Thursday, December 5, 2013

छात्रों और युवाओं से हिन्दू समाज को कर्मठ बनाने हेतु श्रमदान

पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्विध्यालय का निर्माण करवाया था, और वोह भी सिर्फ दान के पैसो से| बहुत बड़ा संकल्प था उनका, और जिन लोगो ने यह विश्विध्यालय देखी है, वे जानते है कि यह कार्य अभूतपूर्ण था, जो एक महान व्यक्ती ही सोच सकता है, और पूरा कर सकता है| अंग्रेजो का राज्य था, और ईसाई समाज का बोलबाला था, तो हिन्दू विश्विध्यालय का सपना उनका बहुत लोगो को मात्र सपना ही लगा, और वोह भी बिना किसी सरकारी सहायता के, मात्र दान के पैसे से| लकिन उन्होंने यह सपना पूरा करा और यही नहीं एक ऐसी विश्विद्यालय की स्थापना करी, जो आज भी विश्व भर मैं गिनी चुनी विश्विद्यालयों मैं से एक है|
दान के लिए जब वे निकलते तो सिर्फ रजवाडो मैं जा कर राजाओ से दान नहीं मांगते थे, उस समय के उद्योगपतियों से भी उन्होंने सफलतापूर्वक दान लिया, छोटे छोटे व्यापारियों से भी दान लिया| कुल मिलाकर उस महान साधू और भिक्षुक ने किसी को नहीं छोड़ा, और फिर छोड़ते भी कैसे; विद्या और धर्म का प्रचार तो समाज को बिना किसी आर्थिक बोझ के मिलना चाहिए, यह उनका मानना था, और इसी सोच से उनके संकल्प मैं दृढ़ता आई|
फिर से समझ लीजिये विद्या, शिक्षा और धर्म, समाज का अधिकार है, और उसके लिए किसी तरह का कोइ भी आर्थिक बोझ किसी हिन्दू समाज के परिवार पर नहीं पड़ना चाहिए|
यहाँ तक तो हुआ, कि जब उन्होंने दान से विश्विध्यालय बनाने का संकल्प ले लिया, तो पहले वे काशी के ब्राह्मण समुदाय से मिले| उन्होंने बताया की संकल्प वे ले चुके हैं, और दान तो वे सब से लेंगे, यहाँ तक की निर्धन ब्राह्मण समाज से भी, और चुकी धन तो ब्राह्मण समाज के पास है नहीं, इसलिए उन्होंने ब्राह्मण समाज को सवा करोड़ गयात्री मन्त्र के दान के लिए मना लिया, और वही से उनकी दान एकत्र करने की यात्रा शुरू होई|

आज फिर से कुछ ऐसी समस्या आई है की हिन्दू समाज को श्रमदान से धर्म का सही अर्थ पूरे समाज मैं पहुचाना होगा, क्यूँकी धर्मगुरु जितने भी हैं, वे तो समाज के शोषण मैं लगे हुए हैं| वे जानबूझ कर शोषण की नियत से, हिन्दू समाज को कर्महीन रखना चाहते हैं, और उसके लिए गलत धर्म का प्रचार कर रहे हैं, ताकी पूरी तरह से भावनात्मक रहे, और उसे गुलाम बना कर रखा जा सके| लकिन हिन्दू समाज के पास आज कोइ महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जैसा साधू व्यक्ति तो है नहीं, इसलिए साधारण हिन्दू को ही उनको आदर्श मान कर इस कार्य के लिए आगे आना होगा, और बढ़ाना होगा|

फिर से समझ लें: धर्मगुरु समाज के शोषण मैं लगे हुए हैं| वे जानबूझ कर समाज को कर्महीन रखना चाहते हैं, और गलत धर्म का प्रचार कर रहे हैं, ताकी हिन्दू समाज पूरी तरह से भावनात्मक रहे, और उसे गुलाम बना कर रखा जा सके

यह भी सत्य है की हिन्दू समाज का शिक्षा ग्रहण करने वाला आज का युवा वर्ग भी निर्धन है, माता पिता के पैसो से शिक्षा प्राप्त कर रहा है, लकिन में सबसे पहले उनको ही, इस श्रमदान मैं साथी बनाना चाहता हूँ| इस युवा वर्ग को सूचना का वितरण कैसे करा जाय, उसकी महारथ उपलब्ध है, जो मेरे उम्र के लोगो के पास नहीं है| इस वर्ग मैं जोश भी है, समाज सुधार के लिए उमंग भी है, सिर्फ उसे यह समझना होगा की कार्य सनातन धर्म की प्रगति के लिए होना है, और सनातन धर्म की प्रगती का प्रमुख भौतिक आकलन हिन्दू समाज की प्रगति से ही हो सकता है, क्यूँकी अकेला हिन्दू समाज ही पूरी निष्ठां से सनातन धर्म को मानता है| अगर सनातन धर्म प्रगतिशील है, तो समाज हर समय प्रगति करेगा, जो की नहीं हो रहा है| आपको विश्वास दिलाता हूँ कि सनातन धर्म प्रगतिशील है, कष्ट मात्र इस बात का है कि कोइ भी धर्मगुरु यह बात नहीं कह पारहा है

हिदू समाज के युवा वर्ग, आपसे श्रमदान चाहिए, हिन्दू समाज को कर्मठ बनाने के लिए आवश्यक सूचना को समाज तक पहुचाने मैं| सूचना उपलब्ध है, और आपसब को भी समझ मैं आ जाएगा कि आज के धर्मगुरु गलती क्या कर रहे हैं, तथा कैसे मामूली से सुधार से सब ठीक हो सकता है| परन्तु उसके लिए प्रयास तो पूरा करना होगा, क्यूँकी धर्मगुरु साथ नहीं दे रहे हैं, वे उल्टा शोषण मैं लगे हुए हैं|

जय सियाराम, जय राधेकृष्ण !!!

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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.