अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन्ह जानकी माता ।।
मुझे मालूम है कि अष्ट सिद्धि और नौ निधियां का विस्तार आप सब मेरे से अच्छा कर सकते हैं जिसके लिए माता सिता ने हनुमान जी को वरदान दिया था , तथा में नीचे लिंक भी दे रहाहूं , लकिन प्रश्न यहाँ दुर्गा पूजा का हो रहा है | दुर्गापूजा नौ दिन की होती है, लकिन कुछ प्रान्तों में इसको अष्टमी को समाप्त कर दिया जाता है, कुछ में नौमी को|
तो भारत की विविधता को स्वीकार और सम्मान करते हुए, हमलोग मान लेते हैं कि सिद्धि आठ प्रकार कि हो सकती हैं और सुर और असुर के असमन्वय से विकार जो प्रकृति और मानव में सभव है, उस पर नियंत्रण और समन्वय से नौ निधि हो सकती हैं |
पहले तो यह समझ लें कि माता पार्वती ही प्रकृति हैं, और ईश्वर शिव का विवाह माता पर्वती से यह संकेत है कि ईश्वर प्रकृति का पोषण करेंगें और ईश्वर के भक्त भी प्रकृति की रक्षा करेंगे, तभी श्रृष्टि पनप सकती है |
यह भी समझ लें कि बिना प्रकृति के श्रृष्टि है ही कहाँ?
सिर्फ निर्जीव पृथ्वी दिखाई देगी तथा विज्ञानीक बताते हैं, और...
आज के सूचना युग में आपको भी मालूम है कि, ऐसे अनेक और अनगिनित लोक ब्रह्माण्ड में हैं लकिन प्रकृति कहीं नहीं है | आप चाहे तो अंग्रेजी में यह टाइप करके गूगल पर SEARCH कर सकते हैं 'ARE WE ALONE IN THE UNIVERSE?'
हिंदी में इसलिए नहीं क्यूंकि अभी हिंदी के सर्च इंजन उतने अच्छे नहीं हैं; और अंगेजी में आपको पर्याप्त सूचना मिल जायेगी | आपको यह भी मालूम पड़ जाएगा कि माँ दुर्गा की आप पर विशेष कृपा है कि इतनी फलती फूलती प्रकृति विरासत मैं आपको मिली है | विरासत के यहाँ अर्थ है आपको जन्म से मिली है जिसके लिए आपने कोइ प्रयास भी नहीं करा |
लकिन इसी प्रकृति का विनाशकारी दुरूपयोग मैंने और आपने करा है , जिसका सीधा असर निम्लिखित है :
• समस्त बड़े नगरो की हवा पूरी तरह से प्रदूषित हो गयी है या पुराणिक भाषा में कहें तो असुरो ने पवन देवता को हरा दिया है |
• पृथ्वी के नीचे का पानी उद्योगिक प्रदुषण के कारण प्रदूषित हो गया है पीने लायक नहीं रहा है |
• जमीन के नीचे के पानी का अंधाधुंध प्रयोग से जल स्तर बहुत नीचे चला गया है
• जो पृथ्वी अंतरिक्ष से देखो तो ८०% जलमग्न दिखती है, उसमें एकदम निकट भविष्य में पीने के पानी की गंभीर समस्या होने वाली है; इसका एक प्रमाण यह भी है कि BOTTLED WATER उद्योग जो की एकदम विश्व के लिए नया है, फलफूल रहा है और जबरदस्त उनत्ती कर रहाहै |
• पेड़ो का और वनों का नाश कर दिया गयाहै जिसके कारण समय पर बारिश नहीं हो पाती |
• खनिजो और प्राकृतिक साम्प्रदा का दुरूपयोग हो रहा है |
तो अब आप बताएं , कि ‘जय माता दि’ या ‘जय माँ दुर्गे’ कहने से कुछ भला होगा ?
क्या देवी माँ प्रसन्न होंगी ?
जब तक आप प्रकृति की रक्षा नही करेंगें श्रृष्टि को नकरात्मक दिशा में जाने से नहीं रोक सकते |
श्रृष्टि की रक्षा और पोषण...प्रकृति के विनाश के साथ-साथ संभव ही नहीं है |
और ना ही आप माँ दुर्गा को पूजा और भक्ति से प्रसन्न कर सकते !
क्यूंकि प्रकृति के विनाश को रोकने के लिए आप कुछ नहीं कर रहे हैं |
प्राकृति का विनाश में और आप कर रहे हैं, फिर पूजा करके माँ दुर्गा को प्रसन्न करना कुछ इस तरह से हुआ कि एक प्रियजन को तडफा तडफा कर मार दे, फिर यह सोचें, कि पूजा अर्चना से उसकी आत्मा को शान्ति मिल जायेगी !
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