Thursday, December 27, 2012

हिंदू ज्ञान के अनुसार युगों का निर्माण आप कैसे करेंगे

HOW TO CONSTRUCT YUGS AS PER HINDU GYAN
युगों का निर्माण आप स्वंम इसलिए करें , ताकी आपको यह सच तो पता पड़े कि कौन सा युग मानवता के लिए अच्छा है और कौन सा मानवता के लिए खराब| अभी तक तो आपको जो बता दिया गया है , वह आपने मान लिया कि सतयुग सबसे अच्छा युग था, और कलयुग सबसे खराब, जब की सच्चाई यह है कि सतयुग सबसे खराब युग था , और कलयुग सबसे अच्छा| आज के सूचना युग मैं यह सहज भी है , तो कमसे कम खुद तसल्ली तो कर लीजीये कि सही क्या है |
ध्यान रखीये यहाँ आप वही ज्ञान इस्तेमाल करेंगे जो सनातन धर्म मैं बताया गया है , और वैसे भी हिंदू धर्म के बाहर कोइ युगों को मानता नहीं है , और चुकी हमारे धर्म गुरुजनो ने केवल हिंदू समाज को ठगने के लिए युगों का प्रयोग करा है , और युगों को भौतिक आधार पर आज तक परिभाषित तक नहीं करा है , इसलिए आपसब के प्रयास के बिना हिंदू धर्म के बाहर लोग इसे मानेंगे भी नहीं |

यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हिंदू समाज तब तक उनात्ति नहीं कर सकता, और आगे नहीं आ सकता, जब तक हिंदू युवा पीढ़ी अपने प्राचीन इतिहास मैं छुपी होई विज्ञानिक ज्ञान पर विश्वास और शोघ करने के लिए तत्पर न हो जाए, और इसके लिए आपके सार्थक प्रयास की आवश्यकता है|

कोइ बहुत कठिन काम नहीं है , युगों के निर्माण मैं , क्यूँकी सारे मापदंड आपको सनातन धर्म के ही प्रयोग करने हैं जो की मैं अपनी पोस्ट से उद्धत कर रहा हूँ :

“नीचे चार मापदंड का उल्लेख है, जो कि इस प्रकार हैं :
1. साइक्लिक विकास के सिद्धांत 
2. पुनर्जन्म के सिद्धांत  
3. अवतार की उस युग में संख्या
4. वेदांत ज्योतिष”……..पोस्ट : कलयुग सबसे श्रेष्ट युग मनुष्य के रहने के लिये
पोस्ट ‘कलयुग सबसे श्रेष्ट युग मनुष्य के रहने के लिये’ , और इसके साथ की दूसरी पोस्ट “कलयुग मैं कर्म ही पूजा, पसंदीदा युग मनुष्य के लिये” से आपको युगों को कैसे निर्माण करना है , काफी जानकारी मिल जायेगी ; हाँ इसके आगे आपको विवेक का प्रयोग करना है , तथा जो भी सूचना का प्रयोग करें उसके लिए क्या मापदंड होने चाहिए, यह निर्धारित करने के लिए,  उपर चार मापदंड है , जो की सनातन धर्म की ही हैं| और कोइ मापदंड का प्रयोग आपको कर्ण भी नहीं है|
मान लीजिए आप एक संस्कृत के श्लोक का प्रयोग करना चाहते हैं, यह साबित करने के लिए की सतयुग वास्तव मैं बहुत अच्छा युग था ; पहले तो आप यह समझ लें कि संस्कृत का श्लोक अपने आपमें कोइ सबूत नहीं है , यह भी हो सकता है की किसी अज्ञात साधू संत ने समाज को मुसीबत के समय भावनात्मक तरीके से समझाने के लिए यह श्लोक कहा हो|
इसी भ्रम से निकालने के लिए ही तो आपको युगों का निर्माण करना है , ताकी आप स्वंम सत्य तक पहुच सके | इस युग निर्माण के मापदंडो का आंकलन चुकी आपको ही करना है, इसलिए समस्त निर्णय आप ही लेंगे |

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