ॐ नम: शिवाय, जय माँ पार्वती , जय भोलेनाथ, जय महाकाल,इन सब नामो की गूंज के साथ महाशिवरात्रि का पर्व आरम्भ होता है | अनेक TV Channels, और समाचार पत्रों मैं यह भी दिखाया और बताया जाएगा कि आप इसकी सफलतापूर्वक पूजा कैसे करें | अब इच्छा आपकी है कि आप अपने परिवार मैं जैसे मनाया जाता है, वैसे मनाएं या टीवी वालो के कहने के अनुसार | यह जानना आवश्यक है कि महाशिवरात्रि का व्यक्ति और समाज के संधर्भ मैं उद्देश क्या क्या है, और क्यूँ यह अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है |महाशिवरात्रि को मनाए जाने का कारण क्या है, तथा पर्व से सम्बंधित खुगोलिक संकेतो पर चर्चा के लिए आप पढ़ सकते हैं: महाशिवरात्रि..प्रकृति और इश्वर का मिलन
कुछ उस पोस्ट से उद्धरण करता हूँ ==>
महाशिवरात्रि उस पावन पर्व का नाम है जब भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती से पाणिग्रहण संस्कार करा था ! हिंदू मान्यता बताती है कि त्रिमूर्ति में ब्रह्मा श्रृष्टि की रचना करते हैं, विष्णु उसका पालन, तथा शिव उसका संघार ! मानव स्वभाव कि चर्चा न करते हूए यह बताना ही पर्याप्त होगा कि भगवान शिव के विवाह को श्रृष्टि की प्रगति और विकास के लीये लाभकारी मानते हूए श्रधालु बड़ी धूमधाम, और जोश से इस पर्व को मनाते हैं !
यदि आप आकड़ो पर जाते हैं तो आप पायेंगे की भारत में सबसे ज्यादा मंदिर शिव के हैं, फिर विष्णु तथा उनके अवतार जैसे राम और कृष्ण के, और संभवत: ब्रह्मा का एक सिद्ध और मान्यता प्राप्त मंदिर है, जो कि पुष्कर में है ! मनुष्य पूजा डर से या कुछ लाभ के लीये या फिर वोह श्रृष्टि रचेता को आदर और प्यार देने हेतु करता है , इसपर निर्णय पाठक ही करें !
इस पर्व का महत्त्व इसलिए भी है कि इसमें पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना गया है ! अविवाहित कन्या मंगलमय विवाह के लीये, विवाहित दंपत्ति संगतता समस्याओं के समाधान के लीये, तथा अन्य ईश्वर की अनुकंपा के लीये पूजा करते हैं !
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अब कुछ चर्चा कर लेते हैं कि महाशिवरात्रि पर्व का व्यक्ति और समाज के संधर्भ मैं उद्देश क्या क्या है, और क्यूँ यह अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है |
जी हाँ यह सत्य है की व्यक्ति पहले अपने स्वार्थ सिद्धी के लिए ही इश्वर की पूजा करता है, और मेरे विचार से यहीं से धर्म का कार्य आरम्भ होता है | धर्म यह अवश्य चाहता है कि आपकी जितनी भी सकारात्मक इच्छाएँ हैं, इश्वर उनको पूरी करे, परन्तु यह भी उम्मीद करता है कि आप भी धर्म अनुसार समाज और प्रकृति के हित मैं कार्यरत रहेंगे | तथा ‘आप भी धर्म अनुसार समाज और प्रकृति के हित मैं कार्यरत रहेंगे’ जैसी बात को न समझने के कारण अनेक बार इश्वर आपकी पूजा अर्चना पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पाते |
जैसा कि पहले कहा गया है महाशिवरात्रि इश्वर शिव और माता पार्वती के विवाह का पर्व है, तथा माता पार्वती का दूसरा स्वरुप है प्रकृति | अर्थ स्पष्ट है, इश्वर शिव प्रकृति के साथ मिल कर ही इस श्रृष्टि का पोषण कर सकते हैं | और विस्तार से देखें तो चाहें आप Architectural Engineering मैं आस्था रखते हों या पुरानी शिल्प कला और वास्तु शास्त्र मैं, आप घर के अंदर से ही प्रकृति का आदर करने का संकल्प कर लेते हैं, क्यूंकि Architectural Engineering, शिल्प कला और वास्तु शास्त्र सब प्रकृति के समन्वय और तालमेल को स्वीकार करके घर निर्माण करते हैं, और वही हाल घर से बाहर निकलने पर है |
लकिन वास्तव मैं प्रकृति सिमटती और सिकुडती जा रही है; प्रदुषण और संसाधनों का अनाधुन प्रयोग और दुरूपयोग से Global Warming से पूरी श्रृष्टि खतरे मैं है | भारत मैं शहरो मैं वायु पूरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है, आप चाहें तो किसी भी शहर के प्रदुषण की जानकारी नेट से ले सकते हैं| नदियाँ नालो मैं बदल गयी हैं , गंगा जैसी पवित्र नदी भी पूरी तरह से प्रदूषित है |
अब आप बताएं सिर्फ ‘ॐ नम: शिवाय और जय माँ पार्वती’ कहने से तो काम नहीं चलने वाला; सनातन धर्म भौतिक धर्म है, जिसको अगर आप ईमानदारी से मानेंगे तो भौतिक प्रमाणित आकडे पर्यावार्हन के और प्रकृती के सही होने लगेंगे , और आपकी व्यक्तिगत मनोकामनाएं, विश्वास करीए, इश्वर सबसे पहले पूरी करेगा |
विनर्म निवेदन==>आप इसे पूजा समझ कर आगे तो बढ़ें !
To read in English : MAHASHIVRATRI
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