STOP EXPLOITATION OF HINDU SAMAAJ FROM FRAUDULENT BABAS
आज कल एक पाखंडी बाबा की ठगाई के चर्चे हर जगह हो रहे हैं
लोग पाखंडी बाबा की ठगाई की बात तो करते हैं , लकिन केवल अपनी भावना व्यक्त करने के लिए , अंकुश लगाने के लिए नहीं |
जब बाबा ठगाई के लिए टी वी को माध्यम चुन रहे हैं , उसके खिलाफ कुछ भी कैसे साबित कर पायेंगे ?
सनातन धर्म मैं ऐसे लोगो पर अंकुश कैसे लगाना है, साफ़ बताया है , प्रयास क्यूँ नहीं करा जा रहा, यह आप बताएं?
पुरानी ब्लॉग पोस्ट से उद्धृत कर रहा हूं :
“हर पुराण में , देवताओं के नकरात्मक विचार कुछ सन्देश दे रहे हैं , जो अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ! ध्यान रहे समस्त पुराण देवों के नकरात्मक व्यवाहर से भरे पडे हैं, ताकी किसी त्रुटि की कोइ संभावना न रहे , महाऋषि और ऋषिजनों के अभ्रद तथा शोषणपूर्ण व्यवाहर का भी रह रह कर उल्लेख पुराणों में मिलेगा !
इन महान हस्तियों द्वारा महिलाओं के साथ दुराचार और छल के व्यवाहर के भी अनेक प्रसंग हैं ! इन प्रसंगों का वर्तमान समाज के लीये कुछ तो महत्त्व है, कोइ महत्वपूर्ण सन्देश है, जो अगर अनकहा रह गया तो समाज का विकास संभव नहीं हो सकता ! एसा भी नहीं है कि उसके लीये विशेष दूरदर्शिता की आवश्यकता है इस सन्देश को समझने के लीये ! कोइ भी व्यक्ति इसका इतना अर्थ तो निकाल सकता कि समाज में जो अधर्म के कारण जो कर्महीनता बस गई है, वह इस लीये की गलत धर्म सिखाया जा रहा है !”
पाखंडी बाबा , उसी नकारात्मक और गलत धर्म जो सिखाया जा रहा है, उसका परिणाम है |
तो नियंत्रण और संतुलन (CHECKS & BALANCES) समाज मैं कैसे आएगा, या पाखंडी बाबा जैसे लोगो पर अंकुश कैसे लगाना है, इसका उत्तर पुरानो से मिल रहा है |
हमारे पुरानो मैं ऋषि महाऋषियों के अभद्र व्यवाहर का उल्लेख क्यूँ है, यह प्रश्न बार बार समाज मैं रखिये; तथा इसे केन्द्र बिंदु मान कर ही धर्म की चर्चा करें तभी समाज मैं सुधार आएगा |
कष्ट सब के लिए यह है की यह प्रयास भावनात्मक नहीं है , और कर्म करना हिंदू कर्महीन समाज ने छोड़ दिया है |
जय श्री राम ! जय माता सीता !
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