Monday, November 12, 2012

हिंदू समाज जब सशक्त होगा जब भारत का नेतृत्व एक हिंदू कर रहा होगा

आप दीपावली कैसे मनाना चाहेंगे???
HOW WILL YOU LIKE TO CELEBRATE DIWALI?
हर साल की तरह लक्ष्मी गणेश की पूजा करके या हिंदू समाज की और अपना शिक्षित होने का सामाजिक दाइत्व निभा कर ,
परन्तु बिना प्रतिबधता के तो ऐसा हो नहीं पायेगा |
नेतृत्व के लिए संकल्प और प्रतिबधता अति आवश्यक है, जो की अब तक दिखाई नहीं दिया है |

आप मैं से काफी लोगो ने इस ब्लॉग.की पोस्ट पढ़ी हैं , जो की बर्तमान सोच को चुनौती दे रही हैं, लकिन किसी ने उसे समझने का प्रयास नहीं करा | जबकी वह एक PROFESSIONAL प्रयास है , कर्महीन हिंदू समाज को कर्मठ बनाने के लिए, और रिजल्ट भी GUARANTEED है |

यह जरूरी नहीं है की आप उस विचार धरा से सहमत हो , लकिन यह अति आवश्यक है की आप अपने विचार खुल कर व्यक्त करें , और चर्चा करें ...वही सकारात्मक तरीका है आगे बढ़ने का , और शिक्षित होने का अपना दाइत्व निभाने का | लकिन ऐसा नहीं हो रहा है |

हो सके तो इस दीपावली पर कुछ समाज हित मैं संकल्प लें !!! 

चुकी अब तक जो कुछ भी आपको धर्म के बारे मैं समझाया गया है , उसमे कुछ गलत भी है |
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नोट:
१)धर्म की परिभाशा:::

|| सही कर्म ही धर्म है#~ # WORK IS WORSHIP ||

१००० वर्ष की गुलामी ने हिंदू को कर्महीन बना दिया, क्यूँकी उस समय कर्म प्रधान हिंदू समाज संभव नहीं था!

ध्यान रहे पूजा, भक्ती, विधी, जैसे की नारियल अर्पित करना, हवंन, धुप आदी, सही कर्म करने के लिये प्रेरित करते है! वे अपने आप मैं धर्म नहीं हैं!

जो भौतिक प्रयास(PHYSICAL EFFORTS) आप, सही कर्म कर के, अपने, अपने परिवार, तथा अपने समाज की उन्नत्ति के लिये करते हैं वही धर्म है!... वही धर्म है!

SOCIAL WELFARE THROUGH KARMA IS DHARM

धर्म समाज केंद्रित होता है, लकिन समाज केंद्रित धर्म का व्यसाय आसान नहीं है, इसलिए धर्म को व्यक्तिगत बता कर व्यसाय हो रहा है, जिससे समाज कि अनेक समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है |

भक्ति से कुछ नहीं होगा..; ..भक्ति अगर आपको धर्म के लिए प्ररित नहीं कर रही , त्याग दीजीये भक्ति को ::

धार्मिक बनिये !

२) धार्मिक व्यक्ति की परिभाशा :::

धार्मिक व्यक्ति: वह व्यक्ति जो की अपनी उन्नति के लिये, अपने परिवार, तथा अपने पूरे परिवार, तथा जिस समाज, मोहल्लें, या सोसाइटी मैं वो रह रहा है, उसकी उनत्ति के लिये पूरी निष्ठा व् इमानदारी से कार्यरत रहता है वो धार्मिक व्यक्ति है! ऐसा करते हुए वो समाज मैं प्रगती भी कर सकता है व् घन अर्जित भी कर सकता है !

यहाँ यह स्पष्टीकरण आवश्यक है कि निष्ठा व् इमानदारी से कार्यरत रहने का यह भी आवश्यक मापदंड है कि वह व्यक्ति समस्त नकरात्मक सामाजिक बिंदुओं का भौतिक स्थर पर विरोध करेगा , जैसे कि भ्रष्टाचार, कमजोर वर्ग तथा स्त्रीयों पर अत्याचार, पर्यावाह्रण को दूषित करना या नष्ट करना, आदी, ! ऐसा व्यक्ति सत्यम शिवम सुन्दरम जैसी पवित्र शब्दावली मैं सत्यम है |

३)"नेतृत्व एक हिंदू कर रहा होगा" मैं 'हिंदू' शब्द की परिभाषा:

जो हिंदू समाज की प्रगति के लिए दृढ संकल्प हो , और हिंद , हिंदू , हिंदुस्तान को राष्ट्र हित से अलग नहीं समझता हो |

1 comment:

  1. Please read this article and let me know your thoughts on the same at definedvalues@yahoo.com

    I can help you reestablish the highest human values in communities.

    http://hiteshchandel.blogspot.in/2012/05/article-03-story-of-bharat-golden-age.html

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