Monday, December 26, 2011

राम से पूर्व... धर्म का उपयोग स्त्री जाती के शोषण के लिये

EXCESSIVE EXPLOITATION OF FEMALES BY RELIGIOUS PERSONS IN SATYA YUG, TRETA YUG~~प्राचीन इतिहास स्पष्ट दर्शाता है कि सत्ययुग और त्रेता युग में ऋषि और धार्मिक जन स्त्रियुं से दुर्व्यवाहर में लिप्त थे ! 
यह एक प्रमुख कारण हो सकता है कि धर्म गुरु यह नहीं चाहते कि हिंदू समाज इस बात को समझ सके कि श्री राम का प्रमुख उद्देश अग्नि परीक्षा को अधर्म घोषित करना था !
  • महाऋषि गौतम कि पुत्री अंजनी, बिना विवाह के गर्भवती हो गयी, तब उन्हे वन में भेज दिया गया, जहाँ हनुमान का जन्म होआ | 
  • माता अहलिया को उन्ही के पति गौतम ऋषि ने उनके कथित अभद्र व्यवहार, के कारण मार डाला ! 
  • परशुराम के पिता ने अपने पुत्रों से अपनी माता को मारने को कहा ! 
  • परशुराम कि सेना अपने शत्रुओं को मारने के लिये युद्ध में बार बार उतरी, ना कि युद्ध जीतने के लिये! परन्तु वो उन योद्धाओं को जीवित छोड रहे थे जो कि वचन दे रहे थे कि जो महिलाऐं उनके साथ रहती हैं, उनसे वो विवाह करेंगें !
उपरोक्त तथ्यों से महिलाओं और धर्म कि स्तिथि पर एक ही निश्कर्ष निकल सकता है !
  • ब्रस्पति ने अपने भाई कि पत्नी को मजबूर करा कि वोह उनके साथ यौन क्रिया करे ! 
  • रिचिका और सत्यवती ने कौशिक को जन्म दिया, जिन्हे हम विश्वामित्र के नाम से भी जानते हैं ! ऋषि रिचिका ने सत्यवती की माता को भी गर्भवती करा जिससे परशुराम के पिता का जन्म हुआ ! और रिचिका संत थे ! 
  • सीता ने राजा जनक के राज पुरोहित, गौतम ऋषि से शिक्षा अस्वीकार कर दी चुकि उन्होंने अपनी पत्नी अहेलिया कि हत्या करी थी ! 
  • ऋषि अष्टवक्र के पिता ऋषि कहोडा ने अपनी पत्नी को शापित कर दिया कि उनके गर्भ में जो संतान पनप रही है, वोह कम से कम ८ स्थानों से अपंग पैदा होगी क्यूंकि उनकी पत्नी ने उनको ८ बार उचारण सही करने कि सलाह दी ! चुकि अलोकिक और चमत्कारिक शक्तिओं पर विश्वास नहीं है, स्पष्ट नज़र आता है कि ऋषि ने अपनी पत्नी को इतना मारा कि अपंग संतान पैदा होई ! 
यहाँ पर हम उन महान ऋषि जनों कि बात कर रहे हैं जो इतिहास का अंग हैं ! पुराण, इतिहास में इनका विवरण दिया है ! यहाँ पर इस विषय पर चर्चा इस लिये आवश्यक हो गयी, चुकि कुछ लोगो ने इस बात का विरोध करा कि श्री राम से पूर्व धर्म का दुरूपयोग महिलाओं पर अत्याचार करने के लिये हो रहा था !

प्रसंग यह था कि श्री राम के समय अग्नि परीक्षा को धार्मिक मान्यता प्रदान थी, और धर्म के माध्यम से स्त्री जाती पर अनेक अत्याचार हो रहे थे! यह एक प्रमुख कारण था श्री राम का अवतरित होने का!

इससे यह भी समझ में आ जाता है कि किसी ने यह समझने कि चेष्टा ही नहीं करी कि श्री राम का अवतार क्यूँ हूआ! कष्ट इस बात का भी है, और आगे भी आप देखेंगे कि धार्मिक गुरु श्री राम कि आलोचना तो सहन कर सकते हैं लेकिन इन ऋषि जनों का नहीं ! ऐसा क्यूँ? कहीं ऐसा तो नहीं कि आज के धर्म गुरु यह समझते हों कि उनका व्यक्तिगत लाभ प्राचीन काल के धर्म गुरु जनों के दुर्र-व्यवहार पर पर्दा डालना है, और उसी में उनका निजी स्वार्थ है? श्री राम कि झूटी आलोचना तो सही जा सकती है लेकिन सत्य बोलने से कुछ उंगलीयाँ उनपर भी तो उठ सकती है !

आज के धर्म गुरु जनों ने समाज को यह समझा रखा है कि सत्य युग और त्रेता युग श्रेष्ट युग थे और कलयुग सबसे खराब; और जब उन युगों में गुरु जनों कि यह स्तिथि थी तो कलयुग के गुरु का क्या हाल होगा, समाज को खुद समझ में आ जायेगा! उन्होंने यह समझा रखा है कि सबसे बेकार युग कलयुग है !

इसलिये भी श्री राम कि झूटी आलोचना होती रहेगी !

अब तथ्य सब के सामने हैं ! कुछ उद्धारण प्रस्तुत करें हैं; साफ़ समझ में आ रहा है कि सत्ययुग और त्रेता युग में धार्मिक पुरुषों कि स्थिति क्या थी ! स्पष्टीकरण, ताकी धार्मिक व्यक्तियुओं का अनादर न हो, बाद में डाल दिये गए, लेकिन स्पष्टीकरण अर्थहीन हैं, क्यूंकि इन ऋषियों के अभ्रद व्यवहार ग्रंथो में हैं, तो पहले यह तो कोइ समझाए कि ये प्रसंग इतिहास का अंग क्यूँ बनें ! अति प्राचीन होने के कारण, समय समय पर स्पष्टीकरण ग्रंथों में आयें हैं, जो कि स्पष्टीकरण डालने वाले समय के लिये उपयुक्त हो सकते थे, न की आज के लिये!

निर्णय आपसब को करना है! प्राचीन इतिहास स्पष्ट दर्शाता है कि सत्ययुग और त्रेता युग में ऋषि और धार्मिक जन स्त्रियुं से दुर्व्यवाहर में लिप्त थे! यह एक प्रमुख कारण हो सकता है कि धर्म गुरु यह नहीं चाहते कि हिंदू समाज इस बात को समझ सके कि श्री राम का प्रमुख उद्देश अग्नि परीक्षा को अधर्म घोषित करना था |

श्री राम कि आलोचना, अपमान सहा जा सकता है, लेकिन धार्मिक गुरु, प्राचीन धार्मिक गुरु जनों के दुर्व्यवाहर को छिपायेंगे ही और इसे छिपाने के लिये इतनी महनत करी जायगी कि पूरे नकरात्मक तरीके से यह भी साबित करने का प्रयास करा जायेगा कि सत्ययुग और त्रेतायुग मनुष्य के रहने के लिये ज्यादा उपयुक्त थे ! इससे बड़ा झूट तो कोइ हो ही नहीं सकता !

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