“मुझे लिखना स्वीकार है, बस यह सुनिश्चित करना होगा की मेरी लेखनी रुके नहीं”, गणेश जी ने कहा|
व्यास जी ने कुछ सोच कर उत्तर दिया कि उन्हें यह स्वीकार है, और अनुरोध करा की गणेश जी बिना समझे कुछ न लिखे, जिसके लिए गणेश जी तैयार हो गए|
गणेश जी की प्रथम पूजा होती है, वे समस्त विग्न, बाधा का नाश करते है, और यदी अलोकिक शक्ती के बिना सब समझना हैं, तो इस संवाद का क्या महत्त्व है? इससे कुछ सन्देश तो अवश्य मिल रहे हैं, जिन्हें स्वीकार करे बिना आप इस महाकाव्य का पूरा लाभ नहीं ले सकते| एक सन्देश तो एकदम स्पष्ट है, की आपको इसे समझने मैं विग्न बाधा आयेगी| ध्यान रहे, माता सरस्वती की जगह, स्थान गणेश जी को दिया गया है, और यह मैं इसलिए कह रहा हूँ, की विद्या की देवी माता सरस्वती हैं, और यहाँ यह तो स्पष्ट है की समझने मैं विग्न बाधा आयेगी, अर्थात भाषा का अद्भुत ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है, इसलिए गणेश जी से आशीर्वाद माँगा गया है, और वोह भी, समझने की बात है कि “बिना समझे कुछ न लिखे”, यानी की अगर गणेश जी को समझने मैं समय लग सकता है, तो साधारण मानव के लिए तो इसे समझने मैं पर्याप्त विग्न बाधा हैं|
उद्धारण:यदी आप रामायण बिना बिना अलोकिक और चमत्कारिक शक्ति के समझेंगे तो आप पायेंगे की श्री विष्णु का राम अवतार का उद्देश इस प्रकार था ::सनातन धर्म मैं अवतार का स्वरुप, कम विकसित और अशिक्षित समाज के लिए, अलोकिक शक्ती की चादर के साथ होता था, जैसा की आजादी से पहले था |औरविकसित , शिक्षित समाज के लिए, बिना अलोकिक शक्ती और चमत्कारिक शक्ती के , जैसा की आजादी के बाद के समाज के साथ होना था, परन्तु नहीं हुआ|
1. स्त्रियों पर विभिन् प्रकार के अत्याचारों को समाप्त करना, तथा अग्नि परीक्षा जैसा असामाजिक शोषण, जिसको धार्मिक मान्यता भी प्राप्त थी उसे अधर्म घोषित करना!2. कमजोर वर्ग को सामान्य अधिकार समाज में दिलाना! वानर नई प्रजाति थी जो सतयुग में प्राकर्तिक विकास से उत्पन्न होई थी, और जिनके पूँछ थी ! वानर जाती को मनुष्य समाज ने तथा समस्त राज्यों ने मनुष्य मानने तक से इनकार कर रखा था, और उनके साथ जानवर जैसा दुर्व्यवहार होता था !3. एक ऐसे राज्य की स्थापना करना जिसमें किसी तरह का अत्याचार न हो, समाज में धन, जाती, या उत्पत्ति के नाम पर कोइ भेद भाव न हो, तथा निष्पक्ष न्याय हो! इसी राज्य को हमसब राम राज्य के नाम से भी जानते हैं
इससे पहले महाभारत के अतिरिक्त बाकी सब ग्रन्थ मैं क्या कोड है, वोह एक बार फिर से समझ लें:
1. अलोकिक शक्ति हटाना ही पर्याप्त है, और उस समय के इतिहास का निर्माण उस समय की स्तिथी तथा भूगोलिक स्तिथी के अनुकूल करना होगा,
2. ध्यान रहे इतिहास की प्रस्तुति सदेव वर्तमान समाज के हित मैं रख कर ही करनी होती है, और आवश्यकता हो, तो व्याख्या और अंतर्वेषण(INTERPRETATION and INTERPOLATION) का प्रयोग करा जा सकता है|
3. महाभारत मैं इसके अतिरिक्त और भी कुछ करना होगा|
1 comment :
सुंदर प्रस्तुति,आप को गणेश चतुर्थी पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें ,श्री गणेश भगवान से मेरी प्रार्थना है कि वे आप के सम्पुर्ण दु;खों का नाश करें,और अपनी कृपा सदा आप पर बनाये रहें...
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