात इतनी सी है कि सबसे धीमी गति का गृह होने के कारण इसके परिणाम कुछ अधिक स्थाई होते हैं; आसानी से आते नहीं, आते हैं तो जाते नहीं !

खैर सूचना युग मैं सब विषय पर सूचना है , गृह दिशा बदलता है, या राशि बदलता है तो हर टीवी चैनल पर विशेष प्रोग्राम हो जाते हैं, और लोग पहले की अपेक्षा आज शनि के विषय मैं अधिक सोच रहे हैं उसके कष्टदायक प्रभाव से बचने के उपाय करते मिल जायेंगे|
चलिए आपको कुछ ऐसे सरल उपाय बता दें जिसकी प्रमाणिकता की जांच आप स्वम कर सकते हैं, उपाय भी सरल हैं, और आपकी दैनिक दिनचर्या को प्रभावित भी नहीं करेंगे; और विश्वास रखीये, परिणाम का अनुभव आप स्वम करेंगे |

क्यूँकी बात हुई है कि ‘प्रमाणिकता की जांच आप स्वम कर सकते हैं’, तो सबसे पहले शनि को समझ लें |

वेदांत ज्योतिष मैं शनि कुम्भ और मकर राशि का मालिक है, जिसमें शनि की मूलत्रिकोण राशि कुम्भ है| 
‘मूलत्रिकोण राशि कुम्भ है’ का सरल अर्थ आप यह समझ लें की शनी की दोनों राशियों में कुम्भ राशि अधिक प्रभावशाली है !

राशियों मैं सबसे प्रथम राशि मेष है, और यदि मेष को लग्न मान कर एक युगपुरुष की कुंडली बनाई जाय तो शनि दसवे घर का और ग्यार्वे घर का मालिक है |दसवा घर कर्म स्थान है और ग्यारवा कर्म के फल का स्थान है| ‘कर्म और कर्मफल’ दोनों एक गृह देता हो ऐसा वेदान्त ज्योतिष मैं और कोइ गृह नहीं है| तो समझने के लिए आप यह समझ लीजिये कि इम्तेहान का पेपर सेट शनि महाराज करते हैं, और वही आपकी कापी भी जाचेंगे; तो इतनी आसानी तो हो गयी; और यह भी आपको बता दूं, कि नंबर भी वे ज्यादा देते हैं | 
बस इतना ध्यान रखीये: जीवन की सारे इम्तेहान सिद्धांतो के व्यावहारिक अनुप्रयोग(PRACTICAL APPLICATION OF THEORY) पर होते हैं !

अब कुछ मकर राशि और कुम्भ राशि को समझ लेते हैं| 

सूचना युग मैं नेट पर सबसे आसान है हर विषय पर सूचना , और इस विषय पर भी ढेरो सूचना मिल जायेगी, और यह भी सत्य है कि अधिक सूचना से इंसान विमूढ़ हो जाता है, उसे समझ मैं नहीं आता कि क्या उपयोगी है, क्या नहीं! 

तो यहाँ हम बहुत ही साधारण तरीके से समझेंगे, जिसको भूलना आसान नहीं होगा|महशिवरात्रि,... जिस पावन पर्व पर ईश्वर शिव ने माता पार्वती से पाणिग्रहण संस्कार करा था, उसदिन इश्वर शिव को दर्शाता है सूर्य और वोह होता है कुम्भ राशि मैं, तथा माता पार्वती को दर्शाता है चन्द्र और वोह होता है शनि की दूसरी राशि मैं , अथार्त मकर में|

अब आपके लिए समझना आसान है, इश्वर शिव पूर्व वैरागी हैं, योगी हैं, जो अपने पास कुछ भी नहीं रखते, सबकुछ समाज को वापस कर देते हैं, ऐसी मान्यता है कि उनके पास खुद के रहने के लिए कुटिया भी नहीं है ; और कुम्भ राशी यही दर्शाती है |

उधर माता पार्वती एक अत्यंत धनवान परिवार से हैं, राज परिवार से हैं, और वे तप करके तथा सारे सुख त्याग कर शिव से विवाह करती हैं; यही मकर राशी दर्शाती है |

इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको सारे सुख त्यागने हैं, या पूर्ण वैरागी बनना है| इस विषय पर हमलोग चर्चा करेंगे, पहले शनि के बारे मैं कुछ और महत्वपूर्ण बात और जान लें|

वेदान्त ज्योतिष मैं शनि को दिशा बल मिलता है पश्चिम दिशा मैं, और कुंडली मैं सप्तम स्थान पश्चिम दिशा दर्शाता है |युगपुरुष की कुंडली मैं सप्तम स्थान मिलता है तुला राशी को, और तुला राशी मैं शनि उच्च का होता है, राज योग तक देता है |

सप्तम स्थान होता है बाहरी सम्बन्ध का; जिसमें पति का पत्नी से, परिवार का समाज से, तथा हर व्यक्ति का बाहर की दुनिया से सम्बन्ध प्रमुख है | पति पत्नी के सम्बन्ध पर तो आपको वेदान्त ज्योतिष मैं पुस्तके मिल जायेंगी, तो उससे हट कर मुख्य बात समझते हैं, आपका सम्बन्ध बाहरी दुनिया से, समाज से !
वैसे भी शनि ज्योतिष मैं आम जनता का कारक है !
अब आप शनि के बारे मैं सबकुछ जान गए , ...

शनि किसी भी ऐसे व्यक्ती को कभी भी नुक्सान नहीं पहुचाता जो समाज के बारे मैं सोचता हो, जिसमें कुछ त्याग की भावना हो तथा जो ...
बिना किसी निजी स्वार्थ के दूसरो के लिए कुछ करने मैं तत्पर रहता हो..

विशास करीये इससे आपका जीवन भी सवर जाएगा, सफलता आसान हो जायेगी....

लकिन समाज तक पहुचने का शोर्ट-कट कोइ नहीं है; आपको अपनी स्वम की उन्नत्ती की राह पर चलते हुए, अपने परिवार के लोगो के बारे मैं भी सोचना होगा, फिर बड़े या सम्पूर्ण परिवार के बारे मैं, फिर मोहल्ले या जिस सोसाइटी मैं आप रह रहे हैं, और तब आप समाज से सम्बन्ध बना पायेंगे....यह नहीं कहा जा रहा है कि सब जगह आपको धन व्य करना है, नहीं..लकिन विचार सकारात्मक रखने है, इन सबकी प्रगती मैं रुची रखनी है ..बहुत सी जगह घरो मैं कलह है, मुकदमेबाजी तक है, ..कैसे शनि को आप प्रसन्न कर सकते हैं, इन सब पर काम करे बगैर ?

नीचे पोस्ट लिंक दी होई है जिसमे धामिक और अध्यात्मिक की परिभाषा दी है , उसे पढीये, परिभाषा एकदम सरल है कही उतार कर रख लें, बार बार पढ़ें |
प्रयास करीए ...इश्वर आपको सफल करेगा !
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