Thursday, February 28, 2013

राम अवतार महिला आदिवासी कमजोर वर्ग के भीषण शोषण के अंत केलिए

*परशुराम उन क्षत्रियों को छोड दे रहे थे, जो उनके साथ रहने वाली महिलाओं से विवाह करने के लिए तैयार थे, और वानरों से पशु जैसा व्यवाहर न करने के लिए वचन दे रहे थे! 
*परशुराम पूरी तरह से सफल हुए क्षत्रियों को सुधारने मैं, लकिन धर्म आचार्यों को वे नहीं सुधार पाए| 
*स्वंम उनके पिता भृगुवंशीय जमदग्नि, जो धार्मिक गुरु थे, ने अपनी संतानों को यह आदेश दिया कि वे अपनी माता की हत्या कर दें | 
*अग्नि परीक्षा को धार्मिक मान्यता प्राप्त थी, जिससे अगवाह या बलात्कारित स्त्रियों का धर्म द्वारा शोषण होता था !
श्री विष्णु को तुरंत, श्री राम के रूप मैं अवतरित होना पड़ा | मानव की नई प्रजाति 'वानर' को मुख्य समाज मैं प्रवेश कराना इश्वर के लिए तो प्राथमिक कार्य था, तथा स्त्रियों को अत्याधिक शोषण , जिसको धार्मिक मान्यता भी प्राप्त थी, उसे भी समाप्त करना था |

ऐसे ही एक धर्म के ढेकेदार और ब्राह्मण राजा रावण भी थे, जिनकी पकड़ विश्व भर के ब्राह्मण समाज पर बहुत मजबूत थी, और जिनपर परशुराम क्षत्रियों के साथ साथ अंकुश नहीं लगा पाए थे | रावण स्त्रियों के बारे मैं बहुत बदनाम था, तथा वोह वन मैं से वानरों को पकड़ कर विश्व भर मैं बेचा करता था |

इस विषय पर ईमेल लगातार आ रहे हैं, लोग और स्पस्टीकरण मांग रहे हैं| कारण यह है की पाठक इस बात से तो सहमत हो रहे हैं, कि देवता और धार्मिक गुरुजानो के नारी शोषण से सम्बंधित अनेक उद्धारण हर पुराण मैं है, और उसे अनदेखा भी नहीं करा जा सकता, भले ही स्पस्टीकरण उपलब्ध हो, लकिन वे श्री विष्णु के अवतारों को इनसे जोड़ा जाए यह स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं| 
श्री राम तो रावण का वध करने आये थे, और परशुराम, पृथ्वी पर से क्षत्रियों का अत्याचार समाप्त करने| 
यही उन्हे सदीयों से बताया गया है, तो इससे बाहर कैसे समाज को निकाला जाए ?
पाठक इस बात को भी मान रहे हैं, कि त्रेता युग मैं विज्ञान अत्यंत विकसित था, तथा शिव धनुष वास्तव मैं प्रलय स्वरूपि अस्त्र था जिसका विघटन श्री राम से पूर्व स्वीकृत हो गया था, लकिन विघटन श्री राम ने ही सीता स्वम्बर मैं करा| चलिए यह सब तो स्पष्ट रूप से रामायण मैं बताया ही गया है, इसलिए इस इतिहासिक तथ्य को स्वीकार करना आसान था; लकिन अभी कुछ दिनों पहले पोस्टइश्वर परशुराम अवतार तत्पश्चात् राम के रूप मैं क्यूँ अवतरित हुएमैं जो अवतार के कारण दिए गए हैं, उसपर पाठकगण और स्पस्टीकरण चाहते हैं|
इश्वर परशुराम अवतार तत्पश्चात् राम के रूप मैं क्यूँ अवतरित हुएमैं निम्लिखित कारण श्री विष्णु के अवतरित होने के बताए गए हैं:

समाज मैं नकारात्मक प्रगति के कारण हम सब को मालूम हैं क्यूंकि हम आज उससे गुजर रहें हैं ! वे इस प्रकार हैं :
1. कमजोर और गरीब वर्ग का शोषण ,
2. स्त्री के साथ दुर्व्यवाहर, जिसमें प्रत्यक्ष या अनदेखी करके धर्म गुरुजनों का भी योगदान होता है
3. सत्ता के दुरुपयोग, जिसमें विधिवत धार्मिक नेताओं का अप्रत्यक्ष, या प्रत्यक्ष आशीर्वाद प्राप्त हो या उससे हिंदू समाज का शोषण हो रहा हो !
“ध्यान दे मनुष्य रूप मैं इश्वर क्यूँ अवतरित होते हैं, ऊपर दिए हुए कारण ही प्रमुख कारण होते हैं ! 
“अब प्रश्न यह है कि इतनी जटिल समस्या क्या थी, कि एक के बाद एक अवतार किस कारण हुए ? किसी ने इस और ध्यान तक आकर्षित क्यूँ नहीं करा? यह सोचने के विषय हैं, कि हमारी मानसिकता को क्या होगया है”|

इन्ही उपरोक्त विषयों पर चर्चा यहाँ होगी|
सबसे पहले अब तक आपको जो भी भावनात्मक कारण बताए गए हैं, श्री विष्णु के पृथ्वी पर अवतरित होने के, वोह सब दिमाग से निकाल दीजीये, और इस बात को मन मैं बैठा लीजिए 
की 
जब समाज पूरी तरह पतन की तरफ बढ़ जाता है, और कोइ विकल्प सुधार के लिए नहीं बचता, तभी श्री विष्णु अवतरित होते हैं| और इस बात को बार बार सोचिये की ऐसे कौन से भयंकर कारण थे, की श्री विष्णु को एक के बाद एक अवतार लेने पड़े|

आपलोगों ने यह तो मान लिया कि भगवान परशुराम क्षत्रियों का अत्याचार समाप्त करने आये थे, लकिन क्षत्रियों का अत्याचार क्यूँ था यह भी तो आपको सोचना पड़ेगा|
पहली बात, परशुराम जी वन मैं रहते थे, और वानर जो की नई मानव प्रजाती थी, उनके साथ क्षत्रियों का पशु जैसा व्यवाहर था, वन मैं वे शिकार के लिए आते, वानरों को भी छल से जानवर की तरह पकड़ा जाता, और फिर अपने राज्य मैं पहुच कर उन्हे जानवर की तरह खरीदा, बेचा जाता था, और जानवरों की तरह ही काम लिया जाता था|
दूसरी बात धर्म का पतन हो चूका था| स्त्रियों के शोषण मैं धर्म भी सहायक हो रहा था| क्षत्री सत्ता के नज़दीक थे, और अनेक स्त्रियों को अपने साथ रखते थे, बिना विवाह के| यदी कोइ स्त्री उसका विरोध करे, तो धर्म क्षत्री की सहायता के लिए था| अग्नि परीक्षा एक ऐसा ही धार्मिक प्रबंध था, स्त्रियों को विवश रखने के लिए|

ऐसे मैं श्री विष्णु अवतार, भगवान परशराम, करते भी तो क्या करते? उन्होंने कुछ राज्य को अपने अधिकार मैं लिया, शक्ती के लिए धन की भी आवश्यकता होती है, फिर बिखरे हुए राज्यों से अनेक बार युद्ध करा| इस युद्ध मैं वे उन क्षत्रियों को मार रहे थे, जिनके दुर्व्यवाहर कहानियाँ बन गयी थी, लकिन उन क्षत्रियों को छोड दे रहे थे, जो उनके साथ रहने वाली महिलाओं से विवाह करने के लिए तैयार थे, और वानरों से पशु जैसा व्यवाहर न करने के लिए वचन दे रहे थे|
लकिन इन सब के बाद भी परशुराम जी को सफलता नहीं मिल रही थी, और सफलता मिलती भी तो कैसे, जब धर्मगुरु साथ नहीं दे रहे थे| इसका सबसे बड़ा प्रमाण है की परशुराम जी के पिता भृगुवंशीय जमदग्नि का सहस्त्रबाहु अर्जुन ने वध कर दिया, और कुछ पुराण कहते हैं घोर अपमान करा, जबकी वे ऋषी थे| स्त्रियों से दुर्व्यवाहर का सबसे बड़ा प्रमाण यह है, की स्वंम उनके पिता ने अपनी संतानों को आदेश दे दिया की वे अपनी माता की हत्या कर दें|

जब सब तरफ से स्तिथी बिगड़ी होई थी, तो परशुराम जी के पास सीमित विकल्प थे| अधिक से अधिक इन दुर्व्यवाहर को कम करा जाए| विज्ञान उनत्ती कर रहा था, उन्होंने शिव धनुष, जो प्रलय स्वरूपि विनाशकारी था, का प्रयोग करने की धमकी दे डाली| शिव धनुष सारे राज्यों का विनाश करने की क्षमता रखता था| मजबूर हो कर राज्यों को संगठित होना पड़ा, और समस्त राज्यों ने और धर्म शास्त्रियों ने परशुराम को आश्वस्त करा की वे ऐसे नियम बनाएंगे, की वानरों का शिकार मनुष्य राज्यों से कोइ भी व्यक्ती नहीं कर पायेगा, और भविष्य मैं मानव राज्यों मैं कोइ भी मनुष्य स्त्री को बिना विवाह के नहीं रखेगा| लकिन यह सारे प्रयास उनके मानव राज्यों के साथ ही हुए, राक्षस राज्य भी थे, जैसे लंका, उनसे नहीं हो पाए|

जबरदस्त सफलता मिली परशुराम जी को, समाज की दिशा परिवर्तन करने मैं| बाद मैं श्री राम के रूप मैं शेष कार्य को श्री राम और माता सीता ने करा|

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2 comments:

  1. ab bhagwan avtar kyo nahi latehey?

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  2. 'अब भगवान अवतार क्यूँ नहीं लेते?'

    सही प्रश्न है, और उत्तर भी सरल है|

    जितनी विपदा समाज को उस समय सहनी पडी थी, वोह अब नहीं है,

    सत्य तो यह है की विपदा की इन्तहा थी, यही कारण था, की एक के बाद एक अवतार त्रेता युग मैं हुए ...पहले परशुराम जी का, और तुरंत बाद मैं श्री राम का ...भगवान न करे की अवतार की आवश्यकता हम लोगो को पड़े |

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