को लेकर अनेक टिप्पणी आ रही हैं, और लोग इसपर और प्रमाण चाहते है की यह कैसे कहा जा रहा है, कि ‘पूर्णता मैं नहीं अस्तव्यस्तता मैं विशवास करता है’|
सत्य यह है की सनातन धर्म उत्तम और सिद्ध धर्म इसलिए है की वोह ‘पूर्णता मैं नहीं अस्तव्यस्तता मैं विश्वास करता है’|
अंग्रेज़ी मैं भी कह देता हूँ, की ‘Sanatan Dharm is Perfect, Impeccable, Surpassing, because it believes in Chaos, and NOT in Perfection’
अंग्रेज़ी मैं भी इसपर विरोध हो रहा है, की ‘How can one say that Sanatan Dharm is not PERFECT and believes in Chaos’. इसी को हिंदी मैं कहा जाय तो ‘Perfect’ की जगह ‘उत्तम’ हो जाएगा, और यह तो कहीं बात हो नहीं रही की सनातन धर्म उत्तम और सिद्ध धर्म नहीं है, फिर से सुन लीजिये यह कहीं नहीं कहा गया है|
कारण क्या है कि ‘धर्म अस्तव्यस्तता मैं विश्वास रखता है’, इसे स्वीकार करना मुश्किल है? पहले तो आप यह समझ लें की क्यूँकी धर्म का स्वरुप इश्वर के बराबर माना गया है, और इश्वर तो पूर्ण है, इतना पूर्ण है की परिभाषित भी नहीं हो सकते, तो उनका बनाया हुआ धर्म पूर्ण क्यूँ नहीं होगा| सबसे पहले हर व्यक्ति के मन मैं यह सोच आती है|
अब मैं यहाँ पर सिर्फ चर्चा मैं दो और धर्म/Religion की बात करुंगा, वे हैं, इसाई और इस्लाम| यह दोनों धर्म/Religion एक ही सिद्धांत को लेकर बने की इश्वर ने दुनिया की रक्षा के लिए यह धर्म/Religion निर्धारित करा है, और ईसाई पहले आए, तो उन्होंने कहा की ईसा इश्वर के पुत्र थे, जो यह सन्देश ले कर आए, और इस्लाम बाद मैं आया तो उन्होंने कहा कि पैगम्बर मुहम्मद अल्लाह के पैगंबर थे, और दोनों ही नियमवध धर्म बन गए|
सख्त नियम बने, और पहले ईसाईयों ने जोर जबरदस्ती करी अपनी धर्म/Religion का विस्तार करने के लिए और इस्लाम आने के बाद कुछ और क्रूर अंदाज़ से जोर जबरदस्ती हुई| इसका एक और परिणाम है की जब से यह दोनों मजहब आए हैं, परस्पर आपस मैं लड़ रहे है, और इसका साक्षी लिखा हुआ इतिहास है !
सनातन धर्म, इश्वर पूर्ण है, यह अवश्य मानता है, लकिन यह भी स्वीकार करता है , की जहाँ हर व्यक्ति कर्मो को भोगते भोगते, मोक्ष की और बढ़ जाता है, वहां उसी व्यक्ति से बना हुआ समाज अच्छे और बुरे मैं सामंजस्य न बना पाने के कारण प्रलय की और बढ़ता है|
यह पोस्ट सीधे मुख्य पोस्ट ‘सनातन धर्म पूर्णता मैं नहीं अस्तव्यस्तता मैं विशवास करता है’, जिस पर जिज्ञासा व्यक्त करी जा रही है, उससे जुडी हुई है, यानी की आपको दोनों पोस्ट साथ मैं पढनी होगी तभी प्रश्नों का उत्तर मिल पायेगा|
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