श्री रामचंद्र जी का जन्म चैत्र मास मैं शुक्ल पक्ष की नौमी तिथी को ठीक दुपहर को हुआ था| महारिषि वाल्मिकी ने जन्म के समय के खगोलिक पैमानों का विवरण दिया है, जिसको स्वीकार करके ही आगे बढ़ सकते हैं|
यह भी ध्यान रखने की बात है कि श्री राम, कम से कम पांच लाख वर्ष (५,००,०००) पूर्व अवतरित हुए थे |
महाऋषि वाल्मिकी के अनुसार, श्री राम के जन्म के समय के पैमानों का विवरण इस प्रकार है:
1) सूर्य उच्च का था, और समय ठीक दुपहरका था;2) चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र मैं था, और तिथी शुक्ल पक्ष नौमी थी,3) लग्न और चंद्र कर्क मैं थे|
नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।।मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा।।
1) महाऋषी वाल्मिकी ने बताया कि सूर्य उच्च का है, और सूर्य उच्च का मेष राशी मैं होता है, मेष राशी ०° से ३० अंश तक होती है|2) चंद्र पुनार्वासु नक्षत्र मैं था, और पुनार्वासु नक्षत्र ८०˚ अंश से ९३°२०’ तक होता है; परन्तु, सिर्फ पुनार्वासु का चौथा चरण ही कर्क राशी मैं है, यानी की इस शर्त को संतुष्ट करने के लिए, चंद्र को ९०˚ से ९३°२०’ तक होना अनिवार्य है
3) अब तिथी पर आते हैं, महाऋषी वाल्मिकी के अनुसार तिथी शुक्ल पक्ष की नौमी थी|
4) चुकी तिथी की गणना सूर्य और चन्द्रमा की कोणीय दूरी से होती है, यानी की हर १२ अंश की दूरी पर एक तिथी हो जाती है, और पूरा एक चक्र ३६० अंश का होता है , और आधा चक्र १८० (१२*१५=१८०) अंश का, जो की शुक्ल पक्ष की पन्द्रवी तिथी होती है, या कृष्ण पक्ष की १५ तिथि , तो नौमी तिथी ९६ अंश से १०८ अंश तक होई | फिर से समझते हैं, सूर्य और चन्द्रमा की बीच की कोणीय दूरी जब ९६ अंश से १०८ अंश होती है तो नौमी तिथी होती है |
• यदी सूर्य मेष राशि मैं होगा, तो पुनर्वसु नक्षत्र नहीं हो सकता, क्यूँकी पुनार्वासु तो ९३˚२०’ पर समाप्त हो जाता है, और नौमी तिथी को कम से कम ९६ अंश चाहिए|• यदी सूर्य को और पीछे ले जाते हैं, यानी की मीन राशी मैं, तो नौमी तिथी और पुनर्वसु नक्षत्र संभव है, परन्तु सूर्य उच्च का नहीं हो सकता, चुकी सूर्य मीन मैं उच्च का होता नहीं, वह तो मेष मैं उच्च का होता है|
• और यदी सूर्य मेष राशि मैं हो और पुनार्वासु नक्षत्र हो, तो नौमी तिथी संभव नहीं है|
तो एक बात तो स्पष्ट है; सैद्धांतिक रूप से, समस्त संभावित गणना के बाद, जो सूचना हमारे पास है, श्री राम की जन्म कुंडली नहीं बना सकते| यह भी अब समझ मैं आ गया, की अधिकाँश समय, सूर्य जब मीन राशि मैं होता है, तो रामनौमी मनाई जाती है, और अक्सर नौमी तिथी को नक्षत्र पुनर्वसु होता है| हाँ जैसे कभी कभी सूर्य मेष मैं आ जाय, तो नौमी तिथी को नक्षत्र पुष्य होगा|
तथा यही कारण है कि राम नौमी हमलोग जब मनाते हैं जब सूर्य मीन राशि मैं हो, ताकि नक्षत्र और तिथि को सही रखा जाए |
No comments :
Post a Comment