जब तक द्रोणाचार्य के हाथ मैं धनुष है , वे परास्त नहीं होंगे | पांडव को आचार्य द्रोण का यह प्रण भी मालूम था कि अश्वस्थामा, उनका पुत्र, यदि युद्ध मैं वीर गति को प्राप्त हो गया , तो वे तत्काल अस्त्र-शास्त्र त्याग देंगे
बचपन से अब तक एक बात सुनते आए हैं , की असत्य कितना घातक होता है | यह बिलकुल सच भी है , लकिन जब व्यक्ति आत्म निर्भर हो जाए और समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन जाए तो उसे सत्य की पूर्ण परिभाषा भी समझानी चाहिए , जो धर्मगुरुओं का उत्तरदाइत्व है , लकिन ऐसा हो नहीं रहा है |
कुछ इसी परिपेक्ष मैं आज की चर्चा है |
धर्मयुद्ध/महाभारत पूरे विश्व को अपनी चपेट मैं लिए हुए था | तथा विषय भी अत्यधिक महत्वपूर्ण था | आगे मानव की पहचान क्या होगी?
क्या वोह जेनेटिक इंजीनियरिंग और मानव क्लोनिंग द्वारा निर्मित एक मनुष्य होगा या प्राकृतिक विकास द्वारा , जो माता के गर्भ मैं पनपता है , और फिर नन्हे कृष्ण स्वरुप मैं नवजात शिशु के रूप मैं आपके परिवार का अंग बन जाता है | कौरव जेनेटिक इंजीनियरिंग और मानव क्लोनिंग को धर्म मान रहे थे और इसी को मानव के हित मैं बताते थे| श्री कृष्ण और पांडव प्राकृतिक तरीके से उत्पन होई संतान को मानव धर्म मान रहे थे , और युद्ध द्वारा विश्व को इस दिशा मैं वापस ले जाने के लिए तत्पर थे | विस्तार मैं पढ़ने के लिए लिंक पर जाएँ : जेनेटिक इंजीनियरिंग और मानव क्लोनिंग महाभारत युद्ध के कारण
युद्ध मैं दोनों पक्ष गंभीर शती उपरान्त भी जुटे हुआ थे, और दोनों पक्ष युद्ध मैं विजय का ख्वाब देख रहे थे | पितामह भीष्म के मृत्यु पूर्व गंभीर अवस्था मैं पहुचने के बाद पांडव को लग रहा था की यदि आचार्य द्रोणाचार्य और कर्ण किसी तरह से वीरगति को प्राप्त हो जाएँ , तो युद्ध जीता जा सकता है |
यह भी समझ मैं आ रहा था , कि जब तक द्रोणाचार्य के हाथ मैं धनुष है , वे परास्त नहीं होंगे | पांडव को आचार्य द्रोण का यह प्रण भी मालूम था कि अश्वस्थामा, उनका पुत्र, यदि युद्ध मैं वीरगति को प्राप्त हो गया , तो वे तत्काल अस्त्र-शास्त्र त्याग देंगे| श्री कृष्ण के कहने पर पांडवों ने एक युक्ति निर्धारित करी, जिसमें युधिष्टिर को यह झूट बोलना था की अश्वस्थामा मारा गया | चुकी यह प्रसिद्ध था कि युधिष्टिर झूट बोलते नहीं , इसलिए द्रोणाचार्य अस्त्र-शास्त्र त्याग देंगे , और तब कुछ निर्णायक कदम उठाया जा सकता था |
युधिष्टिर को तथा पांडवों को अप्रत्याशित विपदा व् असुविधाजनक स्थिति से बचाने के लिए एक हाथी जिसका नाम भी अश्वस्थामा था , उसको भीम ने मार दिया , तथा जोर जोर से विजय घोषणा करने लगा कि “मैंने अश्वस्थामा को मार दिया”| स्वाभाविक था कि द्रोणाचार्य सकते मैं आ गए , उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनका पुत्र मारा गया ; और इधर विजय घोषणा बार बार हो रही थी | घबराए हुए द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से पूछा जिन्होंने कहा-“हाँ। पर नर नहीं, कुंजर” ...नर कहते ही कृष्ण ने ज़ोर से शंख बजा दिया, द्रोणाचार्य आगे के शब्द न सुन सके। द्रोण ने अस्त्र-शस्त्र फेंक दिए , और धृष्टद्युम्न ने निह्त्ये द्रोण का वध कर दिया |
जैसा पहले ही कहा गया है, धर्म युद्ध जीतना अनिवार्य था, तो इस असत्य को विशेष महत्त्व क्यूँ दिया जाय. परन्तु अनेक प्रकार की स्थानीय लघु कथाएँ मैं इस बात का उल्लेख है कि इस असत्य से पहले युधिष्टिर का रथ जमीन से कुछ ऊपर चलता था , कुछ तो यहाँ तक कहते हैं की एक फूट ऊपर चलता था , लकिन इस असत्य के बाद रथ जमीन पर आ गया | इतना हानिकारक होता है असत्य |
लकिन यह धारणा बिलकुल गलत है | यह आपको गुमराह करने का एक तरीका है | आप भ्रमित रहेंगे तो कर्महीन भी रहेंगे और आपका शोषण समाज के अंदर के ठेकेदार आराम से कर पायेंगे |
अब समस्या यह है कि आप किसकी बात माने और क्यूँ? अभी तक जिस जिसका आप सम्मान करते थे, उन सब ने यह बताया कि सिर्फ झूट बोलने के कारण धर्मराज युधिष्टिर को यह हानि उठानी पडी ,
परन्तु यह पोस्ट यह कह रही है की यह आपको भ्रमित और कर्महीन रखने का एक तरीका है |
किसकी बात माने. और क्यूँ?
स्पष्ट है कुछ प्रमाण तो चाहिय ऐसे विवाद्स्प्रद अवसर पर , ताकि आप सही निर्णय अपनी सूचना के आधार पर ले सकें |
यह एकदम सही है कि युधिष्टिर ने झूट बोला , लकिन धर्मयुद्ध जीतने के अतिरिक्त और कोइ सत्य महत्वपूर्ण था नहीं | धर्मयुद्ध जीतने से मानवता का कल्याण होना था |युधिष्टिर का रथ हवा मैं चलता था -- इस बात का इतना ही अर्थ है कि पहले वे उद्दंडता और गर्व के शिकार थे , इसीलिये यह कहावत प्रचलित है कि ‘उनके पैर तो जमीन पर है ही नहीं’|
लकिन इस सत्य को मान लेने के पश्यात की धर्मयुद्ध जीतने के लिए झूट भी बोला जा सकता है , वे ज़मीन पर आ गए, वास्तविकता से परिचय हो गया –और जो कहा जा रहा है , उसका प्रमाण भी है , एक ऐसा प्रमाण जिसे आप ठुकरा नहीं सकते |
और वोह प्रमाण है कि इस झूट को बोलने के बाद युधिष्टिर इतने महान हो गए, या यूँ कहिये कि उनका कद इतना बढ़ गया कि वे इतिहास मैं अकेले व्यक्ति हैं जो बिना मरे स-शरीर स्वर्ग पहुचे |
क्या आप इस प्रमाण को ठुकरा सकते हैं ?
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3 comments :
सुंदर रचना but fight by word verification was very bad
धन्यवाद , श्री मनु त्यागी जी,
लकिन आपके इस वाक्य का अर्थ नहीं समझ मैं आया :
"but fight by word verification was very bad"
बहुत ही अच्छी पोस्ट है| सारे गुरु यही बताते हैं की झूट के कारण युधिष्टिर का रथ जमीन पर आ गया |
आज मालूम पड़ा की जो गुरुजन बता रहे थे वोह अधर्म था...समाज को गलत रास्ते पर ले जाने का तरीका|
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