सीता ने ऋषि गौतम से शिक्षा के लिए इनकार कर दिया?
क्यूँ?
जवाब अब आप बताएं?
कब तब अपने स्वंम के, और अपने समाज के शोषण मैं सहायक होगे ?
सत्य बोलने की आदत डाल लीजिये ;
सीता ने गौतम ऋषि, जो की महाराज जनक के राज पुरोहित थे, उनसे शिक्षा ग्रहण करने के स्वम ऋषि गौतम के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.......
कारण गौतम ऋषि का अपनी पत्नी से दुर्व्यवाहार !
इसके आगे कुछ स्पष्ट नहीं है...वोह आपका काम है ..
गौतम ऋषि, अपनी पत्नी अहलिया के मृत्यु के कारण रहे..
मारा या और कैसे यह नहीं मालूम ..
लकिन एक बात तो स्पष्ट है...इतिहास मैं किसी भी व्यक्ति के पास अलोकिक और चमत्कारिक शक्ति नहीं होती...
सीधी बात गुस्से मैं मार दिया ..!
और अब शिव महापुराण [SHIV MAHAPURAN]
से कुछ समझते हैं...
ध्यान दे समझते हैं !
इसी तरह से ऋषि गौतम ने अपनी पुत्री अंजनी को गर्भवती होने के पश्चात पहाडो पर भेज दिया ..
और राजा केसरी जो गर्भ की कारण थे, उन्हें अंजनी से मिलने भी नहीं दिया, ना ही विवाह की अनुमति दी ..
हनुमान, केसरी नंदन के जन्म के बाद एक बहुत ही शर्मनाक कार्य किया गया ..किसने यह अब आप बताएं !
कहते हैं, जन्म उपरान्त, हनुमान, केसरी नंदन, राजा केसरी के पास वायु मार्ग से आए .........
राजा केसरी को अंजनी से मिलनी की अनुमती तो थी नहीं,
तो ऐसा प्रतीत होता है, या यह कहीये कि सारे प्रमाण यह बताते हैं कि अंजनी, हनुमान, केसरी के शुभचिंतको ने
बिना ऋषि गौतम को बता कर ऐसी व्यवस्था करदी कि जब, जैसी ही हनुमान जी का जन्म हुआ, और नवजात हनुमान को पहाडो से नीचे फेका जाने लगा तो तो राजा केसरी ठीक उसी जगह पर नीचे प्रतीक्षा कर रहे थे|
चुकी हनुमान वायु मार्ग से अपने पिता के पास आए,..
तो ऐसा प्रतीत होता है, या यह कहीये कि सारे प्रमाण यह बताते हैं कि अंजनी, हनुमान, केसरी के शुभचिंतको ने
बिना ऋषि गौतम को बता कर ऐसी व्यवस्था करदी कि जब, जैसी ही हनुमान जी का जन्म हुआ, और नवजात हनुमान को पहाडो से नीचे फेका जाने लगा तो तो राजा केसरी ठीक उसी जगह पर नीचे प्रतीक्षा कर रहे थे|
चुकी हनुमान वायु मार्ग से अपने पिता के पास आए,..
इसलिए पवनपुत्र भी कहलाते हैं?
बाकी आपको समझना है...समझना आवश्यक है की भौतिक तथ्य क्या थे ?
अब आपको भौतिक इतिहास की रचना करनी पड़ेगी यह समझने की कि:
क्यूँ हनुमान कम बोलते थे, चुप रहते थे..?
क्यूँ राजा केसरी के पुत्र होकर भी वे राज्य के वारिस नहीं हो पाए?
क्यूँ उन्होंने बाल ब्रह्मचारी का व्रत धारण करा ?
मेरी तो आस्था हनुमान जी पर इन तथ्यों को समझने के बाद बढ़ीं है..
आपका पता नहीं !
जय माता सीता !! जय श्री हनुमान !!
यह भी पढ़ें:
No comments:
Post a Comment