Sunday, November 22, 2015

पुराण है पुराणिक इतिहास तथा खगोलीय भूगोलिक सूचना पृथ्वी और सौर्यमण्डल की

पुराण जैसा की शब्द संकेत देता है, पुराणिक इतिहास है, जिसका आरम्भ सौर्यमण्डल और पृथ्वी की उत्पत्ति से पहले के ब्रह्माण्ड से शुरू होता है | 
ये मानने और स्वीकार करने में कोइ संकोच नहीं होना चाहीये की पुराण मात्र इतिहास नहीं है , अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी देता है |
पुराण से मुख्य जानकारी जो हमसब को मिलती हैं :

1. पुनरावृत्ति ज्ञान और शिक्षा,

2. खगोलीय (ASTRONOMICAL) और भूगोलिक इतिहास पृथ्वी का,

3. सुर और असुर और उससे सम्बंधित विज्ञानिक, खुगोलिये और भूगोलिक विकास और सम्बंधित सूचना पुरानो में है....

4. कब तक श्रृष्टि चक्रिये नहीं थी....सति के समय तक..और बाद में चक्रिये हुई.....उसकी सूचना, इतिहास भी है, पुरानो में !

5. पुराण पृथ्वी और सौर्यमण्डल की उत्पत्ति पर प्रकाश भी डालता है...

6. रसायन, भौतिक तथा उष्णता सम्बंधित विज्ञान और प्रतिक्रिया जो भूमि के अंदर, वातावरण में , सौर्यमण्डल में, अंतरिक्ष में हो रही है..उससे सम्बंधित ज्ञान और जानकारी |

7. सुर और असुर का असमंजस्य और सामंजस्य..= = > हर पेड़ पौधे वनस्पति, जीव-जंतु, पृथ्वी के अंदर और बाहर,
तथा..
इसके कारण प्राकृतिक विपदा, रोग, मानव का नकरात्मक दृष्टिकोण, जिसके कारण पृथ्वी प्रलय की और बढती है |

8. तथा पुराणिक इतिहास तो है ही |

अब 
इनसब ज्ञान और जानकारी पर पर्दा डाल कर संस्कृत विद्वान और धर्मगुरु बैठे हैं, तथा सूचना युग में समाज के शोषण हेतु पुराण को अलोकिक शक्ति के साथ हिन्दू समाज को मात्र भक्ति के लिए पहुचाने का काम यह लोग कर रहे हैं |
हाँ, 
यदि विदेश से कोइ प्रश्न आता है, तो यह संस्कृत विद्वान उसका उत्तर, बिना अलोकिक शक्ति का प्रयोग करे, एकदम सही विदेशीयों को देते हैं, जिससे वे शोघ कर पाते हैं , तथा संस्कृत विद्वानों की खयाति विश्व भर में होती है, ...
और 
हमसब शिक्षित लोग भी गर्व का अनुभव करते हैं की हमारी प्राचीन संस्कृति और ज्ञान का अनमोदन विदेशी भी कर रहे हैं,
तथा...
अपनी गुलामी वाली मानसिकता के कारण कभी भी यह नहीं पूछते की हमारी विद्यालयों और विश्वविद्यालय में सही सूचना क्यूँ नहीं पहुच रही है...ताकि हमारे विद्यार्थी भी इसपर शोघ कर सकें |
शायद डर लगता है कि गुरूजी कहीं श्राप ना देदें, .. 

सनातन धर्म चमत्कार, ‘श्राप और वरदान’ में बिलकुल आस्था नही रखता, लकिन समाज को गुलाम बना कर रखने के लिए कोडित पुराण, रामायण और महाभारत, ‘श्राप और वरदान’ से भरे पड़ें हैं ....ताकि हिन्दू समाज की गुलामी कभी समाप्त ना हो |पढ़ें: क्या कारण है कि श्राप और वरदान सिर्फ गरीबो के कष्ट की कमी के लिए नहीं हैं
फिर से कह रहा हूं अगर हिन्दू समाज अभी भी नहीं जागा तो बहुत देर हो जायेगी | सारी सूचना गलत दी जा रही है| धर्म की जगह अधर्म सिखाया जा रहा है | पढ़ें: युद्ध मैं द्वारिका की भूमिका अर्जुन दुर्योधन तयकरें तो कृष्ण देशद्रोही हैं
ऐसे में कोइ ज्योतिष की आवश्यकता भी नहीं है, सूचना युग में आप यह अनुमान तो लगा ही सकते हैं, की निकट भविष्य हिन्दू समाज के लिए कष्टदायक है |
और हमारी मानसिकता देखीये, हिन्दू समाज बदलना नही चाहता, चुपचाप से गुलामी की और बढ़ जाएगा |

सोचीये, कुछ करीए , हिन्दू समाज को जगाईये !
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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.