HOW TO CONSTRUCT YUGS AS PER HINDU GYAN
युगों का निर्माण आप स्वंम इसलिए करें , ताकी आपको यह सच तो पता पड़े कि कौन सा युग मानवता के लिए अच्छा है और कौन सा मानवता के लिए खराब| अभी तक तो आपको जो बता दिया गया है , वह आपने मान लिया कि सतयुग सबसे अच्छा युग था, और कलयुग सबसे खराब, जब की सच्चाई यह है कि सतयुग सबसे खराब युग था , और कलयुग सबसे अच्छा| आज के सूचना युग मैं यह सहज भी है , तो कमसे कम खुद तसल्ली तो कर लीजीये कि सही क्या है |
ध्यान रखीये यहाँ आप वही ज्ञान इस्तेमाल करेंगे जो सनातन धर्म मैं बताया गया है , और वैसे भी हिंदू धर्म के बाहर कोइ युगों को मानता नहीं है , और चुकी हमारे धर्म गुरुजनो ने केवल हिंदू समाज को ठगने के लिए युगों का प्रयोग करा है , और युगों को भौतिक आधार पर आज तक परिभाषित तक नहीं करा है , इसलिए आपसब के प्रयास के बिना हिंदू धर्म के बाहर लोग इसे मानेंगे भी नहीं |
यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हिंदू समाज तब तक उनात्ति नहीं कर सकता, और आगे नहीं आ सकता, जब तक हिंदू युवा पीढ़ी अपने प्राचीन इतिहास मैं छुपी होई विज्ञानिक ज्ञान पर विश्वास और शोघ करने के लिए तत्पर न हो जाए, और इसके लिए आपके सार्थक प्रयास की आवश्यकता है|
कोइ बहुत कठिन काम नहीं है , युगों के निर्माण मैं , क्यूँकी सारे मापदंड आपको सनातन धर्म के ही प्रयोग करने हैं जो की मैं अपनी पोस्ट से उद्धत कर रहा हूँ :
“नीचे चार मापदंड का उल्लेख है, जो कि इस प्रकार हैं :
1. साइक्लिक विकास के सिद्धांत
2. पुनर्जन्म के सिद्धांत
3. अवतार की उस युग में संख्या
4. वेदांत ज्योतिष”……..पोस्ट : कलयुग सबसे श्रेष्ट युग मनुष्य के रहने के लिये
मान लीजिए आप एक संस्कृत के श्लोक का प्रयोग करना चाहते हैं, यह साबित करने के लिए की सतयुग वास्तव मैं बहुत अच्छा युग था ; पहले तो आप यह समझ लें कि संस्कृत का श्लोक अपने आपमें कोइ सबूत नहीं है , यह भी हो सकता है की किसी अज्ञात साधू संत ने समाज को मुसीबत के समय भावनात्मक तरीके से समझाने के लिए यह श्लोक कहा हो|
इसी भ्रम से निकालने के लिए ही तो आपको युगों का निर्माण करना है , ताकी आप स्वंम सत्य तक पहुच सके | इस युग निर्माण के मापदंडो का आंकलन चुकी आपको ही करना है, इसलिए समस्त निर्णय आप ही लेंगे |
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