Thursday, April 19, 2012

सीता अपहरण पश्यात राम ने युद्ध हेतु अयोध्या से सेना क्यूँ नहीं बुलाई ?

WHY WERE FORCES TO FIGHT RAVAN AND LANKAN FORCES, NOT SUMMONED FROM AYODHYA AFTER SITA’S ABDUCTION BY RAVAN?~~~श्री राम ने १४ वर्ष के वनवास में वानरों को, जो कि मनुष्य कि नई प्रजाति थी, को समाज में रहने के नियम की, तथा सैन्य प्रशिक्षण भी दिया था !यही कारण है कि वानर सेना आधुनिक अस्त्रों से लिप्त राक्षसी सेना से युद्ध में सफल हो पाई
यह प्रश्न अत्यंत स्वाभाविक है , यदि हम रामायण को इतिहास और श्री राम और माता सीता को इश्वर अवतार मानते है ! कंही कंही यह बात भी कही जाती रही है कि, वनवास मैं राम अयोध्या से सेना कैसे बुला सकते थे ! यह बिलकुल गलत बात है जो कि उन लोगो ने फैला रखी है जो हिंदू समाज का भला नहीं चाहते ! 

जब राम कि चरण पादुका अयोध्या के सिंघासन पर विराजमान थी , और सीता को तो वनवास दिया नहीं गया था, तो यदि राम ने अयोध्या से सेना नहीं बुलाई , तो ‘क्यूँ नहीं बुलाई’ यह एक अत्यंत गंभीर विषय है !

श्री राम ने १४ वर्ष के वनवास में वानरों को, जो कि मनुष्य कि नई प्रजाति थी, को समाज में रहने के नियम की, तथा सैन्य प्रशिक्षण भी दिया था !
यही कारण है कि वानर सेना आधुनिक अस्त्रों से लिप्त राक्षसी सेना से युद्ध में सफल हो पाई ! यहाँ यह बात अच्छी तरह से समझ लें कि जिस समय लंका के पास विमान तक थे और सेना के पास आधुनिक अस्त्र, तो उसे पत्थर फेकने वाले वानरों की सेना ने तो नहीं हराया !

ध्यान रहे इतिहास मैं किसी भी व्यक्ति के पास आलोकिक एवं चमत्कारिक शक्तियां नहीं हो सकती !

निर्णय श्री राम का था, उन्हे विश्वास था कि वानर सेना राक्षसी सेना को युद्ध में हराने में सक्षम है ! यदी आप मिथ्या कि चादर, जो कि रामायण पर ढक रखी है को हटा दे, तो इतिहास के परिपेक्ष में आप साफ़ देख पायेंगे कि वानर पत्थर फेकने वाले य पेड़ों से लड़ने वाले जंगली नहीं थे, बल्कि प्रशिक्षित सैनिक थे !

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि तीन दिन में पुल का निर्माण कोइ आधुनिक वास्तुकार ही कर सकता था !

आलोकिक एवं चमत्कारिक शक्तियां कि मिथ्या कि चादर हटा कर ही हमें विष्णु अवतार श्री राम ने कैसे धर्म कि स्थापना करी, वोह पता पड़ सकता है ! इस बात कि भी जानकारी मिलेगी कि विज्ञान कितना प्रगति पर था ! 
परन्तु कष्टदायक बात यह है की हमारे धार्मिक गुरुजन ही इस मिथ्या की चादर को हटाने के विरोध मैं हैं , और इस कारण युवा छात्रों को उचित प्रोत्साहन, शोघ के लिए भी नहीं मिल पा रहा है ! पूरे समाज का नुक्सान हो रहा है , खाली कुछ शोषणकरता इसका लाभ ले पा रहे हैं !

आम हिंदू को समाज हित मैं इन विषयों पर कुछ करना होगा !
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