उस समय कन्याओं का आकाल था, भीष्म ने, प्रभाव प्रयोग करके, गंधार नरेश की कन्या, गन्धारी से ध्रतराष्ट्र की शादी, कुंती को पांडू के लिए पसंद करा| विदुर की शादी सुलभा, एक यादव कन्या से कर दी गयी
अब हम सब अगली पीढ़ी की और बढते हैं, जिसकी महाभारत युद्ध मैं प्रमुख भूमिका रही है| ध्रतराष्ट्र सबसे बड़े, परन्तु जन्म से अंधे हैं, पंडू उनके छोटे भ्राता हैं, और विदुर, वैसे तो दासी पुत्र हैं, लकिन इसको स्वीकृत करा गया की उनका परिवार से सम्बन्ध है| यह प्रश्न बार बार चर्चा मैं भी आया, कि राजा किसको बनना चाहिए, और अधिकाश राज्य के उच्च-पदाधिकारी और सलाहकार का मत था, की पंडू ही उपयुक्त रहेंगे| जयेष्ट पुत्र होते हुए भी ध्रतराष्ट्र को अपनी महत्त्व-आकान्शाओ को मन मैं ही दबा के रखना पड़ा| और युवा अवस्था आने पर पांडू ने राज्य सिंघासन संभाल लिया, देवरात, जो अब पितामह होगए थे, वे और विदुर उनके प्रमुख सलाहकार और मंत्री होगए|
जहाँ विदुर एक अत्यंत बुद्धिमान, लोक-प्रिये व्यक्ति थे, जिसके कारण लोग उन्हें ‘महात्मा विदुर’ भी कहते थे, पंडू बहुत ज्यादा प्रतिभाशाली राजा नहीं हो पाय, हाँ इतना अवश्य था, कि जो भी आदर्श स्थापित हो चुके थे, उनके अनुसार, और योग्य सलाहकारों के कारण राज्य सकुशल चल रहा था| कुछ कथा तो यह भी कहती हैं हैं की विदुर ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, यह सुनिश्चित करने मैं की ध्रतराष्ट्र और पंडू मैं किसका विवाह किससे होगा. यह भी माना जाता है की उन्होंने स्वम के लिए एक यादव कन्या से विवाह की बात करी, किसी राजकुमारी से नहीं |
जैसा की पहले कहा गया है, उस समय कन्याओं का आकाल था, और इस कारण भीष्म ने, अपना राजकीय प्रभाव प्रयोग करके, गंधार नरेश की सुन्दर कन्या, गन्धारी से ध्रतराष्ट्र की शादी का प्रस्ताव दिया, तथा राजकीय प्रभाव के कारण गन्धारी के भाई, शकुनी के अतिरिक्त, और किसी मैं साहस नहीं हुआ, कि भीष्म से यह पूछे की वे महाराज पांडू के विवाह के लिए, गन्धारी को क्यूँ नहीं मांग रहे हैं?
गंधार आज के अफगानिस्तान मैं है, तथा समस्त अफगानिस्तान उस समय, गंधार प्रान्त कहलाता था| गन्धारी ने उसी समय से अपनी आँखों मैं पट्टी बाँध ली|
उसी तरह से भीष्म ने राजकुमारी कुंती को पांडू के लिए पसंद करा| कुंती ने कर्ण के जन्म मैं माता का उत्तरदाइत्व निभाया था, इस विषय को भीष्म ने ज्यादा तूल नहीं दिया, और बात, एक तरह से गुप्त रह गयी| विदुर की शादी सुलभा, एक यादव कन्या से कर दी गयी|
विवाह उपरान्त जीवन आगे बढ़ता चला, लकिन न तो ध्रतराष्ट्र और न पांडू के कोइ संतान हुई| भीष्म ने पांडू के लिए शैलय, ‘मद्र’ के राजा की बहन, माद्री के लिए भी विवाह प्रस्ताव भेजा, और शैलय ने इस विवाह के लिए धन माँगा, जो भीष्म ने दिया, तब विवाह संपन्न हुआ| एक दिन महाराज पांडू शिकार खेलने वन मैं गए, और वहां उन्होंने एक व्यक्ति को अप्राकृतिक यौन-क्रिया एक जानवर के साथ करते हुए देखा, जिसको देख कर वे उत्तेजित हो गए, और अपने पुरखो के बनाए हुए नियम के विरुद्ध, उस उत्तेजना मैं, उन्होंने उस व्यक्ति का वध कर दिया|
महाराज पांडू ने भरे राज्य-दरबार मैं इस बात को सार्वजनिक करा, और नियम अनुसार उन्हें अब वन मैंही निवास करना था, तथा उन्हें एक ऐसी औषधि दंड-स्वरुप देदी गयी जिससे वे कभी भी किसी स्त्री के साथ यौन-क्रिया नहीं कर सकते थे, और यदी ऐसा प्रयास भी करते हैं, तो उनकी तत्काल मृत्य हो जायेगी| पांडू, अपनी दोनों पत्नी, कुंती और माद्री के साथ वन चले गए, और राज्य अब ध्रतराष्ट्र के हाथ मैं आ गया| यह भी एक प्रमाण है कन्याओं की कमी का|
यहीं वन मैं जेनिटिक इंजीनियरिंग की मदद से कुंती ने युधिष्टिर, भीम, और अर्जुन को जन्म दिया, तथा माद्री ने, नकुल सहदेव को| उधर मानव क्लोनिंग की आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके, ध्रतराष्ट्र और गन्धारी के १०० पुत्र और एक कन्या का जन्म हुआ | दुर्योधन इसमें सबसे जयेष्ट पुत्र थे, ध्रतराष्ट्र के, परन्तु युधिष्टिर से छोटे थे|
कुछ समय पश्च्यात, प्रबल यौन-क्रिया की इच्छा को ना रोक सकने के कारण पांडू ने माद्र्री के साथ सहवास करने का प्रयास करा, और मृत्य हो गयी| माद्री को इस बातका अत्यंत दुःख हुआ, और पांडू की चिता मैं सती होगयी| युधिस्तिर, चारो छोटे पांडव, कुंती के साथ, हस्तिनापुर, राजमहल मैं वापस आ गए|
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