Monday, May 28, 2012

हनुमान बंदर नहीं वन मैं उत्पन्न मनुष्य की नई प्रजाति से थे

यदि आप हनुमान की पूजा का लाभ चाहते हैं तो आपको जात-पात के 
कारण जो भेद भाव है, उसका विरोध करना होगा,
तथा
वचनबद्ध होना होगा कि किसी भी व्यक्ति का मूल्याँकन उसके जन्म के कारणों के आधार पर नहीं हो सकता~~वानर, जैसा कि शब्द से स्पष्ट है , वह वन + नर से बना है , जिसका अर्थ है; “वन मैं उत्पन्न हुआ मनुष्य” |
वानर मनुष्य की नई प्रजाति थी जो कि स्वाभाविक रूप से श्रृष्टि के विस्तार मैं वन मैं उत्पन्न होई , उनके पूछ थी , और मनुष्यों की तरह से ही उन्होंने छोटे छोटे कसबे वन मैं बना रखे थे | वे बंदर कदापि नहीं थे |

ध्यान रहे:
जन्म के कारण को जानते हुए माता सीता ने हनुमान को पुत्र का दर्जा दिया , और यह भी एक कारण है कि वे अयोध्या मैं रहे |

1.क्या कारण था कि हनुमान के पिता केसरी, वानरों के एक राजा थे, लकिन हनुमान उनकी संतान हो कर राज्य के उत्तराधिकारी नहीं हो पाए ? केसरीनंदन तो हैं लकिन राज्य के उत्तराधिकारी नहीं हो पाए | यह प्रश्न आपने पुछा कभी ?

2.क्या कारण था कि हनुमान हमेशा चुप चुप रहते थे, कम बोलते थे ?

3.क्या कारण था कि हनुमान ने बाल ब्रह्मचर्य का व्रत धारण करा ?

4.क्या कारण है कि हनुमान पवनपुत्र और पवनकुमार भी कहलाते हैं ?

इन सब प्रश्नों का भावनात्मक उत्तर आपको अलग अलग विभिन् लोगो से मिला होगा , लकिन सही उत्तर आपके पास नहीं है | क्यूँ ? ध्यान रहे सही उत्तर वह है जो कि यदि किसी भी व्यक्ति को हनुमान का केवल इतिहास बता दिया जाय, तो वह स्वंम उत्तर खोज ले |
कष्ट की बात यह है कि हमारी मानसिकता , रामायण को इतिहास तो मानना चाहती है , लकिन इस तथ्य को नहीं स्वीकार करना चाहती कि इतिहास मैं किसी के पास भी अलोकिक या चमत्कारिक शक्ती नहीं हो सकती | यह कर्महीन मानसिकता, आजादी के पहले की है, जिसे निजी स्वार्थ के कारण धर्म गुरुजनों ने समाप्त नहीं होने दिया | इसी कारण रामायण , जो कि इतिहास है विष्णु अवतार श्री राम का, उसका पूरा लाभ हिंदू समाज को नहीं मिल पा रहा है |
हनुमान, महाऋषी गौतम की पुत्री अंजनी के गर्भ से पैदा हुए | अंजनी के गर्भ के बारे मैं जब गौतम ऋषि को पता चला, और यह भी पता चला की उस गर्भ का कारण राजा केसरी हैं , तो उन्होंने अंजनी को पर्वतो मैं रहने के लिए भेज दिया, जहाँ वे केसरी से न मिल पाए |

हनुमान के जन्म उपरान्त हनुमान को एक ऊची चट्टान से नीचे छोड दिया गया, जहाँ केसरी इंतज़ार कर रहे थे, और वायु मार्ग से आते हुए हनुमान को उन्होंने संभाल लिया | यह है इतिहास हनुमान के जन्म का |
वायु मार्ग से हनुमान केसरी के पास पहुचे, इसलिए वे पवनपुत्र और पवनकुमार भी कहलाते हैं , चुकी विवादास्पद स्तिथी मैं उनका जन्म हुआ, वे राज्य के उत्तराधिकारी नहीं हो पाए | जब कुछ बड़े हुए और समझने लगे , तो उन्हें यह सब ज्ञात हुआ, और वे अत्यन्य गंभीर स्वभाव के हो गए, उन्होंने ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया |
अंजनी पुत्र , हनुमान अत्यंत बुद्धीमान थे और उन्होंने शैक्षिक संस्थान जिसका नाम ‘सूर्य’ था उसमें शिक्ष प्राप्त करी थी |

अब यह सब जानने के बाद आपकी श्रद्दा हनुमान के प्रति बढ़ी है या घटी, उत्तर आपको देना है | मेरे तो बढ़ी है | हम सब यह भी जानते हैं , कि जिस तरह से आदिवासियों मैं कोइ जात पात नहीं होती, उसी तरह से वानर प्रजाति मैं भी कोइ जात नहीं थी | जन्म के कारण को जानते हुए माता सीता ने हनुमान को पुत्र का दर्जा दिया , और यह भी एक कारण है कि वे अयोध्या मैं रहे |
अब आप यह भी समझ गए होंगे की यदि आप हनुमान की पूजा का लाभ चाहते हैं तो आपको जात-पात के कारण जो भेद भाव है, उसका विरोध करना होगा, तथा वचनबद्ध होना होगा कि किसी भी व्यक्ति का मूल्याँकन उसके जन्म के कारणों के आधार पर नहीं हो सकता | यह अधर्म है | ऐसा करने वाले व्यक्ति को हनुमान की भक्ति का लाभ कभी नहीं मिल सकता |
अब आप यह भी समझ गए होंगे की यह सही जानकारी जो की नेट पर बिखरे हुए स्वरुप मैं उपलब्ध है , और हमारी धार्मिक पुस्तकों से ही वहाँ पहुँची है , वह आप तक धर्म गुरु क्यूँ नहीं पंहुचा रहे हैं | 
हिंदू समाज का शोषण समाप्त हो जाएगा | 
कृप्या यह भी पढीये :

5 comments :

Mindful Musings said...

is baat ka kya proof hai ki vanar ek manav jati thi.or agar thi bhi to ab kaha chali gayi.
vanar word ka van+nar,is type se vichhed possible hi nahi hai.
and if hai to proof dijiye

Mindful Musings said...

what is proof

Unknown said...

बहुत अच्छा प्रश्न है आपका |

जवाब बहुत सीधा साधा है , आपके पास , और हर व्यक्ति के पास पूछ की हड्डी है लेकिन पूछ नहीं....क्यूँ?

क्या बंदरों मैं उत्तराधिकारी होता है ? क्या बंदरों को शिक्षा दी जा सकती, कौशल सिखाया जा सकता है , लेकिन शिक्षा नहीं |

सच क्या है और झूट क्या है, आपको वर्तमान समाज को केन्द्र बिंदु मान कर समझना है , और यह भी ध्यान रखना है कि हिंदू समाज पूरी तरह से कर्महीन है, इसीलिये भ्रष्टाचार और अन्य विषयों पर लड़ नहीं पा रहा है |

मनुष्य की प्रजाति को बंदर कहने से कर्महीनता बढ़ेगी, चुकी जवाब भावनात्मक हो गया, और सत्य स्वीकार करने से कर्महीनता कम होगी क्यूँकी जवाब भौतिक तथ्यों पर दे रहे हैं |

फैसला आपको करना है |

Rakesh said...

ek aur acha drishtikon eis tathya ko visheshan karne k liye, Abhaaaaaaar,
Ramayan k sabhi patar insaan he hi koi do rai nahi, SHUKRIYA Charulata Saxena Jee

Madan Mohan Saxena said...

बेह्तरीन अभिव्यक्ति .Please remove word Verification.

ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.