Friday, April 19, 2013

त्रेतायुग के खगोलीय सूचना के अभाव मैं श्री राम की जन्मकुंडली नहीं बन सकती

त्रेता युग की खगोलिय सूचना के आभाव मैं राम नौमी, कब मनाईए जाए , इस तिथी का निर्णय कुछ त्रुटियों के साथ ही संभव है, ~~~सैद्धांतिक रूपसे श्री राम की कुंडली नहीं बन सकती, इसलिए जो लोग टीवी के माध्यम से दावा कर रहेहैं, की कंप्यूटर का प्रयोग करके श्री राम की कुंडली बनाली, वे गलत काम कर रहे हैं, और समाज को गुमराह कर रहे हैं |

श्री रामचंद्र जी का जन्म चैत्र मास मैं शुक्ल पक्ष की नौमी तिथी को ठीक दुपहर को हुआ था| महारिषि वाल्मिकी ने जन्म के समय के खगोलिक पैमानों का विवरण दिया है, जिसको स्वीकार करके ही आगे बढ़ सकते हैं|

यह भी ध्यान रखने की बात है कि श्री राम, कम से कम पांच लाख वर्ष (५,००,०००) पूर्व अवतरित हुए थे |
महाऋषि वाल्मिकी के अनुसार, श्री राम के जन्म के समय के पैमानों का विवरण इस प्रकार है:
1) सूर्य उच्च का था, और समय ठीक दुपहरका था;
2) चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र मैं था, और तिथी शुक्ल पक्ष नौमी थी, 
3) लग्न और चंद्र कर्क मैं थे|
इतनी खगोलिक सूचना पर्याप्त है; परन्तु अब समस्य शुरू होती है| 
आज तक कोइ भी ऐसी तिथी सामने नहीं आई, जो इन तीनो शर्तों को स्वीकार करती हो; स्पष्ट है कि और समीक्षा की आवश्यकता है, कि ऐसा क्यूँ है?

चुकी कोइ भी तिथी महाऋषी वाल्मिकी द्वारा बताई गयी शर्तों को स्वीकार नहीं कर रही हैं, इसलिए तुलसीदास जी, जो की इसी युग के एक सिद्ध पुरुष थे, उन्होंने इसका संशिप्त मैं उल्लेख करा, और सिर्फ मास, नौमी, तिथी, दुपहर का समय बता कर ही छोड दिया|
नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।।
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा।।
तुलसीदास जी ने अभीजीत मुहूर्त्त का उल्लेख तो करा है, जो की लोकप्रिय गणना के अनुसार दुपहर को ४८ मिनट का होता है, लकिन विस्तृत सूचना नहीं दी, वोह भी इतने महत्त्वपूर्ण विषय पर | कुछ तो कारण होगा? यह सत्य है की वाल्मिकी जी की गणना गलत नहीं हो सकती, और तिथी समस्त शर्तों को स्वीकार करे , ऐसी कोइ मिलती नहीं, तो क्या कारण है?

सबसे पहले तो हमें यह देखना चाहिए की आज की खगोलिक सूचना के आधार पर क्या सैद्धांतिक रूप से कोइ ऐसी तिथी संभव है की नहीं? कम से कम इस प्रश्न का उत्तर तो स्पष्ट रूप से दिया जा सकता है| यदी कोइ भी तिथी, सैद्धांतिक रूप से संभव नहीं है, तो एक ही निष्कर्ष बचता है, की हमारे पास त्रेता युग की खगोलिक सूचना नहीं है|
अब वापस महाऋषी के आकडो पर जाते हैं:
1) महाऋषी वाल्मिकी  ने बताया कि सूर्य उच्च का है, और सूर्य उच्च का मेष राशी मैं होता है, मेष राशी ०° से ३० अंश तक होती है|
2) चंद्र पुनार्वासु नक्षत्र मैं था, और पुनार्वासु नक्षत्र ८०˚ अंश से ९३°२०’ तक होता है; परन्तु, सिर्फ पुनार्वासु का चौथा चरण ही कर्क राशी मैं है, यानी की इस शर्त को संतुष्ट करने के लिए, चंद्र को ९०˚ से ९३°२०’ तक होना अनिवार्य है 

3) अब तिथी पर आते हैं,  महाऋषी वाल्मिकी के अनुसार तिथी शुक्ल पक्ष की नौमी थी|

4) चुकी तिथी की गणना सूर्य और चन्द्रमा की कोणीय दूरी से होती है, यानी की हर १२ अंश की दूरी पर एक तिथी हो जाती है, और पूरा एक चक्र ३६० अंश का होता है , और आधा चक्र १८० (१२*१५=१८०) अंश का, जो की शुक्ल पक्ष की पन्द्रवी तिथी होती है, या कृष्ण पक्ष की १५ तिथि , तो नौमी तिथी ९६ अंश से १०८ अंश तक होई  | फिर से समझते हैं, सूर्य और चन्द्रमा की बीच की कोणीय दूरी जब ९६ अंश से १०८ अंश होती है तो नौमी तिथी होती है |
सारे तथ्यों को देख कर एक बात स्पष्ट है; 
• यदी सूर्य मेष राशि मैं होगा, तो पुनर्वसु नक्षत्र नहीं हो सकता, क्यूँकी पुनार्वासु तो ९३˚२०’ पर समाप्त हो जाता है, और नौमी तिथी को कम से कम ९६ अंश चाहिए|
• यदी सूर्य को और पीछे ले जाते हैं, यानी की मीन राशी मैं, तो नौमी तिथी और पुनर्वसु नक्षत्र संभव है, परन्तु सूर्य उच्च का नहीं हो सकता, चुकी सूर्य मीन मैं उच्च का होता नहीं, वह तो मेष मैं उच्च का होता है|

और यदी सूर्य मेष राशि मैं हो और पुनार्वासु नक्षत्र हो, तो नौमी तिथी संभव नहीं है|

तो एक बात तो स्पष्ट है; सैद्धांतिक रूप से, समस्त संभावित गणना के बाद, जो सूचना हमारे पास है, श्री राम की जन्म कुंडली नहीं बना सकते| यह भी अब समझ मैं आ गया, की अधिकाँश समय, सूर्य जब मीन राशि मैं होता है, तो रामनौमी मनाई जाती है, और अक्सर नौमी तिथी को नक्षत्र पुनर्वसु होता है| हाँ जैसे कभी कभी सूर्य मेष मैं आ जाय, तो नौमी तिथी को नक्षत्र पुष्य होगा|
यह भी स्पष्ट है कि खगोलिक सूचना जब हमें त्रेता युग की प्राप्त होगी तभी श्री राम की जन्म कुंडली सही बन पायेगी| सैद्धांतिक रूप से सारी संभावना देख ली गयी, और श्री राम की कुंडली नहीं बन सकती, इसलिए जो लोग टीवी या प्रेस के माध्यम से दावा कर रहे हैं, की उन्होंने कंप्यूटर का प्रयोग करके श्री राम की कुंडली बनाली, वे गलत काम कर रहे हैं, और समाज को गुमराह कर रहे हैं| उनसे अनुरोध है की ऐसा ना करे|

तथा यही कारण है कि राम नौमी हमलोग जब मनाते हैं जब सूर्य मीन राशि मैं हो, ताकि नक्षत्र और तिथि को सही रखा जाए |
जय श्री राम !

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