इस पोस्ट का उद्देश युवा वर्ग को यह अवगत कराना है कि वेदान्त ज्योतिष एक अत्यंत आधुनिक, कारगर ज्ञान है, जिसका प्रयोग करके किसी भी विषय में भविष्य में ‘प्रवति और रुझान’ सम्बंधित जानकारी प्राप्त करी जा सकती है |
शिक्षा के विस्तार के साथ अनेक विषयों में ‘प्रवति और रुझान’ से सम्बंधित पाठ्य कार्यकर्म हैं | जो युवा इस दिशा में शिक्षा ले रहे हैं, और कुछ निपुर्नता प्राप्त कर रहे हैं, वे आर्थिक दृष्टि से समृद्ध भी हैं , लकिन ऐसा कोइ पाठ्य कार्यकर्म नहीं है जो हर विषय में प्रयोग हो सके |
जहाँ एस्ट्रोलॉजी असफल होती है, भारत मैं कुछ लोग सीधे प्रहार वेदान्त ज्योतिष पर करना शुरू कर देते हैं , जबकी फिर से,.... एस्ट्रोलॉजी और वेदान्त ज्योतिष में अंतर है |
वेदान्त ज्योतिष और एस्ट्रोलोजी में अंतर :
ध्यान रहे पूरे विश्व मैं एस्त्रिलोजी को लेकर अलग अलग शास्त्र हैं, पाठ्य पुस्तक हैं , नियम हैं, ...और एस्ट्रोलोजी भविष्यवाणी करने ले लिए और किसी के जीवन मैं निश्चित घटना बताने के लिए पाठ्य कार्यक्रम है,......लकिन वेदान्त ज्योतिष में ऐसा नहीं है |
एस्ट्रोलोजी प्राय मनुष्य के जन्म के समय सूर्य और अन्य ग्रह उस स्थान से कैसे दिख रहे हैं, उसपर निश्चित भविष्यवाणी कर सकती है...
लकिन वेदान्त ज्योतिष कर्म को मानती है, तथा यह भी मानती है कि कर्म से कोइ भी मानव अपने भविष्य को बदल सकता है ; वेदांत ज्योतिष पूरी तरह से पुनर-जन्म के सिद्धांत को भी मानती है |
फिर से ‘कर्म से कोइ भी मानव अपने भविष्य को बदल सकता है’, यह वेदान्त ज्योतिष का मानना है, और यहीं से अंतर शुरू हो जाता है|
ऐसे मैं वेदान्त ज्योतिष की भविष्यवाणी सिर्फ प्रवति और रुझान तक ही सीमित हो सकती है, क्यूंकि कर्म तो मानव हर समय करता रहता है|
स्वाभाविक है फिर यह प्रश्न उठना कि कुछ लोग यह क्यूँ कहते हैं कि वेदान्त ज्योतिष ज्यादा सटीक भविष्यवाणी कर सकती है !
इसका आसान सा उत्तर है; भविष्यवाणी ज्योतिषाचार्य या ‘पंडित जी’ करते हैं, अपने अनुभव के कारण, न कि इसलिए कि यह पाठ्य शास्त्र निश्चित भविष्यवाणी को प्रोहित्साहित करता है |
अनेक ‘जान लेवा रोग’ के विशेग्य भी निश्चित तौर पर बता पाते हैं कि अमुक मरीज़ अब कितने समय तक जीवित रहेगा; अपने अनुभव के कारण, ना कि इसलिए कि डाक्टरी के पाठ्य कार्यकर्म में ऐसी भविष्यवाणी भी सिखाई जाती है |
लकिन उपर जो भी कहा गया है, आपको आवश्यक सूचना देने के लिए है , परन्तु मानव को सदा भविष्य में अनेक विषयों पर ‘प्रवति और रुझान’ की आवश्यकता होती है | तथा यह आवश्यकता पहले भी थी, और आज के सूचना और विकास के युग में और अधिक हो गयी है ! हर विषय पर ‘प्रवति और रुझान’ सम्बंधित पाठ्य कार्यकर्म हैं, और जो लोग इस विषय में ज्ञान और कौशल रखते हैं, वे आर्थिक दृष्टि से समृद्ध हैं |
जैसा की वेदान्त ज्योतिष शब्द का अर्थ है, वोह ज्योति या रोशनी डालता है, उस विषय पर, जिसपर आप ‘प्रवति और रुझान’ से सम्बंधित ज्ञान/ज्योति चाहते हैं |
इसलिए समय निकाल कर , युवा वर्ग से यह अनुरोध है कि इस विषय पर ज्ञान/शिक्षा अवश्य प्राप्त करें | और, वैसे भी अब वेदान्त ज्योतिष करीब करीब सब विश्वविद्यालय में एक मान्यता प्राप्त शिक्षा विषय है | इन्टरनेट से भी आप इस विषय पर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं |
यह लेख इसलिए भी आवश्यक हो गया था कि कुछ लोगो की “गलत” धारणा है कि वेदान्त ज्योतिष एक ‘दकियानूसी’ सोच है , और शिक्षित वर्ग को इससे अलग रहना चाहीये | मेरा उद्देश इस लेख से यूवा वर्ग को अश्वस्त करना है कि जो ऐसा सोचते हैं वे ही दकियानूसी हैं , उनसे पहले आप निर्भीक होकर पूछीये कि वे हर विषय मैं जो पाठ्य कार्यकर्म ‘प्रवति और रुझान’ से सम्बंधित चल रहे हैं, उनपर उनकी टिपणी क्या है | विशवास रखीये, उनको कुछ भी नहीं मालूम होता है , वे सिर्फ ‘आलोचक’ हैं |
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