Thursday, December 27, 2012

महामुनि पराशर ने संतान हेतु सत्यवती से विवाह करा

महामुनि पराशर महान ज्योतिष-आचार्य थे जिनकी वेदान्त ज्योतिष से सम्बंधित पुस्तके आज भी समस्त वेदान्त ज्योतिष का आधार हैं | वे बहुत ही सहज स्वभाव के थे और जन कल्याण के अतिरिक्त उनकी और कोइ भी इच्छा नहीं थी| इसलिए किसी तरह के कपट और स्त्री लोभ की बात जो कुछ पुस्तकों मैं उनके बारे मैं कही गयी हैं, वे गलत हैं| 
वे शकुन , लक्षण के भी महान ज्ञाता थे | जरा सोचीये आज ५००० वर्ष बाद भी उनकी पुस्तके वेदान्त ज्योतिष का आधार हैं , तो उस समय उनकी ख्याति क्या होगी? हर प्रथिष्टित धनवान व्यक्ति, राजा महाराजा उनके सामने नव मस्तक होते थे , ऐसा मैं उनके विरुद्ध कोइ भी आरोप लगाते समय कुछ तो समझ का इस्तेमाल होना चाहिए|

अब उस समय की विडंबना को देखते हैं; स्त्रियों की कमी और गर्भ धारण करने वाली स्त्रियों की और कमी, तथा इसके अलावा समस्या यह भी थी, कि नवजात शिशु सफलतापूर्वक बाल अवस्था नहीं पार कर पाते थे|
और इधर सत्यवती जिसे कोइ मछलियों के ढेर मैं छोड गया था| देखने मैं वह सुंदर नहीं थी, रंग भी काला था , और शरीर से एक अजीब से दुर्गन्ध आती थी|

यह सब इसलिए बताया जा रहा है , क्यूँकी कुछ पुस्तकों मैं यह कहा गया है कि महामुनि पराशर, सत्यवती पर आकर्षित हो गए, और उससे सम्भोग करने की इच्छा से आशीर्वाद दे कर उसकी दुर्गन्ध समाप्त कर दी, तथा एक संतान भी होई, जिसे हम महाऋषि व्यास के नाम से जानते हैं|

सचाई यह है कि महामुनी को आभास था, कि वे एक एक ऐसी संतान के पिता बनेगे जिसे पूरा विश्व मानेगा| उन्होंने ज्योतिष के आधार पर वह समय भी निकाल लिया था जब माता के गर्भ मैं शिशु का अवधारण होना था| 
समस्या थी तो इतनी कि वे अपनी समझ से एक कन्या का चयन करलें जो उस संतान को जन्म दे सके | 

ज्ञान और सूचना के आधार पर उन्हें सत्यवती के बारे मैं मालूम हुआ| उन्होंने उसके मछुआरे पिता से संपर्क करा, उनकी समस्या के समाधान के लिए उन्हें आश्वस्त करा, और सत्यवती का आयुर्वेद अनुसार उपचार करा जिससे दुर्गन्ध वाली समस्या समाप्त हो गयी | 

संतान हेतु पिता और पुत्री से, समझोता करके , सत्यवती से विवाह करा, और व्यास के उत्पन्न होने के पश्यात, तथा सफलतापूर्वेक शिशु अवस्ता निकलने के बाद , उन्होंने सत्यवती को त्याग दिया, ताकि वोह दुबारा, अगर चाहे तो विवाह कर सके | यही समझोता सत्यवती और उसके पिता चाहते थे, और यही उन्होंने किया|

वही संतान बाद मैं वेदव्यास के नाम से विश्व के समक्ष आई जिसने महाभारत जैसा महाग्रंथ लिखा| आप यह भी कह सकते हैं कि महामुनि पराशर ही वास्तव मैं पांडव और कौरव के पितामह थे, क्यूँकी पांडू और धृतराष्ट्र , महाऋषि वेदव्यास की संतान ही थी|

बहुत सी पुस्तकों मैं यह कहा गया है कि वेद व्यास सत्यवती की बिना शादी की औलाद थी जो की बिलकुल गलत है , कुछ मैं यह भी कहा गया है कि महाराज शांतनु के मृत्य के पश्यात जब सत्यवती की दोनों संतान भी मर गयी, तब वंश को आगे चलाने के लिए, उन्होंने वेद व्यास का सहारा लेने के लिए यह भेद उजागर करा | 

यह बात बिलकुल समझ मैं नहीं आती, एक तो महामुनी की ख्याति , दूसरी संतान को गर्भ मैं बिना बताए छिपाना अत्यंत कठिन , तीसरा उस समय के समाज को यह स्वीकार भी था, जिसका उद्धारण कुंती ने बाल अवस्था मैं कर्ण के भूण को आरम्भ के दिनों मैं अपने गर्भ मैं रखा, और बाद मैं मशीन द्वारा, वो शिशु मैं विकसित हुई|और कर्ण कुंती की संतान थी, यह बात भीष्म पितामह और श्री कृष्ण को भी मालूम थी | 

यह पोस्ट इसलिए भी आवश्यक थी ताकि आप यह समझ सके कि महाराज शांतनु ने जब सत्यवती से विवाह करा तब यह बात उन्हें मालूम थी, कि सत्यवती महामुनि पराशर की संतान को जन्म दे चुकी थी |

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3 comments :

Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता said...

आप यह सब जो लिखते रहते हैं - इसका स्रोत क्या है ? आपका अपना अनेलिसिस, या कोई ग्रन्थ ?

Unknown said...

गणेश-व्यास संवाद इस बात का पर्याप्त सन्देश देता है की महाभारत समझने के लिए आपको यह मानना पड़ेगा की समस्त ग्रन्थ कोडित(WRITTEN IN CODED SANSKRIT LANGUAGE) है , अथार्थ आसान नहीं है समझना |

तो एक ही तरीका किसी भी व्यक्ति के लिए बचता है , और वह है कि वर्तमान समाज को केन्द्र बिंदु मान कर समझा जाय ....इससे कमसे कम वर्तमान समाज का शोषण तो संभव नहीं है, क्यूँकी जो भी वर्तमान समाज को केन्द्र बीन्दू मान कर बताया जाएगा , उससे वर्तमान समाज का लाभ तो हो सकता है , हानि नहीं |

हेमन्त गौड़ डीडवाना said...

आप धन्यवाद के पात्र हैं की आप् सनातन धर्म के पुनरुत्थन के लिये इतना प्रयास कर रहे हैं
लेकिन क्या इस सबके लिये इस ब्लोग के अलावा भी कहीं कोइ कार्यक्रम चल रहा है या नहीं इसके बारे में भी जान्कारी देते तो और अच्छा होता, और इसके अलावा आप के क्या प्रयास हैं व दुसरे लोग इसमे क्या सहयोग कर सकते हैं इसके बारे में भी कुछ रोशनी डालने का कश्ट करे वैसे मैं बहुत प्रभावित हूं आपके इस लेखन और् सद्कार्य के लिये अपना आभार प्रकट करता हूं आशा है आप् इसी तरह के और प्रयास करते रहेंगें और हमें भी इस तरह का कार्य करने में सहयोग करने का रास्ता बताकर मौका देंगे

ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.