Tuesday, March 12, 2013

सनातन धर्म मैं सप्त ऋषि की अवधारणा

To oversee the performance of Sanatan Dharm, Sapt Rishi was a centralized committee, which was immortalized and buried~~ सप्तऋषी केन्द्रीय समिती थी; अंदरूनी शोषण के कारण समिती दफनाई जा चुकी है, ताकी बिना नियंत्रण और संतुलन के समाज का शोषण बिना रोक टोक के हो सके, और आजादी के बाद के प्रामाणिक आकडे यह दर्शा भी रहे हैं !
सनातन धर्म मैं सप्त ऋषि के बारे मैं हम सब ने सुना है, कि कैसे उनका यह पवित्र कर्तव्य है कि धर्म को प्रगति की और ले जाएँ| यह भी बताया गया है कि वे अमर हैं तथा वे सफलतापूर्वक अपना कार्य करते रहते हैं| लकिन कोइ यह नहीं बताता की जो धार्मिक पुस्तके नष्ट हो गयी हैं, उनकी भरपाई वे क्यूँ नहीं कर रहे हैं, और कोइ यह भी नहीं बताता की वे वर्तमान धर्म गुरुओं को दिशा निर्देश क्यूँ नहीं दे रहे हैं, ताकी आजादी के बाद, तथा धर्म मैं पूरी श्रद्धा और रुची होने के उपरान्त भी समाज गरीब होता जा रहा है, जात के नाम पर बाटा जा रहा है, और धर्म गुरु अत्यंत धनवान, और शक्तिशाली होते जा रहे हैं|
यह भी हमसब को बार बार बताया गया है कि सत्ययुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग मैं समाज के शत्रुओं के पास चमत्कारिक शक्तियां होती थी, जिसके कारण यह सप्त ऋषी प्रभावहीन हो जाते थे, और इश्वर को अवतरित हो कर उन शक्तिशाली बुरे लोगो का नाश करना पड़ता था, परन्तु अभी हाल की १००० वर्ष की गुलामी मैं किसी भी शत्रु के पास चमत्कारिक शक्ति नहीं थी, और जुल्म इतने समाज को झेलने पड़े की वर्णन नहीं करा जा सकता, लकिन न तो सप्त ऋषि नज़र आएं, ना ही इन्होने किसी बुरे व्यक्ति को अपनी शक्ति से, समाज की रक्षा के लिए, श्रापित करा, और ना ही इश्वर अवतरित हुए| कुछ तो गलत बताया जा रहा है|
यह भी बार बार बताया जा रहा है कि सनातन धर्म जब से श्रृष्टि बनी है तभी से चल रहा है, तथा इसलिए सुरक्षित है क्यूँकी इस धर्म की देखरेख सप्त ऋषियों के हाथ मैं है, और वे अमर हैं| इसपर मैं विश्वास करता हूँ, लकिन जो शोषण हेतु बताया गया है, उससे अलग कारण से|
ऋषि का अर्थ क्या होता है? ऋषी संतो/मुनियों को नहीं कहते, लकिन किसी भी विषय मैं स्वामित्व आने के पश्च्यात उसे ऋषी कहा जाने लगता था| ऐसे अपने विषय मैं पंडित या मास्टर्स जब समाज हेतु उस विषय से नए मार्ग शोघ द्वारा प्रस्तुत करते थे तो उन्हें महाऋषी कहा जाने लगता था|वशिष्ट और वाल्मिकी महाऋषि थे और विश्वामित्र , अपने अभूतपूर्ण समाज कार्य के लिए महाऋषि बन गए थे|
वापस मुख विषय पर| सप्त ऋषि वास्तव मैं अमर हैं, इसलिए नहीं की उनकी समय अनुसार मृत्यु नहीं होती, बल्की इस लिए की वो धर्म की केन्द्रिय समिती थी, जो की समाज के विभिन् विषयों के महाऋषि संचालन करते थे, जिसमें कम से कम ७ महाऋषियों के होने का प्राविधान था|वोह मानव समाज के आरम्भ से ही कार्यरत थी, तथा दक्ष प्रजापति के समय मैं भी मौजूद थी| परन्तु बिना उसको दफनाए, या उसको शक्तिहीन करे बिना, समाज को नकारात्मक स्तिथि मैं नहीं लेजाया जा सकता था, जोकी समय समय पर हुआ भी होगा, तथा कभी किसी समय उसे अमरत्व का चोला पहना कर सुला दिया गया|
इसी समस्या को दुसरे दृष्टिकोण से देखते हैं| यह तो हमसब को मालूम है कि सनातन धर्म पृथ्वी पर तब से है, जब से मानव का वास है| कोइ भी धर्म इतनी लंबी अवधी तक तभी जीवित रह सकता है, जब की उसमें :
  1. उचित नियंत्रण और संतुलन हो, 
  2. समाज के लिए उसके उद्देश साफ़ और स्पष्ट हों, तथा विकास के लिए समाज मैं सबको बराबर का अधिकार मिले|
  3. वोह विकास(क्रमागत उन्नति) की प्रक्रिया का सम्मान करता हो; हिंदू विकास(क्रमागत उन्नति) में विश्वास करते हैं और सर्जन में नहीं|
  4. जो धर्म मानवता के साथ ही आरम्भ हुआ हो, उसने अनेक चक्र विकास के देखे होंगें, तथा विकास की प्रगती और संघार से भी परिचित होगा| उस धर्म संचालन मैं यह निश्चित प्रणाली होगी की कैसे कम विकसित समाज मैं धर्म का प्रचार करा जाए, और विकसित समाज मैं कैसे, जो की अलग, अलग होगा| 
  5. ऐसे धर्म मैं यह प्रणाली अवश्य मौजूद रहती है, की जब समाज मैं सूचना, शिक्षा का अभाव होता है, और समाज भी कम विकसित होता है, तो उस समय धर्म प्रचार मैं, भावनात्मक भाग बढ़ा दिया जाता है, और विकसित, शिक्षित समाज मैं भावनात्मक भाग कम करके, कर्म भाग बढ़ा दिया जाता है |
सनातन धर्म मैं यह सब है, और बहुत कुछ| इसीलिये वोह अभी तक जीवित है| परन्तु अंदरूनी शोषण के कारण केन्द्रिय सप्तऋषी समिती दफनाई जा चुकी है, और अमर भी कर दी गयी है, ताकी बिना उचित नियंत्रण और संतुलन के समाज का शोषण बिना रोक टोक के हो सके, और आजादी के बाद के प्रामाणिक आकडे यह दर्शा भी रहे हैं|समाज धर्म गुरुजनों के लालच के कारण दुबारा गुलामी की तरफ बढ़ रहा है|
ध्यान रहे, जो भी मुख्य बिंदु पर ऊपर सुधार हेतु चर्चा होई है, वे तभी कार्यान्वित हो सकते है जब केन्द्रिय सप्तऋषी समिति संगठित हो जायेगी|
इस विषय पर और चर्चा अगली इससे सम्बंधित पोस्ट मैं करेंगे|

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