अपहरण किसी का भी हो सकता है,
और
यदि अपहरण महिला का हुआ है ,
तो
अक्सर उस महिला को समाज दोषी बताना शुरू कर देता है |
श्री राम ने अग्नि परीक्षा, जो एक अमानवीय धार्मिक आदेश था उस समय का...धर्म द्वारा स्त्रियों पर जुल्म करने का,
उसको निरस्त करा, अधर्म घोषित करा |
संस्कृत विद्वान और धर्मगुरू समाज कि 'गुलाम मानसिकता' रखने के लिए गलत धर्म बताते रहे हैं . जिसका आज तो विरोध होना चाहीये|
सूर्पनखा की नाक कट्या उपरान्त , चुकी रावण वीर तो था नहीं ,इसलिए वोह चचेरे भाई खरदूषण की तरह ललकार कर राम से युद्ध करने नहीं आया ..!
तो
श्री राम ने एक अनुमान तो यह लगाया कि सीता का अपहरण हो सकता है !
और
उस समय धार्मिक नियम यह था कि अपहरण स्त्री समाज में वापस नहीं जा सकती...
जब तक वोह अग्नि परीक्षा ना देदे ,
श्री राम ने सीता को चुपके से (यहाँ तक की लक्ष्मण को भी नहीं पता था) ,
अग्नि परीक्षा पारित करने का कौशल दिया !
और समाज कि 'गुलाम मानसिकता' रखने के लिए,
संस्कृत विद्वानों और धर्मगुरूओ ने एक अधर्म श्री राम के नाम से बता दिया ..
कि श्री राम ने असली सीता को अग्नि देव को सुपुर्द करके सिर्फ छाया रख ली !
ध्यान दें:
श्री राम ने असली सीता को अग्नि देव को सुपुर्द करके सिर्फ छाया रख ली...एक घृणित अधर्म है, जो श्री राम कभी कर नहीं सकते थे | और ... श्री राम ने सीता को अग्नि परीक्षा पारित करने का कौशल दियाएक श्रेष्ठ धर्म है, जिसके सकारात्मक परिणाम की समाज को कल भी आवश्यकता थी, और आज भी |
सकारात्मक और श्रेष्ठ धर्म इसलिए है क्यूंकि पहला सन्देश यह देता है कि अग्नि परीक्षा सिर्फ कौशल से पारित करी जा सकती है, उसका स्त्री की ‘पवित्रता’ से कुछ भी लेना देना नहीं है |
इसलिए अपहरण पश्च्यात सीता के लौटने पर श्री राम इस विषय पर जरा भी कोइ विचार नहीं करेंगें कि अपहृत सीता के साथ क्या दुर्व्यवाहर हुआ, क्यूंकि अपहरण एक असामाजिक कलंक और पाप है जिसके उपरान्त स्त्री पर कोइ भी दोष नहीं आना चाहीये !
कितना महत्वपूर्ण यह धर्म है , जो संस्कृत विद्वान और धर्मगुरु ‘बीमार मानसिकता’ के कारण समाज तक नहीं पहुचने दे रहे हैं |
कितना घृणित अधर्म श्री राम के नाम से बताया गया है, देख लीजिये ..
कि आप अपनी पत्नी , बहन या बेटी के स्थान पर किसी दूसरी महिला का अपहरण करवा सकते हैं ?
और गुलाम हिन्दू समाज इसे स्वीकार कर लेता है , जबकि यह असत्य है !
वैसे भी ईश्वर अवतरित होकर अलोकिक शक्ति का प्रयोग क्यूँ करेंगे..?
अगर ईश्वर को अलोकिक शक्तिओ का प्रयोग करना ही होता, तो वे अपने लोक से पृथ्वी पर अवतार क्यूँ लेते?
क्यूंकि मानव के पास तो यह शक्ति है नहीं !
मानव के लिए अवतरित ईश्वर का अलोकिक शक्ति के साथ बताया हुआ धर्म बेकार है |
और फिर ...
अवतरित ईश्वर का इतिहास दूसरा वेद क्यूँ कहलाता ..?
क्यूंकि वेद का मुख्य उद्देश तो ‘समाज में जीने का ज्ञान’ है !
और समाज में जीने के ज्ञान और मार्ग में अलोकिक शक्ति का कोइ स्थान नहीं है, न हो सकता है |
फिर से ...
क्यूंकि मानव और मानव के इतिहास में अलोकिक शक्ति का कोइ स्थान नहीं है,
और अलोकिक शक्ति के साथ अवतार कोइ धर्म कभी स्थापित नहीं करेंगे !
और इतिहास बताता है कि रावण ने माता सीता का अपहरण करा ..!
रावण और लंका पर विजय उपरान्त सीता ने सफलता पूर्वक अग्नि परीक्षा पारित करी,
और अयोध्या की महारानी बनी !
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