पुराण, रामायण और महाभारत से दो प्रकार की सूचना हमारे पास आती है, एक कम विकसित समाज के लिए जिसको की भावनात्मक तरीके से स्वास्थ और चिकित्सा सम्बंधित सूचनाएं दे दी जाती है, और दूसरा विकसित समाज के लिए, जिसको अति आवश्यक है विज्ञान और आज की सूचना के आधार पर सब बताया जाय| उद्धारण:
मांग मैं सिन्दूर लगाना, माथे पर चन्दन लगाना, कान छेदन, हाथ मैं कलावा बांधना या कड़ा पहनना, आदि|
आगे अगर समाज को विज्ञान के सन्दर्भ मैं सूचना नहीं दी जायेगी तो समाज इन सब को धीरे धीरे अनदेखा करता जाएगा, और आगे स्वास्थ सम्बंधित समस्या अत्यंत जटिल स्वरुप मैं आ सकती हैं | कुछ ऐसी ही स्तिथि, अत्यंत विकसित महाभारत से पहले के समाज मैं होई, जिससे कारण उस समय स्त्रियों को गर्भ धारण मैं समस्या होने लगी, और बात जेनेटिक इंजीनियरिंग और मानव क्लोनिंग तक पहुच गईं, और एक गंभीर विश्व-युद्ध के बाद ही समस्या का निदान हुआ|
आज सिन्दूर मांग मैं क्यूँ लगाया जाता है, इस पर विज्ञान के संधर्भ मैं चर्चा होगी; इसके साथ इस विषय पर भी चर्चा हो जायेगी की हनुमान जी को, तथा कुछ छेत्र मैं गणेश जी को सिन्दूर का चोला क्यूँ पहनाया जाता है |
जब सूचना का आभाव था तब कुछ भावनात्मक कहानी किस्से इस प्रथा को बनाए रखने के लिए बना दिए गए, जैसे मांग मैं सिन्दूर पत्नी, पति की लम्बी आयु की कामना के लिए लगाती है| और यही बात जब हनुमान जी को पता पडी तो उन्होंने भक्ति भाव मैं प्ररित हो कर पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लिया, श्री राम की लम्बी आयु की कामना के लिए |
सिन्दूर Red Lead या Lead Oxide को कहते हैं और इसका Chemical Formula Pb3O4 है ..मतलब सीसा इसका मुख्य अंश है|
पहले तो यह समझ लीजिये की श्री राम के समय का त्रेता युग अत्यंत विकसित था; प्रलय स्वरूपी शिव धनुष(WEAPON OF MASS DISTRUCTION) का विघटन होने लगा था, जो की आज के समय मैं भी संभव नहीं हो पा रहा है| तो इतने विकसित समाज को सीसा{Lead(Pb)}, कितना जहरीला धातु है, यह मालूम ना हो, ऐसा संभव नहीं है| लकिन ‘सीसा’ मैं अनेक अवगुणों के होते हुए एक गुण भी है कि वोह है की वोह विद्युत चुम्बकीय विकिरण(ELECTRO MAGNETIC FORCE/FIELD) को अवशोषित(ABSORB) करने की क्षमता रखता है |
विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) दो प्रकार के होते हैं:-
एक प्राकृतिक और दूसरा मानवो द्वारा निर्मित यंत्र-तंत्रों से|
भूमि के ऊपर हाई टेंशन वोल्टेज तारों का जाल, मोबाइल फ़ोन आदि मानव निर्मित हैं| इसके अतिरिक्त Television से निकलती होई तरंग, अन्य घरेलू उपकरण भी विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) को बढ़ावा देते हैं| विज्ञानिको का मानना है की प्राकृतिक विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) अपने आप मैं बहुत घातक नहीं होती लकिन मानव निर्मित विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) के साथ उसका असर बहुत ज्यादा हो जाता है, और अनेक बिमारीयों को जन्म देती है |
चुकी औरत का शरीर और अंदर के उपकरण अत्यंत पेचीदे है, और पुरुष के महिलाओ की तुलना मैं सरल, तो महिलाओं को विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) से बीमार होने की संभावना बहुत अधिक है|
आज के सूचना युग मैं X-Ray मशीन का उपयोग अस्पतालों मैं सब ने सुना होगा; काफी लोगो को शिक्षा के कारण यह भी मालूम होगा की X-Ray मानव निर्मित विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) है जिसका अवशोषण अस्पतालों मैं सीसे की प्लेट से करा जाता है |
फिर से इस तथ्य को जान लीजिये, सबसे सस्ता धातु, जिससे X-Ray का अवशोषण हो सकता है, वोह है सीसा|
X-Ray, क्यूँकी हड्डीयों की जानकारी के लिए लिया जाता है, तो काफी सकेंद्रित मात्र मैं X-Ray का प्रयोग होता है, इसलिए सीसा की प्लेट का प्रयोग होता है, लकिन वातावरण मैं फैला हुआ विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) काफी हल्का होता है , इसलिए सीसे का सिन्दूर(Red Lead, Chemical Formula Pb3O4) ही काफी है उसके अवशोषण के लिए |
अब आप विज्ञानिक कारण समझ लीजिये:
मानव शरीर मैं सब अंगो का और उपकरणों का संचालन मस्तिष्क से होता है, तो प्राचीन चिकित्सा विज्ञान ने यह निर्धारित कर लिया की नाक के ठीक उपर जहाँ से महिलाओ के सर के बाल शुरू होते हैं, अगर उस जगह से एक छोटी लकीर बराबर स्थान को विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) के प्रभाव को रोक दिया जाय, तो नारी अनेक जटिल बीमारियों से बच सकती हैं , और तभी से सिन्दूर लगाने की प्रथा शुरू होगयी |
यह भी सच है की इसे भावनात्मक आधार भी दिया गया, जैसे पति की आयु, सुहाग की निशानी, आदि आदि | लकिन वास्तविक कारण चिकित्सा विज्ञान है, जो की प्राचीन भारत मैं अत्यंत विकसित था|
परन्तु समस्या यह आ रही है की पुराणों से विज्ञान सम्बंधित विषयों को ना तो अलग कर के समझा गया है, और ना ही यह सूचना समाज तक पहुचाने मैं धर्मगुरु और संस्कृत विद्वानों ने कोइ प्रयास करा |बड़े शहरो मैं मांग मैं सिन्दूर भरने की परंपरा समाप्त सी होती जा रही है, उधर विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) बढ़ता जा रहा है| इसका क्या असर महिलाओ के स्वास्थ पर होगा, इसका आकलन तक नहीं हो रहा है| यदि मांग मैं सिन्दूर सिर्फ पति की लम्बी आयु के लिए लगाया जाता है, तो यह पोस्ट निसंकोच उन महिलाओ के पक्ष मैं होती जो ऐसा नहीं कर रही है; परन्तु चिकित्सा विज्ञान की आवश्यकताएं हैं, और यह पोस्ट सब विवाहित महिलाओ से सिन्दूर लगाने के लिए अनुरोध कर रही है |
नोट: विज्ञान सम्बंधित विषयों को ना समझा गया है, और ना ही समाज तक पहुचाने मैं विद्वानों ने कोइ प्रयास करा|मांग मैं सिन्दूर की परंपरा समाप्त होती जा रही है, उधर विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) बढ़ता जा रहा है |
अब बात करते हैं हनुमान जी और गणेश जी को सिन्दूर का चोला क्यूँ पहनाया जाता है |
जैसा की विदित हो गया कि विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) विघ्न उत्पन्न करती है, और मूर्ति की सकारात्मक उर्जा को भी प्रभावित करती हैं , इसलिए सिन्दूर का चोला पहना दिया जाता है ; और गणेश जी तो विघ्ननाशक है, तो यही कारण है की कुछ मंदिरों का मत है की उनको सिन्दूर का चोला पहनाना चाहिए और कुछ का मत है की विघ्ननाशक को कोइ आवश्यकता नहीं | परन्तु विज्ञान से सम्बंधित कारण कोइ आपको बताएगा नहीं|
फिर सीधा प्रश्न यह भी आता है की श्री राम, श्री कृष्ण, शिव और दुर्गा को, सिन्दूर का चोला क्यूँ नहीं ? कारण छोटा सा है, यह सब पूर्ण इश्वर की श्रेणी मैं आते हैं, या पूर्ण इश्वर के अवतार, तो इनको विघ्न क्या असर करेंगी |
मेरी आस्था तो गणेशजी मैं और हनुमान जी मैं भी पूर्ण है, और पूरे हिन्दू समाज की भी; तबभी प्राचीन परम्पराओं का सम्मान करते हुए मैं वर्तमान विज्ञान से निवेदन ही कर सकता हूँ कि इसपर और आगे शोघ हो |
पढीये, विद्युत चुम्बकीय विकिरण(EMF) की और अधिक जानकारी के लिए:
Dangers of Electromagnetic Radiation
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