“विज्ञान का विकास कोइ अस्माकित घटना नहीं होती! उसके लिये यह आवश्यक है कि अनुकूल वातावरण हो, शिक्षा का स्थर विज्ञान सम्बंधित शोघ को समाज तक पहुचाने की क्षमता रखता हो, तथा समाज और शासन की, विज्ञान से जो आधुनिकरण सम्बंधित लाभ हो रहे हो, या हो सकते हैं , उसकी मांग हो !सत्ययुग मैं और त्रेता युग मैं श्री राम से पूर्व अनेक युद्ध हुए थे , लेकिन कभी भी सृष्टी का विनाश इस तरह से नहीं होपाया , जैसे की महाभारत के बाद हूआ था ! यदपि युद्ध मनुष्यता के नाम पर कलंक है, लेकिन यह भी सत्य है की अधिकाँश आधुनीकरण युद्ध , या युद्ध उपरान्त ही हुए हैं !यह एक तथ्य है जिसे नक्कारा नहीं जा सकता ! पूर्ण विनाश , महाभारत की तरह नहीं हो पाया, इस लिये समाज उन्नंती करता गया ! उसका एक उद्धारण तो हम सब को मालुम है; शिव धनुष जो की प्रलय स्वरूप, विनाशकारी था(WEAPON OF MASS DESTRUCTION), और जिसको बनाने के लिये विकसित विज्ञान की आवश्यकता थी , वोह श्री राम से पूर्व त्रेता युग मैं था !”
पढाई, ज्ञान कम था ; ऐसे मैं “जहाँ जहाँ विज्ञान का असर दिखाई दिया, वहाँ यह समझा दिया गया कि रामायण के चरित्रों के पास अलोकिक और चमत्कारिक शक्तियां थी ! पुराने समय मैं यह बात ठीक भी थी, चुकी विज्ञान सम्बंधित सुचना का आभाव था, लकिन आज क्यूँ ?”
गंभीर समस्या यह है कि यदि वर्तमान हिंदू समाज के लाभ के बारे मैं सोचना है तो रामायण को इतिहास समझना पड़ेगा, और समस्त चरित्रों का वर्णण बिना अलोकिक और चमत्कारिक शक्तियां के करना होगा, तभी उस समय के विज्ञान का लाभ समाज को मिलेगा , लकिन इसके लिए हमारे धर्म गुरु तैयार नहीं हैं |
यदि आपको वास्तव मैं त्रेता युग का विज्ञान समझना है तो अलोकिक और चमत्कारिक शक्तियां अलग करके ही त्रेता युग के विज्ञान को समझा जा सकता है , तथा इससे वर्तमान समाज का अत्यधिक लाभ भी है , परन्तु ऐसा क्यूँ नहीं हो रहा , यह प्रश्न आपको समाज के सामने बार बार रखना चाहियें |अगर अपने वर्तमान समाज के हित मैं आप इतना भी नहीं कर रहे हैं तो यह अधर्म है |
अब जरा, क्या क्या उपकरण उस समय थे, तथा जिनका उल्लेख रामायण मैं है, या संकेत है , वोह जान लें :
1. रावण का रथ कभी दिखाई नहीं देता था, तथा कहीं दिशा का भ्रम उत्पन्न करता था | आज के समय मैं उसमें पूरा शोघ होना बाकी है , और अनुमान है कि अगले ५ वर्ष मैं ऐसे यंत्र कुछ सेना के अंग हो जायेंगे ; पढ़े Invisible Tanks, Planes and Armor Could Hit Battlefields in 5 Years2. जब हनुमान जी सीता की खोज मैं लंका जा रहे थे तो उन्होंने लंका मैं स्तिथ ऐसे राडार का नाश करा जो की वायु मार्ग से आने वाले किसी भी यंत्र का न केवल पता बता देता था , बलिक उस यंत्र का नाश करता था |3. शिव धनुष, प्रलय स्वरूप, विनाशकारी(WEAPON OF MASS DESTRUCTION), और जिसको बनाने के लिये विकसित विज्ञान की आवश्यकता थी , वोह श्री राम से पूर्व त्रेता युग मैं था !4. अनेक तरह के विमान , जिनका रामायण मैं संकेत मिलता है |5. नागपाश , जो की “एक ‘तनुकृत और कम शक्ति’ वाला रसायन अस्त्र था जिसका प्रयोग संभवत पूरी तरह से वर्जित नहीं था ! उसकी मार मैं एक या दो व्यक्ति ही आ सकते थे !” पढ़ें : क्या रामायण मैं वर्णित नागपाश अस्त्र, एक रसायन शस्त्र था ?6. गरुर्ड, संभवत: एक हवाई आपातकालीन स्वास्थ सेवा थी जो की युद्ध क्षेत्र मैं सेवा प्रदान करती थी |
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