Thursday, December 8, 2011

सत्यम शिवम सुन्दरम से अपने जीवन को समझीये

IMPROVE YOUR LIFE BY SATYAM SHIVAM SUNDARAM~~आप धर्म अनुसार कर्म करते हैं तो जीवन और विश्व सुंदर होगा, अन्यथा नहीं ~~~अब हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि हम अपना जीवन सत्यम शिवम सुन्दरम से और मधुर कैसे बना सकते हैं ! जीवन की गुणवत्ता हर हिंदू के लिया महत्व रखती है, और विशेष बात यह है कि कलयुग मैं यह भौतिक है, आद्यात्मिक नहीं !
आगे बढ़ने से पहले कुछ चर्चा जीवन की गुणवत्ता पर कर ले ! इस शब्दावली को आज का संसार समझ नहीं पा रहा है ! विज्ञान अभी तक भौतिक मापदंड निर्धारित नहीं कर पारहा है कि जीवन की गुणवत्ता क्या होनी चाहिये !इसे समझने के लिये आज के कुछ मानकों पर विचार करते हैं ! विज्ञान कि प्रगत्ति ने जीवन मैं अनेक सुधार करें हैं , यह प्रमाणित सत्य है ! यदी हरेक छेत्र को अलग अलग देखा जाय तो हम पाएंगे कि सब छेत्र मैं सुधार हैं ! स्वास्थ, संचार, परिवहन, मैं विशेष प्रगति है !निजी आराम और उपयोगिताओं, मनोरंजन, बुनियादी ढांचे, मैं भी प्रगति है !
और अब अचम्भित कर देने वाला तथ्य ! विज्ञान की सहायता से जहां हर छेत्र मैं प्रगति होई है वही विज्ञानिक जब सम्पूर्ण प्रगति का आकलन करते हैं तो उनका यह मानना है कि २० वर्ष मैं हमें प्रलय समाप्त कर देगी ! कारण विज्ञानिक ही बताते हैं कि इन सब छेत्र मैं प्रगत्ती करने हतु संसाधनों के उपयोग से पर्यावार्हन बुरी तरह से नष्ट हो गया है ! हो सकता है कि जीवन की गुणवत्ता की परिभाषा ही हमारी गलत रही हो ? शायद पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार जो कि हिंदू संस्कृति के अनुसार और युगों मैं होता रहा था वही विकल्प हो?

अब हम वेदांत ज्योतिष का प्रयोग सत्यम शिवम सुन्दरम को समझने के लिये करेंगें !पिछला लेख सत्यम शिवम सुन्दरम का सरल अर्थयदी आपने पढ़ा है तो इस विषय पर और जानकारी देगा! ध्यान रहे लोगो कि मान्यता के विपरीत वेदांत ज्योतिष वास्तव मैं ऐस्त्र्लोजी(Astrology) नहीं है ! ऐस्त्र्लोजी निश्चित भविष्यवाणी करने मैं विश्वास करती है, जब की वेदांत ज्योतिष, क्यूँकी कर्म को मानती है और यह भी मानती है कि कर्म से किसी भी भविष्य मैं होने वाले संभावना मैं संशोधन करा जा सकता है, इसलिये वेदांत ज्योतिष से भविष्यवाणी सिर्फ प्रवृत्ति और रुझान तक ही सीमित हो सकती है ! ज्योतिष, जैसा की संस्कृत के इस शब्द का भावअर्थ है, उस विषय पर प्रकाश करती है जिस के बारे मैं आप जानकारी चाहते हैं !

चुकी कुंडली के १२ भाग होते हैं, इसलिय यहाँ सत्यम शिवम सुन्दरम को समझने के लिये, पहले ४ भाग सत्यम को व्यक्त करेंगे, अगले ४(५ से ८ तक) शिवम को, तथा बाकी के ४ सुन्दरम को !
जन्म पहले भाव से देखते हैं, कुटुंब,धन दूसरे से, तीसरे से भाई बहेन, साहस, वीरता, तथा घर, शिक्षा, अन्य सुख चौथे से !
शिशु का जन्म एक भौतिक सत्यता है,और चारो भाव ही भौतिक तत्य दर्शाते हैं ! यही सत्य है ! शिशु एक सुनिश्चित संसाधन के साथ जन्म लेता है ! किसी परिवार मैं इन संसाधन की कमी होती है और कहीं अति! परन्तु जन्म लेते ही शिशु को भगवान शिव अनेक अवसर प्रदान करते है की वोह विश्व मैं उचत्तम स्तर तक पहुँच सके ! और यह जो अनेक अवसर शिव सबको देते हैं, उसपर किस परिवार मैं शिशु पैदा हूआ है, का कोइ प्रभाव नहीं होता है! यही कारण है इतिहास जो की प्रसिद्ध महापुरुषों का वर्णन है उन लोगो से भरा पड़ा है जो कि धनवान परिवार मैं नहीं जन्मे थे !लेकिन उन्होंने शिव जी के दिये होए अवसरों का लाभ लिया, और उनत्ती करी! यही सत्य है ! शिव हर व्यक्ती को अनेक अवसर देते हैं पूर्ण उनत्ती के लिये ! यही सत्य है और शिव सत्यम हैं !

शिवम जैसा कि पहली पोस्ट मैं बताया गया है का अर्थ है कि आप देते समय बदले मैं कुछ पाने कि इच्छा न रखें ! शिव, शिवम हैं क्यूँकी वोह अपने पास कुछ नहीं रखते! उनके पास खुद के रहने के लिये कुटिया भी नहीं है !पंचम भाव दर्शाता है संतान, सूचना और उच्च शिक्षा, छठा शत्रु, बीमारी और नौकरी, सप्तम बहारी संबंध, पति/पत्नी, तथा अष्टम जीवन! ध्यान रहे इन चारों भाव के लिये आप व्यय अधिक करते है और प्राप्ती कम होती है !इसलिये ये शिवम हैं! हिंदू मान्यता है कि मनुष्य खाली हाथ आता है, और खाली हाथ ही जाता है ! शिवम आपको प्रेरणा देता है कि आप अपने परिवार तथा अपने समाज की उनत्ती के लिये सहयोग दें !

सत्यम की परख यही है की आप शिवम हूऐ की नहीं !
सुन्दरम मैं बाकी चार भाव हैं ! नवा भाग्य और धर्म दर्शाता है, दसवा कर्म, ग्यार्वाह लाभ, तथा बारवां व्यय और हानी ! जैसा की पहले भी कहा गया है, सुन्दरम बिना आपकी प्रतिबद्धता के संभव नहीं!नवा भाव धर्म का और दसवा कर्म; अर्थार्थ सब कुछ आपके हाथ मैं हैं ! आप धर्म अनुसार कर्म करते हैं तो जीवन और विश्व सुंदर होगा, अन्यथा नहीं ! वेदांत ज्योतिष इस बात को पूरी तरह से स्पष्ट कर रही है कि जीवन की गुणवत्ता आपके खुद के हाथ मैं ही है! भगवान शिव ने तो आपको सब कुछ दे दिया; जीवन की गुणवत्ता पर निर्णय आपके धर्म अनुसार कर्म करने पर निर्भर है !
सत्यम शिवम सुन्दरम पूर्ण रूप से व्यक्तिगत है ! इससे अपने जीवन को सवारीयें और उसे सार्थक बनाईये !
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ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.