Saturday, March 15, 2014

संस्कृत भाषा का प्रयोग सनातन धार्मिक कार्यकर्मों मैं बंद होजाना चाहिए

नोट: कृप्या इस पोस्ट को पढ़ें, और जितने भी शिक्षित संस्कृत विद्वानों को आप जानते हैं, उनसे साथ यह पोस्ट शेयर अवश्य करें| हर बिंदु पर चर्चा का स्वागत है !
सनातन धर्मगुरु जनो ने महाभारत पश्च्यात अत्यंत अस्तव्यस्थता के वातावरण मैं हिन्दू समाज को बर्बाद कैसे होने दिया? बीच बीच के कुछ समय को छोड़ कर गौरवपूर्ण इतिहास पिछले ५००० वर्ष मैं हिन्दू समाज का नहीं रहा है| पूरे विश्व मैं एक मात्र समाज होने के बाद, धीरे धीरे नए धर्म/मजहब आते चले गए, और हिन्दू समाज सिकुड़ता चला गया!
क्या संस्कृत भाषा का दुरूपयोग हुआ है?
क्या संस्कृत का उपयोग समाज के शोषण और गुलाम बना कर रखने के लिए करा गया है?

महाभारत के बाद से पिछले ५००० वर्ष का काफी कुछ इतिहास हमारे पास है, और जो नहीं था, उसपर सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई से जो प्रमाण मिले हैं, इस इतिहास पर प्रकाश पड़ता है; तथा सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाईसे एक निष्कर्ष पूरे विश्व ने निकाला कि प्राचीन सभ्यताएं, नई सभ्यताओं से ज्यादा विकसित थी | क्या निष्कर्ष निकालना चाहेंगे आप इससे कि पिछले ५००० वर्ष मैं सनातन धर्म ने हिन्दू समाज के विकास मैं क्या योगदान करा ? उत्तर स्पष्ट है, नकारात्मक योगदान रहा है|

और भी अनेक प्रमाण का यहाँ पर मात्र उल्लेख हो रहा है, सब पर चर्चा आवश्यक है| पढ़ें: सिंधु घाटी सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाईसे निम्लिखित बाते स्पष्ट हो जाती हैं:

1. महाभारत अत्यंत विकसित समाज के भीषण, विनाशकारी, विश्व युद्ध का इतिहास है;

2. महाभारत के अंत मैं अश्वथामा ने रसायन अस्त्र छोड़ कर ‘उत्तरा’ के गर्भ पर वार करा; अर्थ स्पष्ट है ‘उत्तरा’ का अर्थ होता है शेष बची होई, यानीकी शेष बची होई महिलाओं के गर्भ मैं बाधा उत्पन्न करने के लिए यह रसायन अस्त्र छोड़ा गया था, जिसका परिणाम घातक हुआ |

3. भीषण, विनाशकारी, विश्व युद्ध के कारण विश्व मैं सामाजिक ढांचा अत्यंत कमजोर हो गया था, लूट मार शुरू हो गयी थी, स्वंम महाभारत मैं द्वारिका मैं, युद्ध उपरान्त यादवो द्वारा लूट मार का उल्लेख है | इसके अतिरिक्त अश्वथामा के रसायन अस्त्र से भी लोग अपने निवास छोड़ कर दूर जाने लगे, तथा इसमें श्री कृष्ण ने इसका जो उपचार बताया था, वोह भी कारण था|

4. श्री कृष्ण ने इस रसायन अस्त्र का उपचार यह बताया था, कि लोग सुख सुविधा से परिपूर्ण कस्बो/शहरो मैं ना रहकर, फिर से जानवारो के साथ बंजारों का जीवन व्यतीत करें, जिससे इस रसायन का असर नहीं होगा; और यही लोगो ने करा| यादव या ‘यदु’ ने पहले यहूदी धर्म की स्थापना अफ्रीका मैं जा कर करा |

5. इन्ही यादव या यदु वंश के लोगो ने फिर इस्साई धर्म की स्थापना करी, तत्पश्चात् इन्ही लोगो ने इस्लाम धर्म की स्थापना करी; पढ़ें: Jewish Christian | कहाँ सो रहा था सनातन धर्म, और उसके धर्मगुरु? 

नोट, फिर से समझ लें: महाभारत के अंत मैं अश्वथामा ने रसायन अस्त्र छोड़ कर ‘उत्तरा’ के गर्भ पर वार करा;‘उत्तरा’ का अर्थ होता है शेष बची होई, यानी बची होई महिलाओं के गर्भ मैं बाधा उत्पन्न करी गयी, जिसका परिणाम घातक हुआ |

अब इसका उत्तर सनातन धर्मगुरु जनो को देना है की यह लोग क्या कर रहे थे; सिर्फ शोषण ?

सनातन धर्मगुरु जनो ने महाभारत पश्च्यात अत्यंत अस्तव्यस्थता के वातावरण मैं हिन्दू समाज को बर्बाद कैसे होने दिया?

बीच बीच के कुछ समय को छोड़ कर गौरवपूर्ण इतिहास पिछले ५००० वर्ष मैं हिन्दू समाज का नहीं रहा है|

पूरे विश्व मैं एक मात्र समाज होने के बाद, धीरे धीरे नए धर्म/मजहब आते चले गए, और हिन्दू समाज सिकुड़ता चला गया |

चाणक्य के समय हिन्दू समाज का विकास कहाँ तक था, आप पता लगा सकते हैं, और जो सनातन धर्म को नहीं मानने लगे थे, वे भी सनातन की इज्ज़त करते थे|

लकिन पतन तो ५००० वर्ष से ही शुरू था, धीरे धीरे हिन्दू समाज सिकुड़ता गया | सनातन धर्मगुरु जनो ने संस्कृत का दुरूपयोग करके समाज पर शिकंजा कसा रखा, और इन संस्कृत विद्वानों ने समाज को गुमराह करा, धर्म के बारे मैं सबकुछ गलत बताया, ताकी पतन हो सके, और हुआ भी |

क्या यह सब गंभीर चर्चाके विषय नहीं है ?

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