Monday, July 6, 2015

शुद्र का शोषण रहित वेदिक अर्थ बिना अवतार के इतिहास के नहीं मिल सकता

वेद के अनुसार 'शुद्र' का अर्थ/परिभाषा :
वोह मानव जो सनातन धर्म नहीं मानता, तथा दोहरे मापदंड रखता हो, और समाज हित(जिसका दूसरा नाम हर समाज मैं धर्म भी है) की बात करते हुए, नारी बच्चो, और निर्दोशो, तथा कमजोरो पर अत्याचार और शोषण करे |
यह सूचना युग है, और समाज को देखीये सूचना होते हुए भी अपना शोषण करवा रहा है| कोइ भी कुछ बता सकता है और बताने वाला व्यक्ति यदि धर्म से जुडा हुआ है, तो गलत सूचना से समाज का कितना नुक्सान होता है यह अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता| विडम्बना यह भी है कि सब सबके सामने हो रहा है, यह भी समझ मैं आता है कि गलत हो रहा है लकिन कोइ सुधार का प्रयास नहीं करता, डरते हैं, अपनी कर्महीन मान्सिक्ता के कारण कि कुछ गलत ना होजाए, चुकी धर्म के लोग जुड़े हैं |

अब शुद्र शब्द को ले लीजिये, 
यहाँ मैं मनु स्मृति की बिलकुल बात नहीं कर रहा हूँ, क्यूंकि मनु स्मृति पानी मैं रहते है हुए अत्यंत संघर्षमय समय मैं, जहां जीवित रहना आसान नहीं था, लिखी गयी थी, स्मृति है....

जिसका उस समय पश्चात कोइ उपयोग नहीं है, लकिन समाज के शोषण मैं उसकी आवश्यकता थी, इसलिए उसको जीवित रखा गया|

नहीं, मैं वेद की बात कर रहा हूँ, जिसका दुरूपयोग समाज के शोषण के लिए हो रहा है | कौन से वेद मैं शुद्र का अर्थ लिखा है ...>>>जन्म से अछूत ?

बिलकुल नहीं लिखा है, बल्कि धार्मिक साहित्य यह स्पष्ट करता है कि अवतार जो उद्धारण प्रस्तुत करते , वोह दूसरा वेद है;

स्पष्ट है, वेद क्यूँकी वर्तमान समाज केन्द्रित हैं, और समाज का भौतिक विकास उसका दर्पण है, इसलिए शुद्र शब्द का अर्थ हम हिन्दुओ को अवतार के इतिहास मैं ढूँढना होगा, तथा ये सुनिश्चित करने के बाद कि उस शब्द के अर्थ से समाज का भौतिक लाभ है कि नहीं, आगे उसका प्रयोग करना होगा | 

तो शुद्र शब्द का अर्थ विष्णु अवतार श्री राम ने शम्बूक वध मैं स्पष्ट कर दिया है, नीचे पूरी कथा और पोस्ट लिंक दी हुई है
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रामराज्य स्थापित होने के पश्च्यात श्री राम ने एक शुद्र का वध इसलिए कर दिया क्यूंकि वोह तप कर रहा था !

वेद के अनुसार 'शुद्र' का अर्थ/परिभाषा :
वोह मानव जो सनातन धर्म नहीं मानता, तथा दोहरे मापदंड रखता हो, और समाज हित(जिसका दूसरा नाम हर समाज मैं धर्म भी है) की बात करते हुए, नारी बच्चो, और निर्दोशो, तथा कमजोरो पर अत्याचार और शोषण करे |

आपको तप और यज्ञ का अर्थ तो पता ही है;

तप: समाज हित मैं व्यक्तिगत कठोर प्रयास |
यज्ञ: समाज हित मैं व्यक्ति समूह का कठोर प्रयास |

नोट: जो दोहरे मापदंड वाला व्यक्ति होगा, वोह तप और यज्ञ की बात करेगा, लकिन उद्देश उसका असामाजिक होताहै|

शम्बूक वध की बात करता हूँ==>

ISIS Chief Abu Bakr al-baghdadi...हिन्दू के लिए 'शुद्र' ही है.............

उसकी सेना ISIS विश्व लोक को 'देवलोक' बनाने के लिए कठोर यज्ञ कर रही है|

जी हाँ कठोर यज्ञ कर रही है..... ....दुसरे धर्मोकी औरतो को बंदी बना कर चैनो से जकड कर 'गुलाम बाज़ार' मैं बेचा जा रहा है...और हम सबको मालूम है !

परन्तु उनका समाज इसको धार्मिक यज्ञ मान रहा है, ..यह भी सत्य है!

और उनके मुखिया...ISIS Chief Abu Bakr al-baghdadi का 'समाज हित' मैं पृथ्वी को देवलोक बनाने का प्रयास ...>>>एक कठोर तप !

फिर से उनका मुखिया ...ISIS Chief Abu Bakr al-baghdadi...हिन्दू के लिए 'शुद्र' ही है !

क्या और कब श्रीराम आयेंगे और इसकी गर्दन काटेंगे.....ताकि यह शुद्र तप ना करे !
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