Wednesday, August 20, 2014

महाभारत मैं कृष्ण किधर से लड़ेंगे यह तय करेगा द्वारिका, अर्जुन या दुर्योधन?

अगर महाभारत युद्ध मैं द्वारिकाधीश श्री कृष्ण के लिए द्वारिका की जनता और द्वारिका शासन के अतिरिक्त कोइ और निर्णय लेता है की श्री कृष्ण किधर से युद्ध करेंगे तो महाभारत ग्रन्थ को ना समझ कर, धर्मगुरु हमें अधर्म सिखा रहे हैं, जिसका आजतो विरोध होना चाहीये |
ठीक है पहले सूचना का उपयोग नहीं था, सभी कुछ भक्ती से जोड़ दिया गया था, लकिन आज क्यूँ? क्या भारत यदी किसी युद्ध मैं अपना युगदान देना चाहता है तो.....यह कौन निश्चय करेगा कि भारत का युगदान क्या होगा, कैसा होगा और कहाँ होगा ?
क्या इसका उत्तर यह दिया जाएगा कि जो देश और सेनाएं लड़ रही हैं, उनके सेनापति या भारत देश ?
संस्कृत विद्वानों और धर्मगुरुओं से यह अनुरोध है कि इतना घृणित कार्य ना करे की महाभारत से हिन्दू समाज को अधर्म सिखाएं !

क्यूँकी एक अधर्म है, एक धर्म है, एक से सूचना युग मैं समाज को गुलाम बना कर रखा जा सकता है, ………….और एक से समाज को धर्म मिलेगा जो आज और सदैव मान्य होगा |

और फिर प्रश्न भी इतना मुश्किल नहीं है, एक अनपढ़ भी इसका उत्तर दे सकता है;

यदी भारत किसी युद्ध मैं योगदान देता है तो इसका निर्णय भारत की जनता और भारत का शासन करता है, और यही धर्म है ,

क्षमा करें यदी किसी भी बाहरी दवाब मैं आकर भारत के प्रधान निर्णय लेते हैं, तो उसे भ्रष्टपूर्ण निर्णय बताया जाएगा, या गद्दारी से प्रेरित!

नहीं भारत हो या महाभारत, निर्णय समाज का मुखिया सदा अपने समाज से पूछ कर ही लेता है , जो धार्मिक निर्णय है, और बाकी अधर्म |

यदी कोइ धर्मगुरु यह कह रहा है कि श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध मैं द्वारिका का क्या योगदान होगा, इसका निर्णय अर्जुन और दुर्योधन मैं से जो उन्हें पहले दिखा उस पर छोड़ दिया, तो यह एकदम गलत नासमझी की बात है, महाभारत जैसे विशाल विश्वयुद्ध को गंभीरता से ना लेकर एक खेल और प्रतियोगिता समझ कर धर्मगुरु कह रहे हैं की टॉस जो जीता वोह निर्णय करेगा | कृप्या गलत और असामाजिक बात नकरें !

सत्य बोलदो की जब गणेश जी को लेखनी रोकनी पड़ जाती थी , तो अनुवादको की क्या सामर्थ की सही अनुवाद कर दें !

कष्ट इस बात का है कि आज के हमारे धर्मगुरु हर तरह के हथकंडे अपनाएंगे लकिन समाज का शोषण समाप्त नहीं होनेदे सकते, आज धर्म की दूकान से धन बहुत ज्यादा है, तो चाहे कुछ भी करना पड़े वे समाज को सही बात पता पड़ जाए और समाज सुधर जाय, यह बर्दाश्त नहीं करेंगे ; वे अपनी दुकाने बंद नहीं होने देंगे |

महाभारत एक कोडित ग्रन्थ है, यदी उसके अनुवाद को कोड के अनुसार सुधार नहीं करा गया तो निष्कर्ष तो गलत आएगा ही आएगा , और फिर इस गलती को छिपाने के लिए झूट और मक्कारी और बढ़ा दी जायेगी जिसका परिणाम यह होगा की समाज और तेज़ी से गुलामी की और बढेगा | समाज चुकी पूरी तरह से कर्महीन है इसलिए कुछ बोलेगा नहीं; डरा और झुका समाज गुलामी की और बढ़ता जाएगा| सीमित लोग ही इस अभियान मैं समाज हित मैं साथ दे पायेंगे ; 

सही उत्तर क्या है, यह जानने के लिए इस पोस्ट को खोल कर पढ़ सकते हैं, पोस्ट चुकी बड़ी न हो जाय इसलिए पहले से प्रकाशित पोस्ट को दुबारा नहीं दिया जा रहा है |
पढीये : कृष्ण ने कौरवो को सेना और बिना अस्त्र पांडवो का साथ युद्ध मैं क्यूँ दिया?
कृप्या आप तो साथ दीजिये |
जय गणेश, जय महर्षि व्यास, जय श्री कृष्ण !

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