Monday, March 12, 2012

पृथ्वी का विकास.. सृजन या क्रमागत उन्नति

जब जुल्म और अत्याचार असहनीय हो जाते हैं तो ईश्वर अवतरित होते हैं समाज की सहायता के लीये; स्पष्ट है कि स्वर्ग में बैठा हुए ईश्वर कुछ नहीं करते; हिंदू सृजन में नहीं, क्रमागत उन्नति में विश्वास रखते हैं!
विश्व में केवल प्राचीन भारत के वृत्तांतों से आपको यह अवगत हो पायेगा कि प्राचीन हिंदू समाज एक अद्भुत सोच विश्व को दे कर गया है जो की क्रमागत उन्नति(EVOLUTION) को पृथ्वी के विकास का कारण मानती है !
हिंदू एक अकेला समाज है जो कि यह मानता है कि सृजन व् क्रमागत उन्नति में विरोध निराधार है; क्रमागत उन्नति ब पृथ्वी के विकास और उनत्ति की बात जब आती है तो हमारा विज्ञानिक वर्ग से कोइ विरोध नहीं है|

भारतवासियों को सृजन या क्रमागत उन्नति , किसी से भी कोइ विवाद नहीं है ! जैसा कि ऊपर उल्लेख है, इस विषय पर प्राचीन ग्रंथो में अनेक वृतांत भी हैं |

हिंदू समाज, धर्म तथा ज्ञान, क्रमागत उन्नति को विशेष महत्त्व देता है ! हम मानते हैं कि क्रमागत उन्नति ही श्रृष्टि के सृजन का कारण है ! इस पर स्पष्ट रूप से अनेक संकेत आपको हिंदुओं के प्राचीन इतिहास में मिलेंगे ! हिंदुओं की मान्यता है कि ईश्वर ने ब्रह्मांड का निर्माण करा परन्तु उसके आगे सृजनका कार्य क्रमागत उन्नति द्वारा ही हुआ है !

अत: क्रमागत उन्नति ही पृथ्वी के विकास का कारण है, न की सृजन !यह भी ध्यान देने की बात है कि हिंदू ईश्वर के अवतार में विश्वास रखते हैं; हिंदू यह नहीं मानते कि स्वर्ग में बैठे ईश्वर समाज या मनुष्य की कोइ मदद करते है ! यदि समाज घोर पतन की और जा रहा है, तो ईश्वर मनुष्य रूप में अवतरित होते हैं, समाज की दिशा में आवश्यक सुधार मनुष्य के रूप में ही लाते हैं, और मनुष्य को प्रेरित करते हैं, समाज को प्रगति के मार्ग पर बढाने के लीये ! यही अवतार का उद्देश है ! 

जी हाँ, आप जो सोच रहे हैं, वोह सही है| सनातन धर्म इस बात पर विश्वास करता है की ईश्वर की पूजा, भक्ती से समाज से सम्बंधित समस्या का कोइ समाधान नहीं होगा| समाज के सब सदस्यों को मिल जुल कर समाधान निकालना होगा | ईश्वर तो हर अवतरित हो नहीं सकते| 

समझ लीजिये; ईश्वर समाज सम्बंधित समस्याओं मैं आपकी सहायता नहीं करते हैं |

जब जुल्म और अत्याचार असहनीय हो जाते हैं तो ईश्वर अवतरित होते हैं मनुष्य रूप में, समाज की सहायता के लीये....स्पष्ट है कि स्वर्ग में बैठा हुए ईश्वर कुछ नहीं कर सकते ! हिंदू सृजन में नहीं, क्रमागत उन्नति में विश्वास रखते हैं !
ध्यान देने वाली बात है ईश्वर जब तक जुल्म हद से ज्यादा न हो जाय, अवतरित नहीं होते ! इसका सबसे बड़ा उद्धरण पिछले १००० वर्ष की गुलामी है ! हिंदू समाजको यह मालूम है, कि जितना अत्याचार हिंदू समाज पर इन १००० वर्षों कि गुलामी में हुआ है , उतना अत्याचार का विवरण किसी धार्मिक ग्रन्थ में नहीं मिलता ! कारण यह भी हो सकता है कि भावी समाज को इतिहास का अत्यंत नकरात्मक रूप नहीं दिखाना है, और यही पिछले १००० वर्ष के गुलामी के इतिहास के साथ अब हो रहा है, और संभवत: ठीक भी है ! और इन १००० वर्ष में भगवान अवतरित नहीं हुऐ थे ! स्पष्ट है कि जब जब ईश्वर अवतरित हुऐ थे उस समय समस्या और जटिल थी, तथा समाज पर अत्याचार और ज्यादा था ! 
जब आप अपने प्राचीन ग्रन्थ, पुराण इस सोच से पढेंगे, तो आपको समझ में आएगा कि हम इनसे क्या कुछ नहीं पा सकते ! विश्व की प्रगति के लीये हिंदू धार्मिक ग्रन्थ, जैसे जैसे गुलामी की जंजीरों के निशाँन हलके होते जायेंगे, ज्यादा योगदान दे पायेंगे !
कृप्या यह भी पढ़ें : 

No comments:

Post a Comment