दोनों कह रहे थे, कि जो वे मानते है, वही धर्म है|कौरव ने जीनस(Genes) मैं फेर बदल, और
मानव क्लोनिंग को धर्म माना| पांडव ने इसका ठीक विपरीत,
कि संतान प्राकृतिक तरीके से माता के गर्भ मैं ही पनपे |जैवप्रौद्योगिकी अभियान्त्रिकी और तकनीकी द्वारा जीवों को संशोधित करके जेनेटिक इंजीनियरिंग और मानव क्लोनिंग का प्रयोग व्यापक रूप से महाभारत से पूर्व हो रहा था | यही विश्व युद्ध अर्थात महाभारत युद्ध का कारण बना | महाभारत प्रथम विश्व युद्ध था |
विश्व की हर प्राचीन सभ्यता के इतिहास मैं एक विशाल विश्व-व्यापी बाढ़ का उल्लेख है जो की पृथ्वी पर करीब ७००० से १०००० वर्ष पहले आई थी | उस बाढ़ के उपरान्त विश्व मैं महिलाओं की कमी हो गयी , और नवजात शिशु के सफल पूर्वक पालन मैं भी समस्या होने लगी (अंग्रेज़ी मैं
पढ़ें: THE GREAT FLOOD OF DWAPAR YUG AND THERE AFTER )
धीरे धीरे समाज प्रगति करता गया, लकिन उपरोक्त समस्या का समाधान नहीं हो पाया ; महिलाओं की कमी और शिशु के सफल पूर्वक पालन मैं कमी बनी रही | समाज की प्रगति के साथ विज्ञान ने भी इस समस्या के निदान के लिए अनेक प्रयत्न करे, और अंत मैं विज्ञान के अनुसार सबसे कारगर उपाय यह समझ मैं आया की जेनेटिक इंजीनियरिंग का प्रयोग कर के ही इस समस्या का निदान हो सकता है | कुछ राहत हुई और विज्ञानिकों को आगे शोघ करने की अनुमति मिली| जेनेटिक इंजीनियरिंग का प्रयोग करके मानव क्लोनिंग भी शुरू हो गयी, और समाज आगे बढ़ता गया |
अनेक प्रकार से जेनेटिक इंजीनियरिंग का प्रयोग करके अब संतान होने लगी ; स्वेच्छा से कुछ प्रथिश्तित महिलाओं ने अपनी कोख का प्रयोग इसके लिए करा | कर्ण का जन्म इसी तरह से हुआ, और अबोध अवस्था मैं कुंती ने कर्ण के भूण को अपने गर्भ मैं पनपाया और फिर बाद मैं मशीन द्वारा उसको विकसित करा गया |
श्री कृष्ण और यशोदा माता की कन्या योगमाया के भूण को चिकित्सकों की मदद से बदल दिया गया, और कृष्ण यशोदा माता के यहाँ पैदा हुए और योगमाया देवकी के गर्भ से |
द्रौपदी के पांच पति इस बात का सन्देश है कि महिला की कमी उस समय थी, तथा यही कारण है कि अज्ञात वास मैं द्रौपदी ने सबको यह बताया कि उसके पांच पति थे, जो की उस समय सामान्य बात थी |
पांचो पांडव के अस्तित्व का श्रेय भी जेनेटिक इंजीनियरिंग को जाता है , हालाकि उन्होंने अपनी माताओं का गर्भ प्रयोग करा |
करुवों के जन्म मैं ज्यादा आधुनिक तकनीक का प्रयोग हुआ, और १०१ संतान का भूण माता गांधारी के गर्भ मैं विकसित करके , आधुनिक प्रयोगशाला द्वारा १०१ संतान उत्पन्न हुई |
अनेक संकेत हैं के बाद मैं मानव खेती भी आरम्भ हो गयी | जब धर्मराज युधिष्टिर इन्द्रप्रस्थ के सिंघासन पर विराजमान हुए , और अपने और अपने भाईयों के शौर्य का पूरे विश्व मैं लोहा मनवा लिया तो , तत्पश्यात राजसुय यग्य करा | जिस तरह से आज United Nation है और पहले League of Nation था, कुछ उसी दृष्टि से राजसुय यग्य को देखना होगा | अब युधिष्टिर को, सब देशो से विचार करके, सम्पूर्ण विश्व के प्रगति के लिए भी नीति बनानी थी | राजसुय यग्य मैं श्री कृष्ण का प्रथम अभिनन्दन करके उन्हें इस विशिष्ट कार्य की अध्यक्षता के लिए मनोनीत करा |
श्री कृष्ण की अध्यक्षता मैं प्रथम निर्णय जिससे सबको अवगत कराया गया , था की अब जो जीनस(Genes) मैं हेरफेर, तथा जीनस(Genes) की नक़ल करके मानव क्लोनिंग हो रही है, उसको धीरे धीरे समाप्त करा जाएगा , तथा मानव खेती भी समाप्त होगी , और प्राकृतिक तरीके से भूण को माता अपने गर्भ मैं पोषण करके पनपाती है, उसी तरीके पर धीरे धीरे वापस आना होगा | उसके लिए तत्काल १०० या अधिक मानव के एक साथ उत्पत्ति पर रोक लगाई जा रही है | इसपर व्यापक समर्थन भी मिला, लकिन कुछ शक्तिशाली राज्य इसका विरोध भी कर रहे थे |
एक षड़यंत्र के तहत श्री कृष्ण पर आक्रमण भी करा गया, लकिन उनकी सुरक्षा व्यस्था(सुदर्शन) को वो पार नहीं कर पाए, और उनका एक प्रमुख विरोधी शिशुपाल मारा गया |
पांचो पांडव की शादी द्रौपदी के साथ इसीलिये करी गयी ताकि यह सन्देश सुरक्षित रहे की कन्याओं की कितनी कमी थी |
ऐसा भी संभव है की शांतनु के समय मैं ही , चुकी महिलाओं की कमी थी, तो संभवत; यह निर्णय लिया गया हो, की यदि कोइ व्यक्ति अप्राकृतिक योन क्रिया किसी जानवर के साथ कर रहा है , तो उसे अनदेखा करा जाएगा , और उसका तिरस्कार, या किसी तरह का भौतिक कष्ट उसे समाज नहीं पहुचाएगा; यदी इस आदेश की अवहेलना होई , तो उसे तत्काल समाज से निलम्बित कर दिया जाएगा, और दंड भी दिया जाएगा | अवश्य कठोर नियम था, लकिन शायद, उस परिस्थिति मैं जरूरी था |
परन्तु स्वंम राजा पांडू, जब वन मैं आखेट कर रहे थे, तो एक मनुष्य को इस तरह का अप्राकृतिक कार्य करते देख कर, सहन नहीं कर पाए, और उन्होंने उसे मार दिया | राज दरबार मैं उन्होंने सब को , अपने इस अपराध से अवगत कराया | वे राज्य त्याग कर वन को चल दिए, और उस समय के राज धर्म के अनुसार दंड भी उन्हें मिला; उनके जीनस(Genes) मैं हैर फेर करके, ऐसा कर दिया गया कि यदि वे कभी भी किसी महिला के साथ योन क्रिया करना चाहें तो उनकी मृत्युं हो जाय |
राजसुय यग्य मैं जीनस(Genes) मैं हैर फेर/बदलाव पर रोक , तथा मानव क्लोनिंग और मानव खेती पर रोक से कुछ शक्तिशाली देश असमंजस मैं आ गए| स्वंम दुर्योधन उनका मार्गदर्शन कर रहा था | बहुत सोच समझ कर , एक षड्यंत्र के तहत युधिष्टिर को न्योता भेजा गया, नए कीड़ा भवन के आरम्भ होने पर |
इसके बाद युधिष्टिर आये, पासे के खेल मैं, पहले समस्त राज हारे, अपने भाईयों को हारे, स्वंम को हारे, और द्रौपदी को भी हार गए | द्रौपदी को राज्य सभा मैं अपमानित करा गया | इसका व्यापक विरोध हुआ, और व्यापक विरोध के कारण, यह निर्णय लेना पड़ा कि युधिष्टिर को सब कुछ वापस करते हैं |
बहराल युधिष्टिर भी प्रयाश्चित करना चाहते थे, उनकी मानसिकता को भाप कर सबसे व्यापक चर्चा के बाद दुबारा पासे का खेल हुआ, जिसमें समाज के सामने जो मुख्य विषय था , उसी को लेकर नियम बनाए गए | समाज के सामने मुख्य विषय था ‘जीनस(Genes) मैं फेर बदल, और मानव क्लोनिंग’ समाज हित मैं है अथवा नहीं | जहाँ युधिष्टिर और उनके सहयोगी यह मानते थे कि ‘जीनस(Genes) मैं फेर बदल, और मानव क्लोनिंग’ मानव/समाज हित मैं नहीं है , दुर्योधन और कुछ शक्तिशाली राज्य यह कहते थे कि मानव का इसी मैं हित है |
नियम यह बना कि किसी एक को ही अवसर मिलेगा , अपनी मान्यता के अनुसार मानव सुधार के लिए , दूसरा वन मैं १२ वर्ष रहेगा | दोनों का मत था कि १२ वर्ष मैं इतना सुधार हो जाएगा की जो भी(दोनों में से एक) वन मैं रहेगा वोह १२ वर्ष बाद एक वर्ष मैं पहचान लिया जाएगा, भले ही वोह गुमनाम विश्व मैं कहीं भी रह रहा हो , और यदि ऐसा हुआ , अथार्थ उसे पहचान लिया गया , तो वोह दुबारा १२ वर्ष के लिए वन में चला जाएगा | पासे के खेल मैं हारे हुए व्यक्ति का राज्य विजेता रखेगा, और वापस आने पर राज्य हारे हुए व्यक्ति को वापस कर दिया जाएगा |
बड़ा ही विचित्र निर्णय था, परन्तु जब दोनों पक्ष इसके लिए तैयार थे तो कुछ हो भी नहीं सकता था | पासे का खेल फिर हुआ, बईमानी भी हुई , और युधिष्टिर हार गए , तथा १२ वर्ष के लिए वन को प्रस्थान कर गए |
वास्तव मैं महाभारत युद्ध एक धर्म युद्ध ही था , जिसने यह सुनिश्चित करा कि मानव और मानवता, जिसे हम जानते हैं , उसका असली परिचय क्या होना चाहिए |
दोनों, पांडव और कौरव, कह रहे थे, कि जो वे कर रहे हैं , या मानते है, वही धर्म है , और मानव के प्रगति का मार्ग है | ध्यान रहे , कभी भी, धर्म का अर्थ समाज, मानव तथा संबंधित प्रकृति की प्रगति के अतिरिक्त और कुछ हो ही नहीं सकता |
कौरव ने पिछले १३ वर्ष मैं मानव प्रगति का उल्लेख करा और “जीनस(Genes) मैं फेर बदल, और मानव क्लोनिंग” को धर्म माना तथा इसी सोच के साथ महाभारत युद्ध मैं उतरे |
पांडव की परम्परागत सोच थी जिसका कि व्यापक समर्थन था, कि संतान प्राकृतिक तरीके से माता के गर्भ मैं ही पनपे | इसी को धर्म मान कर वे महाभारत युद्ध मैं गए |
श्री कृष्ण , जिनके मानवता सम्बंधित विचारों का पूरे विश्व मैं सम्मान था , उन्होंने अपनी ‘जीनस(Genes) मैं फेर बदल, और मानव क्लोनिंग’ वाली सेना कौरव को युद्ध के लिए दी, तथा स्वंम युद्ध मैं भाग लिया, लकिन इस शर्त के साथ कि वे स्वंम शस्त्र नहीं उठाएंगे | यह एक सामरिक और राजनेतिक निर्णय था |
ध्यान रहे, महाभारत को अगर समझना है , तो इन दो बिंदुओं पर सदेव ध्यान रखें :
महाभारत मानव इतिहास है, तथा किसी भी चरित्र के पास चमत्कारिक या अलोकिक शक्ति नहीं थी |
गणेश-व्यास संवाद यह साफ़ जताता है कि महाभारत कोडित(CODED) है , और उसे आसानी से नहीं समझा जा सकता | एक ही तरीका है उसे समझने का, कि वर्तमान समाज हित को केंद्रबिंदु बना कर समझा जाए |
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2 comments :
युवा पीढ़ी संकोच करती थी यह पूछने मैं कि धर्म युद्ध मैं धर्म क्या था, जिसके लिये युद्ध हुआ|
जो अब पता पड़ा| धन्यवाद|
Thanks for the information provided by you.
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